मंगलवार, 22 जनवरी 2019

सुर-२०१९-२२ : #मुझे_शिकायत_है




बचपन में मासिक पत्रिका सरितामें इस नाम से एक कॉलम आता था जिसके अंतर्गत पाठक किसी व्यक्ति विशेष या विभाग या फिर अधिकारी के खिलाफ अपनी कोई शिकायत खुलेआम दर्ज करना चाहता तो उसके नाम इस वाक्य से शुरुआत करते एक खुला पत्र लिखता जिसे छापा जाता था ।

आज भी ये प्रासंगिक है और अब तो इसकी अधिक आवश्यकता महसूस होती है क्योंकि, आज जबकि, समय बदल गया तो तकनीकी युग में लोगों के पास समस्यायें भी अधिक साथ ही अब सोशल मीडिया के जमाने में लोगों के पास अपने मन की बात/शिकायत रखने को अपना व्यक्तिगत कोना होता जिसके माध्यम से वो बेहिचक जो भी चाहे लिख सकता और आज तो समस्यायें भी अधिक है । ऐसे में वे सभी इसी तरह से जिसके प्रति भी चाहे अपने मनोभाव लिखकर पोस्ट कर सकते तो आज मैं अपना ये ओपन लैटर समर्पित करती हूँ प्रिंटेड / इलेक्ट्रॉनिक मीडिया के तमाम सम्पादकों / पत्रकारों को जिनका रवैया देखकर मन में बहुत दिनों से ये विचार उठ रहे थे तो आज की-पेड पर उंगलियाँ स्वतः ही मचलने लगी...

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मुझे शिकायत है...
देश के पत्रकार बन्धु / भगिनियों से...
 
जैसा कि आप सभी जानते कि पत्रकारों को देश की व्यवस्था का चौथा स्तम्भ माना जाता जिसके बिना सिस्टम लडखडा सकता है चूँकि, आप भी एक तरह से जनता के प्रतिनिधि या सेवक होते अतः आपका निष्पक्ष होना एक अनिवार्य शर्त होती है । परन्तु, लम्बे समय से देख रही हूँ कि चाहे प्रिंट मीडिया हो या इलेक्ट्रॉनिक मीडिया समस्त जर्नलिस्ट किसी विशेष दल के समर्थक नजर आते और खबरों को इस तरह से प्रस्तुत करते मानो इन्हें उस पार्टी ने खरीद लिया हो तो उनके पक्ष में ही अपनी राय रखते है । ऐसा करते समय आप दूसरे दल के खिलाफ इस तरह से लिखते मानो वे देश के दुश्मन हो यही नहीं जानकारियों या खबरों को पूर्णतया सामने रखने के बजाय तथ्यों से भी इस तरह खिलवाड़ करते है । ऐसे में जिनको सत्य का ज्ञान न हो वो आपकी आधी-अधूरी जानकारियों व भ्रामक समाचार से प्रभावित होकर उसे ही अंतिम सच मान लेता है । जिसके परिणामस्वरुप ऑनलाइन हो या ऑफलाइन दोस्तों में ही आपस में इस तरह से जंग शुरू हो जाती जैसे कि यदि उन्होंने उस खबर को अपने तर्कों से प्रमाणित नहीं किया तो उनकी देशभक्ति पर प्रश्नचिन्ह लग जायेगा इस तरह से देखा जाये तो आपकी वजह से नफ़रत का ऐसा जहर अपने पाठकों के बीच फैलाया जा रहा जिसकी निर्दोष, नामसझ, भोली-भाली अवाम शिकार हो रही है ।

इसलिये आप-से सबसे विनम्र अनुरोध है कि, कृपया तत्काल प्रभाव से इस तरह के क्रियाकलाप बन्द करें और अपनी भाषा व समाचार प्रस्तुति का तरीका बदले भले ही आपकी किसी सियासी पार्टी के प्रति व्यक्तिगत निष्ठा हो पर, उसे अपने मन में रखते हुये अख़बार या टी.वी. में सिर्फ और सिर्फ वही लिखे जो सत्य हो न कि जो आपको सच लगता हो । क्योंकि, तर्कों से गलत को जरुर सही साबित किया जा सकता लेकिन, इससे सच को कोई फर्क नहीं पड़ता अलबत्ता पढ़ने वाले जो आपकी तरह तार्किक नहीं वो जरुर आपके इस जाल में फंस जाते जिसका खामियाजा हम सब भुगतते है । क्योंकि, ये झूठी / भ्रमपूर्ण खबरें हम सबको आपस में लड़वा देती है रिश्तों में दरार डाल देती तो क्या ये आपका नैतिक दायित्व नहीं बनता कि आप ये जिम्मेदारी ले कि आप अपने पेशे ही नहीं अपने राष्ट्र के प्रति भी ईमानदारी से अपने फर्ज का निर्वहन करेंगे न कि किसी दल के रिप्रेजेंटेटिव बनकर केवल उसका गुणगान करते नजर आयेंगे इस काम के लिये तो पार्टीज के पास खुद अपने किराये के भोंपू होते जो दिन-रात उनका गान गाते रहते है ।

ऐसी परिस्थितियों में हम सब आपसे सिर्फ और सिर्फ निष्पक्षता की अपेक्षा रखते है, जो कोई इतनी बड़ी डिमांड तो नहीं जिसे आप पूरा न कर सके और न ही ये आपकी ड्यूटी के बाहर है मतलब, हम सब आपसे केवल सच जानना चाहते है सच के सिवाय कुछ भी नहीं ।

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शिकायतकर्ता :
सुश्री इंदु सिंह
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© ® सुश्री इंदु सिंह 'इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी २२, २०१९

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