मंगलवार, 15 जनवरी 2019

सुर-२०१९-१५ : #भारतीय_सेना_की_ताकत_बढ़ी #महिला_भी_बन्दूक_ले_साथ_में_खड़ी




15 अगस्त 1947 को तो देश ने तो फिरंगी सरकार के चंगुल से मुक्त होकर खुली हवा में स्वतंत्रता की सांस ले ली पर, भारतीय सेना अभी भी उसके कब्जे में थी । यूं तो भारतीय आर्मी का गठन 1776 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने कोलकाता में किया था पर, उस पर नियंत्रण अंग्रेजी सरकार का ही था और 15 जनवरी 1949 में वो ऐतिहासिक दिन आया जब भारतीय फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा ने ब्रिटिश जनरल फ्रांसिस बुचर से भारतीय सेना की कमान अपने हाथों में ली और इस तरह जनरल फ्रांसिस बुचर भारत के आखिरी ब्रिटिश कमांडर इन चीफ एवं फील्ड मार्शल के.एम. करियप्पा भारतीय आर्मी के पहले कमांडर इन चीफ बने । आज भारतीय सेना को आजादी मिली तो आज का दिन हमारे लिये उतना ही महत्वपूर्ण है जितना कि स्वतंत्रता दिवस जब भारत ने स्वतंत्र होकर बागडोर अपने हाथों में ली और फिर लगभग 15 महीने बाद सेना को भी अपने अधिकार वापस मिले ।

आज उसी जश्न का दिन है जब इंडियन आर्मी अपना 71वां आर्मी डे मना रही है और इसकी खास बात यह है कि, आज की आर्मी परेड का नेतृत्व एक महिला अफसर ‘लेफ्टिनेंट भावना कस्तूरी’ द्वारा किया जायेगा इस तरह मातृशक्ति आर्मी सर्विस को लीड करेंगी ये नजारा पहली बार दिखाई देगा जो इतिहास में दर्ज किया जायेगा जब सामने होंगे आर्मी चीफ बिपिन रावत जो सलामी लेंगे इसके अलावा ‘कैप्टन शिखा सुरभी’ जो आर्मी की डेयरडेविल्स टीम में जगह बनाने वाली पहली महिला ऑफिसर है बाइक पर स्टंट करेंगी तो कैप्टन भावना स्याल ट्रांसपोर्टेबल सैटेलाइट टर्मिनल के साथ परेड पर भारतीय सेना की ताकत दिखाएंगी इस तरह आज एक नया अध्याय लिखा जा रहा जहां अब तक देश के सपूत हो जान की बाजी लगाते थे वहां अब देश की वीर पुत्रियां भी अपनी ताकत का परिचय दे रही है जो साबित करता कि महिलाएं केवल फैशन ही नहीं करती परेड भी करती है ।

ये दिवस हमें हमारे वीर सैनिकों की शहादत और उनके कर्तव्यों का स्मरण कराता जिसकी वजह से हम अपने-अपने घरों में चैन से रहते ऐसे में उनके प्रति अपना इतना तो फर्ज बनता कि हम उनके लिये ईश्वर से प्रार्थना करे कि वे उनके सर पर अपने आशीष की छाया बनाकर रखे और उनके परिवार वालों को भी इतना साहस दे कि वे अपने उन जवान बेटों के प्रति उसी तरह निश्चिंत हो सके जिस तरह हम सब रहते है किसी मां को अपने पुत्र और किसी पत्नी को अपने पति या किसी बच्चे को अपने पिता से दूरी का दुख भले सहना पड़े पर, कभी उसके साथ होने वाली किसी दुर्घटना की खबर न सुनना पड़े यही हम सब कर सकते कि जो हमारे लिये सरहदों पर खड़े, जो हमारे लिये दुश्मनों से लड़े हमारे हाथ उनके लिये श्रद्धा और दुआ में जुड़े ताकि, न वो किसी मुश्किल में पड़े, न ही कोई बाधा बनकर उनकी राह में अड़े वे यदि वहां मोर्चा संभाल रहे तो हम यहां से उनके प्रति शुभकामनाओं की तरंगें भेजें जो उनके आस-पास सुरक्षा कवच बनकर उन्हें अपने घेरे मे ले ले तो आओ मिलकर अपनी सेना को नमन करें... जय हिंद, जय भारत... वन्दे मातरम...  !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी १५, २०१९

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