शुक्रवार, 11 जनवरी 2019

सुर-२०१८-११ : #देश_के_नौजवानों_का_मार्गदर्शक #स्वामी_विवेकानंद_का_जीवन_दर्शन_०२



देश के भावी कर्णधार हमारे युवाजन यदि ‘स्वामी विवेकानंद’ को आत्मसात करे तो ने केवल स्वयं का अपितु देश का कल्याण भी कर सकेंगे और जिस तरह से उन्होंने अनगिनत लोगों को प्रेरणा देने का कार्य किया वे भी कर सकेंगे जिसकी आज सर्वाधिक आवश्यकता है क्योंकि, ‘नरेन्द्र’ को ‘स्वामी विवेकानंद’ बनाने का श्रेय उनके गुरुदेव ‘रामकृष्ण परमहंस’ को जाता जिन्होंने एक लक्ष्यविहीन युवक को जीवन का ऐसा मिशन दिया जिसके पूर्ण होते ही हमारा देश विश्वमंच पर स्थापित हुआ और वे पश्चिम से एक ऐसे सूर्य की तरह उभरे जिसके प्रकाश से सभी दिशायें प्रकाशित हो उठी और युवकों को उनमें अपनी छवि दिखाई दी और वे उनकी तरह बनने का संकल्प लेने लालायित हो उठे थे

उनको अहसास हुआ कि यदि वे चाहे तो मुश्किल कुछ भी नहीं न ही उम्र और न ही सरहद ही कोई बाधा केवल निश्चय करने की देर है और असम्भव का संधान करने की सुप्त ऊर्जा जागृत होकर नसों में इस तरह से लहू के बहाव को तेज कर देती कि नकारात्मकता का कोई नामो-निशान ही शेष नहीं रह जाता और ‘टारगेट’ के सिवाय कुछ भी नजर नहीं आता व्यक्ति तब तक बिना थके, बिना रुके अनवरत चलता रहता जब तक उसको प्राप्त नहीं कर लेता है तभी तो उन्होंने अपने सम्पूर्ण जीवन में जो भले ही कम था परंतु, हर एक पल को यूँ जिया मानो एक जन्म में ही हजारों जन्म जी लिये जिसका परिणाम की इतना कुछ वो लिखकर गये कि आने वाली पीढियां भी उनसे लाभान्वित हो सके

आज के अधिकांश जवान के जीवन का उद्देश्य समझ नहीं आता वे तो बस, सालों को गुजारे रहे तो समय को काट रहे जबकि, स्वामी जी तो चार दशक के सीमित सफर जिसमें भी सार्थक तो बेहद अल्प मगर, वे उसमें ही इतने सारे काम कर गये जितने कोई लम्बी आयु पाकर भी नहीं कर पाता है स्वामी जी का यही मानना था कि, जिस तरह जल की धारा यदि थम जाये तो उसका जल दूषित व हानिकारक हो जाता उसी तरह से यदि युवा के पास भी जीने की कोई सटीक वजह और जीवन का कोई सुनिश्चित लक्ष्य न हो तो उसकी गति अवरुद्ध हो जाती और दिशाहीन होकर वो भटक जाता जिसका दुष्परिणाम केवल वो अकेला नहीं उसके परिजन व समाज भी भुगतता है और देश वो किस तरह से अछूता रह सकता तो वर्तमान परिस्थितियों को देखते हुये ये अत्यंत आवश्यक कि देश का युवा वर्ग न केवल अपनी जिम्मेदारी समझे बल्कि, उसे अपने देश के इतिहास, आदर्श व सभ्यता-संस्कृति की भी सटीक व सत्य जानकारी हो

क्योंकि, जिस देश की नवजवान पीढ़ी अपनी जड़ों से जुडी नहीं होती या जिसे अपनी परम्पराओं पर गर्व नहीं होता वो न तो खुद तरक्की करता न राष्ट्र को ही प्रगति के पथ पर ले जा पाता इसलिये मोबाइल के एप्स की भूलभुलैया में खोई जनरेशन को ये समझना होगा कि वो गलत-सलत एवं भ्रामक सन्देशों में उलझने जी जगह उस समय का सही सदुपयोग करे और अपने साथ-साथ अपने ही जैसे भ्रमित युवाओं को भी सच का मार्ग दिखाये जिस तरह से स्वामी जी ने अपने कर्तव्य पथ का चयन करने के बाद अपने जैसे लाखों-करोड़ों का जीवन संवारा उन्हें जीना सिखाया और आज तो इसकी सबसे ज्यादा जरूरत भी है    

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी ११, २०१९

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