गुरुवार, 13 सितंबर 2018

सुर-२०१८-२५४ : #शिव_पार्वती_का_दुलारा #घर_आया_मेहमान_सबका_प्यारा




अगले बरस तू जल्दी आ...

कहकर विदा करते जिस प्यारे को वो अपना वादा निभाता और जल्दी से हम सबके बीच वापस आ जाता यूँ तो कोई भी दिन हो या कोई भी काम की शुरुआत उसका नाम लिए बिना होती नहीं फिर भी जो आनंद ‘गणेशोत्सव’ में आता वो अवर्णनीय है...

गणपति बप्पा मोरया...

सुबह से ही ये नारे लगाते हुए सब अपने-अपने घरों से निकल जाते अपने प्यारे दोस्त, भगवान् और उस मेहमान को लिवाने जिसके लिये घर का कोना सजाकर रखा होता एक-दो दिन पूर्व से ही सारा परिवार तैयारी में लग जाता कि कब गणेश चतुर्थी आये और शुभ-मुहूर्त में गणेश प्रतिमा स्थापित कर पूजा की जाये और उनको लड्डू-मोदक का भोग लगाकर सबकके साथ-साथ खुद का भी मुंह मीठा किया इसी पल का तो इंतजार था...

जय गणेश, जय गणेश, जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती पिता महादेवा...

सुबह-शाम इस आरती के साथ शुरुआत हो जाती दस-दिवसीय गणेशोत्सव की जिसमें सबसे ज्यादा भागीदारी नन्हे-मुन्ने बच्चों की और उसके बाद सभी परिजनों की होती और इस तरह से घर के सबसे छोटे सदस्य अपनी परंपरा और संस्कृति से जुड़ते और ईश्वर को कोई भय नहीं अपना मित्र समझते जिसके साथ अपने सभी सुख-दुःख साँझा कर सकते है...      

वक्रतुंड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभः
निर्विघ्नं कुरु में देव सर्वकार्येषु सर्वदा

प्रतिदिन घर में मंत्रों के द्वारा दिन का शुभारंभ होता और इस बहाने घर के बच्चों में संस्कार की नींव मजबूत होती वे अपने धर्म के रीति-रिवाज सीखते और अपनी मधुर बोली में तरह-तरह के मंत्र बोल अपने अंतर ही नहीं वातावरण में भी सकारात्मक तरंगें निर्मित करते जिसके प्रभाव क्षेत्र में आने वाले सभी सकारात्मकता से भर जाते हैं...

यही तो होता हर एक परंपरा या रवायत का उद्देश्य की इंसान की जड़ें अपनी मिट्टी से गहरे तक जुड़े और उसके भीतर अपनी मातृभूमि, जन्मभूमि के प्रति ऐसी भावना भरे कि सात समंदर पार जाकर भी कोई उसकी बुनियाद हिला न सके और वो अपनी इस प्राचीन परंपरा को आने वाली पीढ़ियों में इसी प्रकार हस्तांतरित कर सके जिस तरह उसके पूर्वजों ने ये धरोहर पूर्ण आस्था-विश्वास के साथ उसके हाथों में सौंपी थी...   

आज तक उस परंपरा का निर्वहन अनवरत जारी हैं और अनंत काम तक यूँ ही होता रहे इस मनोकामना के साथ सबको दस दिवसीय गणेशोत्सव की अनंत शुभकामनाएं... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१३ सितंबर २०१८

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