गुरुवार, 3 जनवरी 2019

सुर-२०१९-०३ : #मैगी_नहीं_हेल्दी_स्लो_पाइजन #यारों_अब_तो_इसको_खाना_करो_बंद




भारत में 1983 में टू मिनट ‘मैगी’ नाम का ऐसा फ़ास्ट-फ़ूड आया जिसने उस दौर के बच्चों पर इस तरह से अपना जादू चलाया कि, मैगी नूडल्स को लॉन्च करने के कुछ ही सालों बाद भारतीय मार्केट में Maggi की हिस्सेदारी 75% तक हो गई मतलब Maggi को खाने वाले 100 में से 75 लोग सिर्फ भारत से ही थे

जब से देश में ‘मैगी’ जैसे स्नैक्स का प्रचलन बढ़ा तब से ही ये देखने में आया कि जिसने इसे एक बार खाया वो इसका दीवाना बन गया और ऊसके साथ ही साल-दर-साल इसकी बिक्री के साथ ही इसकी पॉपुलैरिटी का ग्राफ भी उपर चढ़ता चला गया जिसके परिणामस्वरूप जनरेशन बदल गयी पर, इसके प्रति इसके चाहनेवालों की चाहत कम होने की बजाय बढ़ती ही गयी जिसका आलम कि आज भी बच्चों ही नहीं बड़ों की भी फेवरेट फ़ूड लिस्ट में ये शामिल है

जिसकी वजह जानने की कोशिश करे तो यह गणित का कोई कठिन सवाल नहीं कि हल करने में पसीने छूट जाये बड़ा ही आसान-सा जवाब है कि पहला इसका चटपटा स्वाद, दूजा बनने में लगने वाला कम समय और तीसरा कीमत इतनी कि आर्थिक रूप से विपन्न व्यक्ति भी इसे खरीदकर बना व खा सकता जैसा कि विज्ञापनों के द्वारा भी लगातार प्रचारित-प्रसारित किया जाता तो सबके दिमाग में ये बैठ गया कि भूख लगे तो बस, मैगी और दो मिनट में बनने वाल्स नाश्ता मैगी एक तरह से इसने दिलों-दिमाग के साथ-साथ सबके घर-किचन में भी अपना कब्जा जमा लिया और जो घरों से दूर रहते उनके लिये भी ये उनका नम्बर वन स्नैक है

ज्यादातर लोग जब-भी जहां भी भूख लगे सिर्फ और सिर्फ इसका नाम लेते क्योंकि, उनके लिये ये भोजन का विकल्प है इन सभी कारणों से ये इतने वर्षों से देश-दुनिया में अपनी बढ़त बनाये हुए है जिसके पीछे ककी सच्चाई को उजागर करते अनेक विडियो व जानकारियाँ उपलब्ध होने के बावजूद भी लोगों का इसके प्रति प्रेम खत्म तो छोड़ो कम तक नहीं होता लेकिन, अब भी न चेते तो वो दिन दूर नहीं जब ये अन्य नशे की तरह आदत बन जाये और आदमी की जान ही ले ले क्योंकि, 2015 में हुए कई टेस्ट में मैगी नुडल्स के अन्दर लैड/सीसे का अमाउंट काफी ज्यादा पाया गया जिस वजह से फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ने मैगी पर बैन लगा दिया था पर, उसके बाद इसने पुनार्वापिसी कर ली थी

आज मगर, ये सिद्ध हो चुका है कि ये अफ़वाह नहीं सच था क्योंकि, आज सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई के दौरान नेस्ले इंडिया के वकीलों ने इस बात को स्वीकार किया कि, ‘मैगी’ में लेड की मात्रा अधिक थी आज सुप्रीम कोर्ट में इसकी निर्माता कम्पनी नेस्ले की इस स्वीकृति के बाद ये साबित हो गया कि उनके द्वारा इसमें सीसे/लैड की अधिक मात्रा मिलाई जाती है जबकि, तय मानक के अनुसार के किसी फूड प्रॉडक्ट में लेड की मात्रा 2.5 पी.पी.एम. तक ही होनी चाहिए, लेकिन मैगी के नमूनों में इसकी मात्रा इससे काफी अधिक थी जिसने इनके ‘टेस्ट भी हेल्थ भी’ जैसे खोखले दावों की पोल खोल दी है और डॉक्टर्स के मुताबिक लेड के अधिक सेवन से किडनी खराब हो सकती है और नर्वस सिस्टम डैमेज हो सकता है ।

इसके बाद कोर्ट ने कहा कि, ऐसी मैगी हम क्यों खाये जिसमें ऐसे जहरीले/विषाक्त रसायन मिले हुये हैं तथा सरकार ने कथित अनुचित व्यापार तरीके अपनाने, झूठी लेबलिंग और भ्रामक विज्ञापनों को लेकर 640 करोड़ रुपये की क्षतिपूर्ति की मांग की है । हालाँकि, ये भी एक पक्ष कि जिस तरह से दीवानों ने उस समय भी इस बात को नकारा था और ये तर्क दिया कि चूँकि पतंजली भी अपना उत्पाद ला रही तो इसे गलत बताया जा रहा और शायद, अब भी कोई नया तीर अपने तरकश से निकाल ले मगर, जो सेहत से करते सचमुच करते प्यार, वो जरुर करेंगे इससे इंकार  

इतने के बाद भी ये कम ही उम्मीद कि लोग इसे त्यागे या कम करें क्योंकि, ऐसी खबरें मीडिया भी दबा जाता है तो सबको जानकारी ही नहीं हो पाती और कोर्ट के फैसले भी आजकल सिर्फ फाइलों में ही बंद रह जाते है ऐसे में सोशल मीडिया के माध्यम से जितना संभव हो इस सूचना को अधिकतम लोगों तक पहुंचाये जाये जिससे कि हमारे बच्चे इस जहरीले नशे की गिरफ्त से बच सके और हम सब इसे बन्द करवाने में भी काम्याब हो आखिर, कब तक हम जीभ की इच्छापूर्ति हेतु अपने शरीर पर अत्याचार करते रहेंगे

यही नहीं अदर फ़ास्ट फ़ूड भी हमारी लाइफ लाइन को छोटा कर रहे हमें तरह-तरह की बीमारियों की सौगात दे रहे बोले तो हम खुद ही पैसे देकर अपनी बीमारियाँ व मौत खरीद रहे हैं आजकल के बच्चे भी उन रोगों से ग्रसित है जिनके नाम भी कभी-कभी या बड़ी उम्र के बाद सुनने में आते थे फिर भी सभी ये चाहते कि उसे बैठे-बिठाये ही एक क्लिक पर सब कुछ मिल जाये खाना भी भले बदले में बैंक बैलेंस और साँसों का अकाउंट खाली हो जाये माना, स्वाद बड़ी चीज़ है पर, जान से भी ज्यादा क्या ???

यही हम सबको मिलकर सोचना है   

#Ban_Maggie      
#Save_Life_and_Health  

_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी ०३, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: