‘दादाजी’ सुबह
सैर से लौटे तो रोज की तरह खाली हाथ नहीं थे बल्कि, हाथ में फूलों का गुलदस्ता और
चॉकलेट का एक बड़ा पैकेट था जिसे देखकर उनका चार वर्षीय पोता ‘जय’ उसे खाने को मचल
उठा परंतु, दादाजी ने साफ़ मना कर दिया कि ये उसके लिये नहीं है । तब उसने बड़ी मासूमियत से पूछा, “फिर किसके लिये है घर में तो मेरे
सिवाय कोई दूसरा बच्चा नहीं है” तो दादाजी मुस्कुराते हुये बोले, “आज ‘शिक्षक दिवस’
हैं न तो ये मेरे गुरु के लिए है उसकी फेवरेट चॉकलेट्स और फ्लावर्स” ।
तब ‘जय’ चेहरे
को गंभीर बनाते हुये बोला, “अब झूठ बोल रहे हो दादाजी, कोई टीचर क्या कभी चॉकलेट्स
खाते है उल्टा वो तो खाने को मना करते हैं इसलिये ये आप मुझे दे दो और उनको
फ्लावर्स दे देना” ।
तब दादाजी
हंसते हुये बोले, “भई, मेरे गुरु को तो यही पसंद है मैं क्या करूं इसलिये मैं लाया
अब क्या करें तुम्हे भी चाहिये तो चलो ऐसा करते हमारे गुरुदेवसे पूछते क्या वो इसे
तुम्हारे साथ शेयर करना पसंद करेंगे आखिर, एक-दो नहीं पूरा डब्बा भर चॉकलेट्स है”।
‘जय’ के
चेहरे पर मुस्कुराहट खेलने लगी और बोला, “सच, आपके टीचर इसे मेरे साथ शेयर करेंगे
फिर तो मजा ही आ जायेगा दादाजी इसमें तो बहुत सारी चॉकलेट्स निकलती है मैं मम्मी
के पास जाता और उनसे परमिशन लेकर आता आके साथ जाने की” झट से ये खाकर वो किचन की
तरफ भागा जहाँ उसकी माँ खाना बना रही थी ।
इधर
दादाजी उसे पुकारते रहे और उधर वो अपनी मम्मा के पास पहुंच गया और उसके पीछे-पीछे
दादाजी भी आ गये और हाथ में थामा हुआ बुके अपनी बहु ‘कोमल’ की तरफ बढ़ाते हुये
बोले, “हैप्पी टीचर्स डे” तो कोमल, बोली... “पर, बाबूजी, ये आप मुझे क्यों दे रहे
है?” तब उन्होंने उसके सर पर हाथ रखते हुये कहा, “बेटी तू मेरी बहु जरुर है पर,
साथ ही मेरी गुरु भी है जिसकी वजह से मैं मोबाइल, लैपटॉप चलाना सीखा और आज अपने
सीनियर सिटिज़न क्लब में सबसे होशियार माना जाता हूँ तो ऐसे में आज तू ही इसकी
सच्ची हकदार है” ।
उनकी बात
सुनकर कोमल बोली, “बाबूजी, आपको मॉडर्न टेक्नोलॉजी की वजह से परेशान होता देखकर
मैंने ये निर्णय लिया और अब आप अपने दोस्तों को भी ये सब सिखाये चाहिये जिससे कि वे
भी दूसरों के मोहताज न रहे और आपकी तरह अपने काम स्वयं कर सके वही सच्ची गुरुदक्षिणा
होगी” ।
उसकी बात
सुनकर वे बोले, “तुम सही कह रही बहु हमें ये करना चाहिये जिन्हें तकनीक का ज्ञान
नहीं उन्हें ये शिक्षा देनी चाहिये जो आज की सख्त जरूरत है” ।
उनको
बातों में व्यस्त देखकर ‘जय’ ने चॉकलेट्स का पैकेट खोलकर खाना शुरू कर दिया और
एक-एक उनकी तरफ बढ़ाकर बोला, “मैं भी आप दोनों की तरह बनूंगा और जो मुझे आता होगा
वो अपने दोस्तों को सिखाऊंगा इस तरह हम सब एक-दूसरे से कुछ सीख सकते है न... इस
बात पर आप सबको भी “हैप्पी टीचर्स डे”... ☺
☺ ☺ !!!
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
०५ सितंबर २०१८
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