शुक्रवार, 14 सितंबर 2018

सुर-२०१८-२५५ : #हिंदी_को_अब_यूँ_अपनाये #हर_सांस_में_अपनी_इसे_बसाये




हिंदी जैसी कोई नहीं
भाषा ऐसी एक ही बनी
वर्ण बहुत इसमें भरे
जिनसे नये-नये शब्द है बने
बोलो जैसी, लिखो वैसी
इसमें नहीं मूक व्यंजन कोई
संस्कृत की है प्यारी बेटी
कहावत-मुहावरों की नहीं कमी
जैसी करनी, वैसी भरनी
ज्ञान की ऐसी कई बातें है भरी
हर अक्षर ब्रम्ह स्वरूप
लिखे सदा सार्थक वाक्य संपूर्ण
सहज-सरल जाती लिखी
इसका आधार देवनागरी लिपि
शब्दों के पर्याय इसमें कई
जब भी पढ़ो-गुनो इसे लगती नई
राष्ट्रभाषा का मान इसे मिला
राजभाषा बना हमने प्रयोग किया
14 सितंबर 1953 का दिन
*हिंदी दिवस* बनकर गया खिल
आओ इसे कुछ यूं मनाये
हर दिन हम हिंदी को अपनाये
आओ हिंदी राष्ट्र बनाये
फिर से वो हिंदुस्तान बसाये
जहां हिंदी ही हिंदी हो
किसी से न उसकी तुलना हो
अपना देश, अपनी भाषा
मां जैसी हमें ये देती दिलासा
पूरी करें इसकी हर आशा
हमसे इसकी जो उम्मीदें है बंधी
उसे पूरा करने की आई घड़ी
अभी नहीं तो कभी नहीं
रोमन में न इसको तुम लिखना
हिंदी कुंजीपटल फोन में अपने रखना
निज भाषा की उन्नति करना
सकल उन्नति का है ये मूल न भूलना
हिय में न चुभा शूल कोई रखना

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
१४ सितंबर २०१८

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