सोमवार, 22 जनवरी 2018

सुर-२०१८-२२ : #बसंत_पंचमी_आई_सरस्वती_जयंती_लाई




माघ मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी विशेष होती क्योंकि ये वो शुभ अवसर जिस दिन प्रकृति में नव-जागरण का संदेश बदलते परिवेश से लक्षित होता तो इसके साथ ही सुखद सयोंग कि बुद्धि, विवेक, ज्ञान और कला की देवी माता सरस्वती भी आज ही प्रकट हुई और समस्त भूमंडल के वासियों को निर्मल मति और मधुर वाणी का वरदान दिया तब से ही हर कला साधक अपनी विद्यारंभ करने से पूर्व उनकी पूजन कर उनसे निपुणता का वरदान प्राप्त करना चाहता और यही वो दिन जब नन्हे-नन्हे बालक-बालिकाओं की शिक्षा का श्रीगणेश भी अनार या स्वर्ण शलाका के माध्यम से जिव्हा जागरण कर किया जाता फिर कलम से अक्षर ज्ञान कराया जाता इस दृष्टिकोण से हर एक व्यक्ति के लिये यह दिन बेहद ख़ास कि ‘शिक्षा’ या ‘कला’ ही वह माध्यम जिनके द्वारा कोई भी अपनी मजिल तक पहुँच सकता और अपने जीवन के लक्ष्य को पाकर अपना स्वप्न पूर्ण कर सकता हैं

हर एक कला साधक और ज्ञान पिपासु इस दिन का इंतजार करता जब वो अपनी आराध्या के चरणों में अपने श्रद्धा सुमन अर्पित कर उनके आशीर्वादों को फिर से रिचार्ज कर सके कि तकनीक के इस युग में अब तो हर चीज़ की वैलिडिटी एक निश्चित अवधि के पश्चात समाप्त हो जाती जिसे रिचार्ज के द्वारा पुनः सक्रिय किया जाता । तब ऐसे माहौल में कृपा हो या सुप्त होती मानसिक ऊर्जा उनको भी समाप्त होने से पूर्व ही साधना-अराधना कर पुनर्जागृत कर लिया जाता । सिर्फ इंसान ही नहीं कुदरत में भी यही परिवर्तन दृष्टिगोचर होता जब वो बसंत के आगमन के साथ ही नव-पल्लवों से अपने पेड़-पौधों को सजा लेती तो पुष्पों में भी नूतन निखर आ जाता जिससे सारी सृष्टि ही नवीन दिखाई देने लगती । याने कि परिवर्तन सृष्टि का नियम हैं जिसे वो इस तरह ऋतुओं को बदल-बदल साबित करती रहती फिर ‘बसंत’ को तो ऋतूराज कहा जाता तो ये मौसम और ये पर्व दोनों ही खासमखास जो हमें नई ऊर्जा से भर देते हैं ।

सभी मित्रों को ‘बसंत पंचमी’ और ‘सरस्वती जयंती’ की अनंत शुभकामनायें... ☺ ☺ ☺ !!!
    
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

२२ जनवरी २०१८

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