शुक्रवार, 25 जनवरी 2019

सुर-२०१९-२५ : #शब्दों_से_मन_मोहती #साहित्यकार_कृष्णा_सोबती




१८ फरवरी १९२५
शुरू हुआ इक ‘जिंदगीनामा’
जमीन से जुड़ा कोई
रिश्ता पुराना
कागज और कलम का  
सफर सुहाना
सिरा जिसका बंधा गया
सरहदों के दोनों ही सिरों से
आज़ादी से पहले कुछ
तो कुछ था आज़ादी के बाद
किस्से बुने गये सारे
दो वतनों की बुनियाद पर
देह की सीमाओं से परे
कलम ने तोड़ी डाली
समाज की तमाम वर्जनायें
डार से बिछुड़ी वो
उकेरती रही किरदार कुछ ऐसे
साहित्य जगत में न जो
दिखाई दिये कभी पहले जैसे
नारीवाद की बनी
पहली सशक्त हस्ताक्षर
लैंगिक समानता की मुखर पक्षधर
लिखती रही सदैव
कहानियां लीक से हटकर    
साहित्य में जो बनी
मील का पत्थर
दिखाई देने लगा सब पर
‘सोबती एक सोहबत’ का असर
छाये जब ‘बादलों के घेरे’
खिले तब ‘सूरजमुखी अँधेरे के’
‘समय सरगम’ छेड़ता रहा
जीवन अपनी रफ़्तार से बढ़ता गया
समय का चक्र फिर घुमा
‘दिलोदानिश’ का पन्ना नया खुला
जिस पर इतिहास गया रचा
‘गुजरात पाकिस्तान से गुजरात हिंदुस्तान’
अनुभवों का लम्बा सिलसिला
साल दर साल चला  
यात्राओं ने जो भी दिया
‘मार्फ़त दिल्ली’ दिल वाली ने फिर  
‘बुद्ध का कमण्डल’ गढ़ा
पाठकों को अनमोल तोहफ़ा दिया  
‘शब्दों के आलोक में’ जो
कोहिनूर-सा चमका
साहित्याकाश में नक्षत्र बन
नाम एक उभरा
‘लेखक का जनतंत्र’ जिसने
अपने हाथों से लिखा
पढ़कर उसकी संजीदा लेखनी  
‘यारों के यार’ चाहनेवालों ने कहा  
सम्मानों-पुरस्कारों से
कद उसका बढ़ा
आज मगर, अचानक
सूरज जब उगा
सबने ये दुखद समाचार पढ़ा    
२५ जनवरी २०१९
समाप्त हुआ एक युग
दुनिया को अलविदा कह गई
साहित्य की मित्रो मरजानी
“कृष्णा सोबती” !!!

श्रद्धांजलि... शब्दांजलि... <3

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© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
नरसिंहपुर (म.प्र.)
जनवरी २५, २०१९

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