आज शायर, गीतकार, संवाद
लेखक, कहानीकार
और सौम्य व्यक्तित्व के मालिक अजीम शख्सियत 'जावेद अख़्तर साहब' का
जन्मदिन हैं... जिनकी तारीफ़ करने अल्फ़ाज़ कम पड़ जाये फिर भी उनको सौगात देने के
लिये अपनी मनोभावनाओं का ये शब्द गुच्छ तैयार किया हैं...
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'जां
निसार अख्तर'
की शायरी यूँ अक्स में
उसके समा गयी कि
रूह की बयानगी नक्स से
ज़ाहिर होने लगी
'ज़ाहिदा' की
पीड़ा रगों में
बेचैनी बन बहने लगी
जब उसने उठाई कलम तो
अल्फ़ाज़ के तरकस से
अंतर में दबी-छिपी भावनायें
तीरों की तरह बरसने लगी
जिसकी मीठी-तीखी सी चुभन
पढ़ने वालों को महसूस होने लगी
भीतर रखा हुआ रोष
संवादों में उतर मन को हल्का
तन को शिथिल बनाने लगा
प्रेम की प्यास शायरी में झलकने लगी
तो अव्यक्त
दर्द गीतों में
इस तरह से अभिव्यक्त हुआ कि
वो फ़िल्मी दुनिया से
साहित्य जगत तक अपने हुनर
अलहदा अंदाज़े बयां से
हिंदुस्तान का अजीमों ख़ास शायर
अपनी तरह का बेमिसाल कलमकार
और हरदिल अज़ीज व्यक्तित्व
'जावेद
अख्तर' बन
गया ।।
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अगर, आज से ७८ बरस पहले ये दिन न
आता तो हमको उस नायाब लेखन से महरूम होना पड़ता तो आज जन्मदिवस पर 'जावेद
साहब' को
तहे दिल से मुबारकबाद... ☺ ☺ ☺
!!!
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© ® सुश्री
इंदु सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१७ जनवरी २०१८
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