आप तो नास्तिक
है फिर सबरीमाला मन्दिर क्यों जाना चाहती है ?
क्योंकि,
ये लिंग भेद का मामला है ।
पर, वहां तो स्त्री-पुरुष सब जा सकते है केवल, आयु विशेष पर रोक है इसलिये लिंगभेद तो नहीं कह सकते इसे ।
इसका मतलब आपकी
नजरों में 10 से 50 बरस की औरतों का कोई अस्तित्व नहीं जिन्हें
जबरन धर्म के नाम पर रोका जा रहा है ।
धर्म के नाम पर
तो दरगाह और मस्जिदों में भी प्रतिबंध है फिर उसे आप क्यों नहीं स्त्री विरोधी
मामला समझती वहां क्यों नहीं जा रही आप ?
क्योंकि,
ये मेरा धर्म है और पहले घर में सफाई की जाती फिर
दूसरों को देखा जाता है ।
ओह, पर आप तो कोई धर्म मानती नहीं इसलिये आप अपने
नाम में सरनेम तक नहीं लगाती फिर ये आपके धर्म का मामला किस तरह हुआ ?
ये आप सही कह
रहे मैं सिर्फ इंसानियत का धर्म मानती और संविधान ही मेरा एकमात्र धर्मग्रंथ जिसके
अनुसार ये मसला समानता के अधिकार के भी खिलाफ है इसलिए भी मेरा जाना बेहद जरूरी है
।
अच्छा तो फिर
आप समानता देती क्यों नहीं उस दिन ही जब मैं महिला आरक्षित सीट पर बैठ गया आप मुझे
उठाकर ही मानी थी ।
अच्छा, ये कोई
समानता का मुद्दा है… आप भी न कुछ
भी कहते है ।
जी, मैं भी तो यही कहना चाह रहा था कि ये कोई समानता
का मुद्दा नहीं है ।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जनवरी ०७, २०१९
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