सोमवार, 3 सितंबर 2018

सुर-२०१८-२३४ : #सुविधानुसार_बनते_इंसान_या_भगवान् #श्रीकृष्ण_को_इस_तरह_आंकते_बेईमान




‘कृष्ण’ जेल में जन्म लेकर भी हर बुराई से दूर रहे पैदाइश से अंत तक संघर्षों के बीच पले लेकिन, उसके बाद भी न तो नकारात्मक बने, न अपने आत्मविश्वास को ही गिरने दिया यहाँ तक कि ऐसी-ऐसी खतरनाक परिस्थितियां सामने आई व ऐसे-ऐसे हैरतअंगेज कारनामे व घटनायें उनके साथ घटित हुई कि वो चाहते तो आसानी से अपराध का दामन थाम कर खुद को मजबूर व हालात का मारा साबित कर सकते थे जैसा कि अक्सर गुनाहगार या आतंकवादी करते है और फिर जघन्य डाकू व खूनी-दरिंदे होते हुये भी लोगों के आदर्श व राजनेता तक बन जाते है

यदि वे एक सामान्य इंसान की तरह ऐसा कदम उठाते तो फिर किस तरह से साधारण से आसाधारण बनते पर, उनका तो जन्म ही दूसरों को जीवन देने व पथ बताने के लिये हुआ था तो हर तरह के प्रतिकूल या विपरीत हालात में भी उन्होंने अपने किसी भी गुण को अवगुण में बदलने नहीं दिया बल्कि, खुद को हर कसौटी पर परखने के लिये उनसे निबटने का फैसला किया जिसने उनके भीतर एक नवीन क्षमता का निर्माण किया और उनको पहले से अधिक मजबूत व जुझारू बना दिया जिसने हमको ये सिखाया कि मुश्किलों से डरे नहीं, झुके नहीं तो अंततः उनको झुका सकते हैं

उन्होंने बाल रूप से लेकर किशोर व युवावस्था तक अनगिनत दुश्मनों व धर्म युद्ध तक का सामना किया फिर भी उनके आगे घुटने नहीं टेके वरन उनको ही धूल चटा दी और विजयश्री का वरण किया और लघु से विराट स्वरुप तक पहुंचे और यदि हम भी चाहे तो इसी तरह से अथक अनवरत सतत कर्म करे तो अपने क्षेत्र में शीर्ष स्थान पर पहुंच सकते है पर, शोर्टकट के अभ्यस्त बनते जा रहे लोगों को ये सब बातें बोझिल लगती तो वे उन्हें भगवान् कहकर पल्ला झाड लेते कि इसलिये उनके लिये ये सम्भव था और चूँकि वो इंसान तो उनकी बराबरी किस तरह से कर सकते हैं हां बात यदि माखन चोरी, गोपियों के वस्त्र चुराने या रास रचाने की हो तो फिर उनसे आगे निकलकर दिखा सकते और वही कर भी रहे है ।    

सूक्ष्म जीवों को देखने सूक्ष्मदर्शी या अन्य यंत्रों का निर्माण कर लिया गया हैं लेकिन, सूक्ष्म बातों को ग्रहण करने के लिये जिस सूक्ष्म बुद्धि की आवश्यकता होती वो अभी तक विकसित नहीं कर पाये लोग तो स्थूल दृष्टि से उन्हें वो सब गूढ़ बातें या रहस्य समझ न आते जो उनकी कहानी या चरित्र में नजर आते तो उसका आंकलन अपनी मोटी बोले तो खोटी अक्ल से करने पर उनको सब कुछ खोटा ही नजर आता वैसे ही खरे का तो जमाना ही न रहा हर चीज़ में मिलावट तो फिर सोच या विचार किस तरह से शुद्ध होंगे उनके जो अपने जीवन को अपने हिसाब से जीने नैतिक मूल्यों तक को बदल रहे संस्कारों व परंपराओं को धता बता रहे केवल ‘माय लाइफ, माय चॉइस, माय डिसीजन’ ही उनका जीवन मंत्र है

जो खुद कुछ नहीं वे भी महापुरुषों, क्रांतिकारियों व अवतारों तक एक बारे में ऐसे टीका-टिप्पणी करते जैसे वे तो बड़े महान और ये सब तुच्छ जबकि, इनकी न तो आज कोई हैसियत न इनके न रहने पर ही होगी पर, ये सब कल भी थे, आज भी हैं और कल भी रहेंगे और इनके नाम से दुनिया भारत को पहचानेगी फिर चाहे ये लोग उनके बारे में कितना भी गंदा या निकृष्ट लेखन ही क्यों न करें इनकी छवि उतनी ही उज्जवल और दृढ़ता के साथ उनके चाहने वालों के दिलों-दिमाग में अंकित होती जायेगी जैसे आज भी कुछ नासमझों ने कृष्ण के चरित्र पर उँगलियाँ उठाई तो मुझे उन पर तरह आया और मैंने प्रार्थना कि, “हे प्रभु, ये सब जेहनी तौर पर बीमार हैं और नहीं जानते कि ये क्या कह रहे इसलिये इन्हें क्षमा करना”  यही इनका इलाज़ है क्योंकि, मूर्खों से बहस शास्त्रों में भी मना है ।

हम सब श्रीकृष्ण के जीवन दर्शन से एक भी सबक ले सके तो हमारा जीवन धन्य हो जाएगा तो यही हम उनसे मांगे जैसे ‘कुंती’ ने उनके द्वारा वरदान मांगे जाने पर विपत्तियाँ चाही थी ताकि, वे सदैव उनको अपने निकट महसूस कर सके... ऐसी भक्ति जब होती तब उनकी कृपा प्राप्त होती... सब पर उनकी कृपा बारिश हो आज जन्माष्टमी पर यही शुभकामना... हैप्पी बर्थ डे कान्हा... ☺ ☺ ☺ !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
०३ सितंबर २०१८

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