शनिवार, 8 सितंबर 2018

सुर-२०१८-२४९ : #साक्षरता_तो_बढ़ी_हैं #बेरोजगारी_मगर_नहीं_घटी_है



(विश्व साक्षरता दिवस विशेष)

स्कूल चले हम
साक्षरता अभियान
पढ़ेगा इंडिया, तभी तो बढेगा इंडिया
बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ
शिक्षा का अधिकार
चलो पढ़ाये, कुछ कर दिखाये

न जाने कितने तरीकों से देश में साक्षरता को बढ़ाने प्रयास किये जा रहे जिसका नतीजा कि देश में साक्षरता का दर भी बढ़ता जा रहा लेकिन, ये क्या कि पढ़े-लिखे लोगों की संख्या में तो बढ़ोतरी हुई मगर, रोजगार उस दर से नहीं बढ़े फलस्वरूप बेरोजगारी का प्रतिशत भी बढ़ा और अब जो उच्च शिक्षित युवा वे बेकार बैठे तो खाली दिमाग शैतान का घर साबित करते हुये अपराध की तरफ प्रवृत हुये आखिर, कुछ तो करना ही हैं बैठकर ही तो नहीं रहना है तो जब तक टाइमपास या इधर-उधर की बातों में समय बीत गया ठीक जो बचा तो उसमें क्या किया जाये

क्योंकि, जीवन ऐसे खाली ही तो नहीं बीत सकता इसलिये जब पैसा कमाने का कोई जरिया न हो उस पर ज्ञानार्जन करने से ज्ञान चक्षु खुल चुके हो तब जितना शार्प माइंड उतना ही तेज वार तो जहाँ एक बार दिग्भ्रमित या गुमराह हुआ फिर उसे किसी भी तरह के गुनाह को करने से रोकना मुश्किल होता वैसे भी ये एक दलदल जिसमें कोई एक बार गिरा तो फिर धंसता ही चला जाता जैसा कि आजकल देखने में आ रहा कि जितने भी अपराधी पकड़ में आते सभी लगभग शिक्षित होते जो उनकी बेकारी को दर्शाता हैं

चलो माना कि सब ऐसा नहीं करते और शिक्षा से उनके भीतर के अवगुण खत्म हो जाते तो वे गलत की तरफ कदम ही न बढाते पर, उनके सद्विचार या नेकी से भी तो उनका कोई भला नहीं होता बस, एक दिन गहरी निराशा में भर जाते और आत्महत्या की राह अपनाते जिसका जिम्मेदार कौन क्योंकि, पढ़ाई-लिखाई का एकमात्र उद्देश्य रोजगार ढूँढना ही समझा जाता इस देश में तो और बाकी का ज्ञान तो बिना पढ़े भी मिल जाता तो जब पढ़ने से वो समस्या हल ही न हो तो फिर उसके प्रति नकारात्मकता आना स्वाभाविक हैं         

अभी ज्यादा दिन नहीं हुए जब उत्तरप्रदेश सरकार ने पुलिस विभाग में चपरासी के 62 पदों के लिये विज्ञापन निकला तो आश्चर्य की बात कि उसके लिये 93 हजार आवेदन आये जिसमें से 28 हजार पोस्ट ग्रेजुएट, 54 हजार ग्रेजुएट के तो 3700 पी.एच.डी. के थे जिसने यू.पी. पुलिस को भी अचंभे में डाल दिया क्योंकि, इस पद के लिये न्यूनतम योग्यता केवल 5वीं पास थी जबकि, आवेदन करने वाले उच्चतम शिक्षित थे और पांचवी पास के 7400 आवेदन आये थे याने कि 62 पदों के मुकाबले वो भी आवश्यकता से कई गुना अधिक थे     

इसने एक बार पुनः बेरोजगारी और साक्षरता की विषमता को प्रकट कर दिया कि देश ने ‘विश्व साक्षरता दिवस’ से प्रेरणा लेकर अपने देश में इसका खूब प्रचार-प्रसार किया मगर, वे उतने रोजगार के अवसर उत्पन्न नहीं कर पाए जितनी तेजी से साक्षर लोगों का ग्राफ तेजी से बढ़ता गया और इसने देश व सरकार के सामने बड़ा प्रश्न खड़ा कर दिया कि यदि इस खाई को पाटा नहीं गया तो अंजाम बद से बदतर हो सकता है ऐसे में आज ‘विश्व साक्षरता दिवस’ पर यही सोचना कि किस तरह इस समस्या को हल किया जाये क्योंकि, साक्षर होना तो आसान हैं पर, बेरोजगारी के समक्ष उसे सहेजकर रखना कठिन ही नहीं नामुमकिन है

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०८ सितंबर २०१८

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