सोमवार, 15 जनवरी 2018

सुर-२०१८-१५ : #देश_की_रक्षक_थल_सेना



१५ अगस्त १९४७ को देश आज़ाद तो हो गया लेकिन, भारतीय सेना की बागड़ोर अब भी ‘ब्रिटिश सरकार’ के ही हाथों में थी जिसे आज के दिन ही मुक्ति मिली और ‘के.एम. करिअप्पा’ भारतीय सेना के पहले 'कमांडर-इन-चीफ़' बने इस तरह से ये दिन हम सबके लिये भी गौरव का दिवस हैं क्योंकि जब तक सब अधिकार अपने हाथों में न हो स्वतंत्रता अधूरी हैं इसलिये ये दिन महत्वपूर्ण हैं हम सबके लिये कि इसकी वजह से हमारे देश को उसके सच्चे रक्षकों का पूर्ण स्वामित्व प्राप्त हुआ जिसने अपने इस कर्तव्य का तन-मन से पुर्णतः निर्वहन किया और समय-समय पर हमें ऐसे अवसरों का भी सामना करना पड़ा जब अचानक ही शत्रु ने हमला कर दिया परंतु ऐसे विकट परिस्थितियों में भी हमारे जाबांज सिपाही घबराये नहीं बल्कि पूरे जी-जान से लड़कर शत्रु को उलटे पैरों भागने पर मजबूर कर दिया

ऐसी अपनी सेना पर केवल गर्व करने मात्र से उनके प्रति हमारे मनोभावों का प्रदर्शन नहीं होगा हमें भी अपनी भावनाओं को अपने शब्द देकर उनका हौंसला बढ़ाना चाहिये उनकी वजह से हम सुरक्षित हैं तो इसके लिये उनका शुक्रिया भी अदा करना चाहिये कि जब वो दिन-रात जागकर सरहदों पर चौकसी से तैनात रहते तब कहीं जाकर हम बेफिक्र होकर अपनी मनचाही जिंदगी का आनंद ले पाते जबकि, वे इन सभी सुखों से वंचित हर तरह की तकलीफों को सहकर भी देश की सुरक्षा के संकल्प से वचनबद्ध होकर देश-सेवा में सलंग्न रहते हैं   

आज ‘भारतीय थल सेना दिवस’ पर हमारे उन समस्त वीर जवानों को जिन्होंने देश और देशवासियों की सुरक्षा की खातिर अपने प्राणों का बलिदान दे दिया हम अश्रुपूरित विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित कर शत-शत नमन करते हैं और जो अब भी सब कुछ भूलकर मुस्तैदी से अपने-अपने कार्यक्षेत्र में कार्यरत उनकी कुशलता की कामना करते हैं कि उनका होना ही हमारे तिरंगें की शान और हमारा जीवन हैं यदि वे न हो तो आज हम भी ये दिन न देख पाते... ☺ ☺ ☺ !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

१५ जनवरी २०१८

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