शुक्रवार, 7 सितंबर 2018

सुर-२०१८-२४८ : #हर_जोर_जुल्म_की_टक्कर_में_संघर्ष_हमारा_नारा_है




कितनी मुश्किल से एक माँ अपनी संतान को जन्म देती और हर तरह के कष्ट सहकर भी उसका अच्छे-से-अच्छा लालन-पालन करने की कोशिश करती है जिसमें पिता की भी भूमिका को नकारा नहीं जा सकता जो इसमें बराबरी से सहयोग करता जिससे कि वे उसको वो सब कुछ दे सके जो उसके लिये आवश्यक है यदि वे आर्थिक रूप से कमजोर हो, किसी छोटी जगह-से ताल्लुक रखते हो और सामाजिक बंधनों से भी घिरे हो जिस पर उनकी संतान ‘बिटिया’ हो तो उन दोनों की मुश्किलों का अंदाजा लगाना भी नामुमकिन है किस तरह से वे उसका समुचित ध्यान रखते हुये उसे एक बेहतर जीवन देने के लिये अपना सब कुछ दांव पर लगा देते हैं

कुछ इसी तरह की विषम परिस्थितियों के बीच सागर जिले की देवरी-तहसील के छोटे-से ग्राम-तीतरपानी में रहने वाले ‘सोबरन सिंह लोधी’ और उनकी पत्नी ‘प्रेमवती बाई’ के घर पुत्री रत्न का जन्म हुआ जिसे उन्होंने बड़े प्यार से ‘अर्चना’ नाम देकर अपनी क्षमता से बढ़कर उसकी परवरिश की और कठिन हालातों के बावजूद भी उसे बारहवीं कक्षा तक की तालीम दिलवाई फिर उसके बाद जैसा कि गाँव-कस्बे की रवायत कि जहाँ लड़की ने किशोरावस्था पार की उसकी शादी की चिंता सताने लगती तो जहाँ अपने समाज का अच्छा-सा लड़का दिखा भले फिर वो लड़की से कम पढ़ा-लिखा हो अपनी बेटी को उससे ब्याह देते उन्होंने भी वहीं किया और २०१२ में नरसिंहपुर जिले की सुआतला-तहसील के मुर्गाखेडा-गाँव के ‘सतीश कुमार लोधी’ जो कि केवल दसवीं तक ही पढ़ा था के साथ उसकी शादी कर जो कुछ संभव था वो सब देकर सुखी जीवन के आशीष सहित विदा कर दिया

यहाँ से ‘अर्चना’ के जीवन का वो अध्याय शुरू हुआ जिसका उसे क्या किसी भी लड़की को इल्म नहीं होता जबकि, पैदाइश के साथ ही उसे ससुराल व सास के उलाहने देकर पाला जाता उसके बाद भी उसे ये अहसास नहीं होता कि जहाँ वो आ गयी वहां उसके साथ किस तरह का व्यवहार किया जायेगा उसे तो बस, इतना ही पता होता कि चाहे जो हो उसे हर हाल में सबके साथ निभाना और अंतिम सांस तक यही रहना हैं तो फिर वो हर जुल्मों-सितम सहते हुये भी अपने मायके वालों से सब कुछ छिपाकर होंठों पर मुस्कराहट सजाये बनी रहती हैं उसने भी वहीँ किया पति द्वारा मारे-पीटे जाने या उसके पीने-पिलाने का न तो स्वयं ही विरोध कर सकी न ही अपने पालकों को बता पाई शायद, उसे पता हो कि इससे कुछ होने वाला नहीं तो भी जुबान को सिलकर रही जो माता-पिता को भी कुछ कभी नजर आया तो उन्होंने भी उसे सामान्य समझकर कोई कदम नहीं उठाया तो गाड़ी अपनी रफ़्तार से चलने लगी जिसमें उतार-चढ़ाव आते रहे और २०१८ आ गया याने कि पूरे ६ साल बीत गये

अब आया कहानी में वो मोड़ जिसकी किसी को कल्पना न थी...

०१ जुलाई २०१८ को उसके ससुराल के पडोस में रहने वाले ‘अंजन लोधी’ का अर्चना के पिता के पास फोन आया और उसने उन्हें बताया कि, विगत रात उनका दामाद हाथ में पिस्तोल लेकर ने केवल उनकी पुत्री के साथ बेहद मार-पीट कर रहा था बल्कि, उसके गले में गमछा डालकर उसे खींचते हुये भी लेकर गया । उसने उसे ऐसा करने से रोका तो उसके साथ गाली-गलोच की और घर का मामला कहकर उसे डपट दिया तो ये खबर सुनते ही पिता उसके ससुराल पहुंचे । जहाँ उन्हें बताया गया कि उनकी बेटी घर से भाग गयी और उन्हें भी अपमानित कर घर से निकाल दिया तो वे सीधे थाना पहुंचे जहाँ उन्होंने २ जुलाई को इस बात की रिपोर्ट की तो थाना सुआतला पुलिस ने अर्चना लोधी की अनुपस्थिति में धारा 498 ए, 294, 323, 34 भादवि एवं 3, 4, दहेज प्रतिषेध अधिनियम का मामला पंजीबद्ध किया । उसके बाद उन्होंने देर न करते हुये ३ जुलाई को नरसिंहपुर पुलिस अधीक्षक को एक आवेदन सौंपा पर, जब लगातार तारीख पर तारीख बीतते-बीतते काफी समय गुजर गया तो उन्होंने पुलिस महानिरीक्षक को आवेदन देकर बताया है कि 30 जून 2018 से उसकी पुत्री लापता है, हमे आशंका है कि हमारी पुत्री अर्चना लोधी की हत्या कर दी गई है तथा पुलिस इस दिशा में कार्रवाई नही कर रही जबकि, उक्त संबंध में कई बार आवेदन दिये गये हैं और उल्टे आवेदक को अनावेदकगण मामला उठाने के लिये धमकी दे रहे हैं। दोनो पति-पत्नि ने सतीश लोधी एवं उसके परिजनों पर हत्या का मामला दर्ज कराने की मांग की पर, गुमशुदगी की FIR दर्ज की गयी । इस बीच उन्होंने कलेक्टर, आई.जी.(जबलपुर) और मुख्यमंत्री हेल्प लाइन समेत जहाँ भी न्याय की उम्मीद थी हर दरवाजा खटखटा लिया । पर, न तो उनकी किसी शिकायत पर कोई कार्यवाही हुई और न ही उनके जमाता से कोई पूछताछ की गयी जबकि, उन्हें संदेह हैं कि उसके द्वारा उनकी बेटी की निर्मम हत्या की जा चुकी हैं । हालाँकि, इस संबंध में पुलिस अधीक्षक का कहना है कि मैंने इस मामले को गंभीरता से लिया है और सतत रूप से संबंधितों से पूछताछ की जा रही है, गहन विवेचना हो रही है ओर पीडित पक्ष को न्याय मिलेगा इसके लिए साक्ष्य जुटाने हर संभव कार्यवाही की जा रही है। जरूरत पड़ी तो संबंधितों का नार्को टेस्ट भी कराया जायेगा।

ऐसी स्थिति में सब जगह से निराश होकर अब वे जनता की अदालत में आ गये न्याय की गुहार लेकर और पिछले दो दिन से स्थानीय जनपद मैदान में नीम के पेड़ के नीचे भरी बरसात में नम आँखों के साथ खड़े हैं । इस उम्मीद पर कि हम सब मिलकर उनकी मदद करें और अपनी ताकत दिखाये ताकि न केवल सच्चाई सामने आये बल्कि, गुनाहगार को सजा भी मिले । इसलिये आज हमने जब ये खबर सुबह अखबार में पढ़ी तो उनसे मिलने पहुंचे जहाँ जाकर ये पूरी कहानी पता चली तो अब नरसिंहपुर के सभी लोगों से विनम्र आग्रह है कि वे भी साथ आकर उनकी सहायता करे और जो भी इस मामले में आगे किया जाना हैं उसके लिये भी उन्हें मार्गदर्शित करे । जिससे कि बड़ी आशाओं के साथ भगवान् नृसिंह की धरा पर आये ये माता-पिता जो अपनी बेटी को तो खो चुके है अब अपनी उम्मीद न खोये जिसके भरोसे वे लगातार हो रही बारिश की परवाह न करते हुये सिर्फ इसलिए खड़े कि बिटिया की आत्मा जो न जाने कहाँ-कहाँ भटक रही उसे शांति प्रदान कर सके और वो ये न कहे कि ‘अगले जनम मोहे बिटिया न कीजो’ ।

सभी से केवल यही अपील कि अधिक-से-अधिक संख्या में ‘जनपद मैदान’ में आये उनका सहारा बने उनको भरोसा दिलाये कि वे अकेले नहीं हैं... अन्याय और जुल्म के खिलाफ हम सब साथ-साथ हैं... जय हिंद ।           

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०७ सितंबर २०१८

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