बुधवार, 2 जनवरी 2019

सुर-२०१९-०२ : #भारतीय_जलपरी #तैराक_बुला_चौधरी_चक्रवर्ती




सात समन्दर पार मैं तेरे पीछे-पीछे आ गई...

यदि उस वक़्त ये गीत बना होता तो निश्चित ही भारतीय खिलाड़ी ‘बुला चौधरी चक्रवर्ती’ के लबों पर यही तराना होता जब पांचों महाद्वीप के सातों समन्दर और जलडमरूमध्य को पार करने वाली विश्व की पहली महिला बनकर उन्होंने विश्व की वो प्रथम महिला बनने का कीर्तिमान हासिल किया जिसने ये हैरतअंगेज कारनामा कर दिखाया था

इसी तरह १९८९ एवं १९९९ में दो बार इंग्लिश चैनल पार कर वह प्रथम एशियाई महिला भी बन गई और वे लम्बी दूरी तैराक थी तो उन्होंने २००० में सातों समुद्र में सबसे कठिन माने जाने वाली जिब्राल्टर जलडमरूमध्य (स्पेन) रिकॉर्ड टाइम में पार कर गिनीज बुक ऑफ रिकॉर्डमें भी अपना नाम दर्ज करवाकर ये साबित किया कि उन्होंने महज़ संयोग से ही कोई रिकॉर्ड नहीं बना लिया इसमें उनकी प्रतिभा व मेहनत का भी हाथ है

उनकी इस विलक्षण प्रतिभा का पता तब चला जब उन्होंने ९ वर्ष की नादान आयु में राष्ट्रीय तैराकी चैंपियनशिप ही नहीं जीती बल्कि, इस आयु वर्ग में सभी इवेंट जीतकर छह स्वर्ण-पदक प्राप्त भी किये जो ये दर्शाते कि उनका जन्म ही इस कार्य के लिये हुआ था तो तैराकी के एक नहीं अनेक कीर्तिमान उनके नाम दर्ज हैं जिसमें उन्होंने कम समय में लम्बी दूरी ही तय नहीं की बल्कि, कई रिकार्ड्स भी तोड़े और बनाये भी जो उनकी दक्षता का परिचायक है जिसकी वजह से उन्हें ‘जलपरी’ की उपाधि दी गयी थी

उनकी अनेक उपलब्धियों के लिये उन्हें अनेकों पुरस्कार से सम्मानित किया गया जिनमें 'ध्यानचंद लाइफटाइम एचीवमेंट', ‘अर्जुन पुरस्कार’, ‘तेंन्जिंग नोर्गे एडवेंचर अवार्ड’ जैसे कई अलंकारों के नाम शामिल है जो उन्हें पाकर गर्वित हुये और उनकी इस समस्त उपलब्धियों का श्रेय उनकी अपनी कड़ी मेहनत के अलावा उनके पति को भी जाता जो उनके कोच थे जिन्होंने अपनी पत्नी को मौका व मार्गदर्शन देकर उनकी काबिलियत को केवल गृहस्थी के कामों में जाया नहीं होने दिया इस तरह उन्होंने मिलकर पूर्णता प्राप्त की ।

आज २ जनवरी उनके जन्मदिन पर महिला सशक्तिकरण की इस नायिका को भुत-बहुत बधाई जिन्होंने अपनी जिद से अपनी पहचान बनाई... जिद अच्छी होती हैं.. जब अपने सपनों को पूरा करने के लिये की जाती है ।
    
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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी ०२, २०१९

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