एक बार
हुआ जो पतन
फिर चाहे
लाख करो जतन
नहीं मिलता
वो पीछे छूटा
गगन
जिस पर पहुँच
किया था बहुत
घमंड
भूल गये थे कि
छोटी सी इक भूल
भी
कर सकती हनन
इसलिये...
गर, चाहते हो कि
सदा खिला
रहे
खुशियों का चमन
तो करो अपने
मनोविकारों का
दमन ।।
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© ® सुश्री इंदु
सिंह “इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
जनवरी १६, २०१९
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