बरसों-बरस
तपस्या की थी
पृथ्वी ने
तब जाकर जीवन
का वरदान पाया
जल, वायु,
अग्नि, बादल और मृदा ने सजाकर
सुंदर हर-भरा
प्राकृतिक स्वरुप बनाया
सूर्य,
चन्द्रमा, सितारे और ग्रह-नक्षत्र ने मिलकर
अम्बर के आनन
को खूब सुंदर सजाया
नदी, पहाड़,
झरनों, पेड-पौधों और जंतुओं ने भी
धरती का पथरीला
आँगन महकाया
संवर गया आसमान
तो निखर गयी वसुंधरा
ओज़ोन परत ने फिर
बीच में इनके
जहरीली गैसों
से बचाने जीवन को कदम उठाया
वायुमंडल को सुरक्षा
कवच पहनाया
रहकर इस सुरम्य
सुरक्षित वातावारण में
हमने उसे ही
नुकसान पहुँचाया
जान पर बन आई
अब तो
धीरे-धीरे जब
हाथों अपने सब लुटाया
अब भी न हुई
हैं कयामत
अब भी बचा सकते
हम जो कुछ शेष
कर सकते
निर्माण जो गंवाया
दिलाने ये याद
हम सबको आज
विश्व ओजोन परत
सरंक्षण दिवस आया ॥
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१६ सितंबर २०१८
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