२४ जनवरी हमारे
लिये गौरव का दिन है क्योंकि, यही वो दिन जब १९५० को हमारे देश ने अपने राष्ट्रगान
को अंगीकार कर हम सबको देश के प्रति सामूहिक रूप से अपने मनोभावों को प्रदर्शित
करने का सुनहरा अवसर दिया था । आज हम मिलकर उसकी स्मृति में ‘राष्ट्रगान
अंगीकरण दिवस’ मनाते है मगर, अफ़सोस कि इतने महत्वपूर्ण व ऐतिहासिक दिन पर इसका
आयोजन उस तरह से नहीं होता जिस तरह से हम अपने राष्ट्रीय पर्वों को धूम-धाम से
मनाते है ।
विचार करें तो
यही लगता कि इसका भी खूब प्रचार-प्रसार होना चाहिये ताकि, लोगों को ये ज्ञात रहे
कि २६ जनवरी को गणतंत्र दिवस मनाने से पूर्व उसके लिये विशेष रूप से एक गान का चयन
किया गया जिसके द्वारा उसके स्वरुप को अभिव्यक्त किया जाता और हमें ये गान देने
वाले कवि रविन्द्रनाथ टैगोर ने १९११ में ‘राष्ट्रगान’ के गीत और संगीत को रचा था
और इसको पहली बार कलकत्ता में २७ दिसंबर १९११ को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की
मीटिंग में गाया गया था।
इसमें बड़ी खुबसूरती
से लोकतंत्र का शाब्दिक चित्रण किया है जिसके एक-एक शब्द से अंतर में जोश की
तरंगें और देशप्रेम हिलोरें लेने लगता है जिसकी धुन सुनकर ही हम गर्व से सावधान की
मुद्रा में खड़े हो जाते है । हालाँकि, इस पर विवाद भी कम नहीं क्योंकि, “जन
गण मन अधिनायक जय है” में ‘अधिनायक’ पर सुधीजन प्रश्नचिन्ह लगाते रहे है मगर, इसके
बावजूद भी जब इसे ‘राष्ट्रगान’ का दर्जा दे दिया गया और संविधान ने सर्वसम्मति से
इसे स्वीकार कर लिया तो फिर हमारे मन में इसे लेकर कोई शक-शुबहा या किसी तरह का
भ्रम नहीं होना चाहिए बल्कि, अधिनायक के रूप में अपने देश को ही सदेह महसूस कर
उसकी जय-जयकार करना चाहिये जिसके लिये केवल, नजरिया बदलने की देर है ।
जैसे ही हम
अपनी मानसिकता परिवर्तित करेंगे उसी पल हमें ‘अधिनायक’ की जगह अपना देश ही साकार
रूप में दिखाई देगा अन्यथा, सोच का काँटा यदि उसी बिंदु पर अटका रहा तो फिर सिर्फ
जुबान से ही शब्द निकलेंगे औपचारिकतावश हम उसको दोहरा जरुर देंगे पर, उसको सही
मायनों में ग्रहण नहीं कर पायेंगे वैसे भी देश के समस्त प्रतीक जो संविधान में
वर्णित हम सबके लिये सम्मान व गर्व के विषय है अतः संदेह करना गलत है ।
यदि हम चाहे तो
इसके संक्षिप्त स्वरुप के माध्यम से भी अपने मन के देशभक्तिपूर्ण उद्गारों को
प्रकट कर सकते है...
“जन-गन-मन-अधिनायक
जय हे
भारत-भाग्य-विधाता
जय हे जय हे जय
हे,
जय जय जय,
जय हे.....”
🇮🇳 ️🇮🇳️ 🇮🇳️
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जनवरी २४, २०१९
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