बुधवार, 24 जनवरी 2018

सुर-२०१८-२४ : #अचला_रथ_सप्तमी_नर्मदा_जयंती



सभी प्राणियों को पाप से मुक्त कराने के लिये देवताओं की विनती पर अमरकंटक की सुरम्य वादियों और प्राकृतिक परिवेश में भगवान शिव जी की भृकुटी से एक बूंद के रूप में उनकी पुत्री जीवनदायिनी 'नर्मदा' का जन्म हुआ और माघ महीने के शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि से उन्होंने नदी के रूप में बहना शुरू किया तो तब से आज के दिन 'नर्मदा जयंती' मनाई जाती हैं । दक्षिण की गंगा कहलाई जाने वाली ‘नर्मदा’ के जल की पवित्रता की एक वजह उसमें पाये जाने शंकर रूपी पत्थर भी हैं और निर्मल पावन 'नर्मदा' अपने निकट रहने वालों को ही नहीं अपने आस-पास के सभी क्षेत्रों को पुण्य जल का दान देकर उनके जीवन की रक्षा करती और उन्हें हर तरह के पापों से मुक्त करती हैं आज के समय में लेकिन मानव ने अपने बुरे आचरण से उसको ही इतना मलिन और गंदा बना दिया कि उसके साथ-साथ खुद के अस्तित्व पर ही प्रश्नचिन्ह लगा दिया ऐसे में इन दिन का महत्व और भी अधिक बढ़ जाता हैं

जिसकी वजह से हमारा जीवन चलता हम उसका ही जीवन ले लेते ये जानते हुए भी कि न तो हम किसी को जीवन दे सकते और न ही जल का ही सृजन कर सकते हम तो केवल जीवन लेना ही जानते हैं पर, अपनी प्राकृतिक संपदाओं का हनन कर हम अपने साथ-साथ अपने आने वाली पीढ़ियों का भी भविष्य बर्बाद कर रहे हैं ऐसे में ये दिवस हमें अहसास कराते कि जिस तरह प्रदूषण व हमारी हरकतों से ये नदियां सिमट कर मिट रही इनकी दुर्दशा हो रही एक दिन हम भी विलुप्ति की कगार पर खड़े होंगे तब कोई न हमें बचा पायेगा अतः हम आज भी संभल जाये तो स्थिति काफी हद तक सुधर सकती हैं । हमारे पूर्वजों ने नदियों-पहाड़ों और पेड़-पौधों ही नहीं सृष्टि की हर एक वस्तु को ईश्वर व धर्म से इसलिये जोड़ा कि धर्मभीरु बनकर ही सही हम इनकी सुरक्षा के प्रति सचेत रहे परंतु हम तो इतने बड़े ज्ञानी और बौद्धिकवादी बन गये कि भगवान को नहीं मानते तब कुदरत की इन शय को किस तरह से पूजेंगे इनकी रक्षा करेंगे हमारे पूर्वज बिना पढ़े-लिखे ही इतने समझदार थे कि उन्होंने 20 सदी तक पीढ़ियों को सुरक्षित रखा पर, 21 वी सदी इतनी इंटेलिजेंट कि अपने पूर्वजों और उनकी बातों को दकियानूस, अंधविश्वास बताकर अपनी समाप्ति के लिये खुद गहरी खाई तैयार कर रही हैं ।

आज ही के दिन भगवान सूर्यदेव सात घोड़ों के रथ पर सवार होकर इस लोक में प्रकट हुए थे तो आज के दिन अचला सप्तमी, रथ सप्तमी और भानु सप्तमी भी मनाई जाती और इस व्रत का महत्व इतना अधिक हैं कि जो लोग साल भर सूरज की पूजा नहीं कर पाते यदि वो आज एक दिन ही पूजन व् व्रत करते तो इसके प्रभाव से उन्हें साल भर की जाने वाली पूजा का फल एक दिन में ही मिल जाता हैं आज के दिन प्रातःकाल उठकर सूर्य किरणों के निकलते ही स्नान करने से ये माना जाता हैं कि पुराने से पुराना रोग भी ठीक हो जाता हैं जिसे चिकित्सा विज्ञान ने भी मान्यता दी हैं कि सूर्य किरणों में तो आरोग्यता का वरदान छिपा हैं और जो शक्ति इसके माध्यम से हमारे शरीर को प्राप्त होती वो किसी भी दूसरे कृत्रिम साधन से उपलब्ध नहीं हो सकती हैं

सभी को नर्मदा जयंती, अचला सप्तमी की शुभकामनायें... ये आपके जीवन में सौभाग्य और निरोगता का वरदान लाये... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२४ जनवरी २०१८

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