शुक्रवार, 5 जनवरी 2018

सुर-२०१८-०५ : #तिलकूट_बनाते_चौथ_मनाते



हम सबने ही अपने बचपन में ये कहानी सुनी हैं कि, किस तरह से पार्वतीनंदन ‘गणपति’ ने अपने माता-पिता त्रिलोकी शंकर और जगतमाता पार्वती की परिक्रमा पूर्ण कर समस्त जगत को ये संदेश दिया कि जन्मदाता का स्थान ब्रम्हांड में सबसे ऊंचा हैं बल्कि कहे कि सबसे आगे हैं इसलिये तो समस्त ब्रम्हांड का चक्कर लगाने की जगह बुद्धि के धनी ‘गणेश’ ने अपने माता-पिता की परिक्रमा कर प्रथम पूज्य देवता का स्थान हासिल किया और वो शुभ दिन आज ही था जब उन्होंने इस पुण्य काम को अंजाम दिया था अपनी बुद्धिमता का प्रयोग कर उन्होंने कम श्रम में न केवल दिये गये टास्क को पूरा किया बल्कि उसके साथ ही इस दुनिया को ये भी बताया कि अपने जनक और जननी को पूज्य मानकर उनको सर्वोच्च स्थान देकर संतान भी उनकी तरह पूजनीय और सम्मानीय बन सकती हैं केवल विपरीत परिस्थितियों में हिम्मत हारे बिना उसे अपने पालकों को सीख को अमल में लाने की जरूरत होती और बड़े-से-बड़ी परेशानी बड़ी आसानी से हल हो जाती हैं
 
यूँ तो हर महीने और हर पक्ष में ही एक चौथ आती हैं लेकिन, कुछ बेहद विशेष और भक्तों के लिये अत्यंत महत्वपूर्ण होती हैं ऐसी ही माघ मास कृष्ण पक्ष की ये चौथ हैं जो ‘तिल संकटा चतुर्थी’ कहलाती जिसमें तिलकूट बनाकर विघ्नविनाशक गणेश की पूजा-अर्चना की जाती हैं और रात को चाँद देखकर व्रत का समापन किया जाता हैं... आज के दिन जो भी भगवान गणेश की साधना-उपासना करता उसके सभी संकटों का नाश होता तो इसी कामना के साथ सभी को तिल चौथ की असीम शुभकामनायें... !!!
  
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०५ जनवरी २०१८ 

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