बुधवार, 3 जनवरी 2018

सुर-२०१८-०३ : #स्त्रीवाद_का_सशक्त_चेहरा


जाओ जाकर पढ़ो-लिखो
बनो आत्मनिर्भर, बनो मेहनती
काम करो-ज्ञान और धन इकट्ठा करो
ज्ञान के बिना सब खो जाता है
ज्ञान के बिना हम जानवर बन जाते है
इसलिए, खाली ना बैठो, जाओ, जाकर शिक्षा लो
तुम्हारे पास सीखने का सुनहरा मौका है
इसलिए सीखो और जाति के बंधन तोड़ दो
---सावित्रीबाई फुले

३ जनवरी १८३१ को नायगांव, महाराष्ट्र में जन्मी ‘सावित्री बाई फुले’ की पैदाइश के समय तक देश में लडकियों की स्थिति बेहद खराब थी उनको शिक्षा से भी वंचित रखा जाता था साथ ही जातिगत भेदभाव भी समाज में व्याप्त थी ऐसी परिस्तिथियों में उनको भी उस दौर में प्रचलित कुरीतियों का शिकार होना पड़ा परंतु अन्य महिलाओं की तरह इसे अपनी नियति समझकर खामोश नहीं रही बल्कि उन्होंने इसके खिलाफ़ एक जोरदार अभियान चलाया उन्हें खुद बाल-विवाह का सामना करना पड़ा और लड़की होने के कारण अशिक्षा के अभिशाप से भी ग्रस्त रही लेकिन, अपनी जुझारू प्रवृति व असीमित प्रतिभा का उन्होंने भरपूर दोहन किया । उनका शायद, जनम ही इस काम के लिये हुआ था इसलिये कम उम्र में ब्याह होने के बाद भी उनको साथी के रूप में ‘ज्योतिबा फुले’ जैसे समाज-सुधारक व जागरूक व्यक्ति का हाथ मिला तो फिर उन दोनों ने इतिहास रच दिया ।

उन्होंने बड़ी जल्दी ही ये जान लिया था कि, एकमात्र ‘शिक्षा’ ही वो अस्त्र हैं जिसका प्रयोग कर वो सामजिक बुराइयों से न केवल लड़ सकती हैं बल्कि उनको पराजित कर सदा-सदा के लिये मैदान से खदेड़ भी सकती हैं । इस बात का अहसास होते ही उन्होंने अपने पति के साथ मिलकर ये अभियान आरम्भ किया जिसके अंतर्गत उन्होंने विधवा पुनर्विवाह, बाल-विवाह निषेध, कन्या भ्रूण हत्या, कन्या शिक्षा जैसी मुहीम चलाई । जिसके लिये उन्हें समाज के विरोध का सामना भी करना पड़ा लेकिन मन में दृढ विश्वास, मजबूत इच्छाशक्ति, अटूट लगन व शुभ संकल्प की ज्योत जल रही थी तो किसी भी कठिनाई से डरी नहीं अथक, अनवरत अपने लक्ष्य पथ पर चलती रही तो सफ़लता किस तरह न मिलती । वे खुद इस माहौल का हिस्सा थी और उन सब तकलीफों से गुजर रही थी तो किस तरह से उसके दर्द को महसूस न करती इसलिये वे चाहती थी कि किसी को भी आगे इस तरह की अमानवीयता एवं असमानता की वजह से मजबूरियों के आगे घुटने टेकने को मजबूर न होना पड़े ।      

देश की प्रथम महिला शिक्षिका, कवयित्री, समाज-सुधारक ‘सावित्रीबाई फुले’ को आज जयंती पर शत-शत नमन... :) :) :) !!!
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)

०३ जनवरी २०१८ 

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