शनिवार, 2 मार्च 2019

सुर-२०१९-६३ : #युद्ध_को_नकारना_भी_है #नाकामी_पर_सवाल_भी_उठाना_है




यूँ तो देश में हमेशा ही पक्ष-विपक्ष रहे जिनका होना जरूरी भी है जिससे कि सही-गलत का आंकलन किया जा सके और इसी उद्देश्य से ‘संविधान’ ने भी इसकी व्यवस्था की जिससे कि सरकार खुद को निरंकुश न समझे उस पर एक दबाब बना रहे लेकिन, जिस तरह आज वो दो धड़ों में बंटा ऐसा इससे पूर्व कभी-भी देखने में नहीं आया क्योंकि, इस बार ये विरोध सरकार से हटकर देश के खिलाफ ही चला गया और इन आक्रोशित स्वरों ने जितना नीचे गिरकर शत्रुओं के सुर में सुर मिलाकर मिले सुर मेरा तुम्हारा किया वो बेहद ही घृणित है विरोध करते-करते जब व्यक्ति ये भूल जाये कि हदें पार करता हुआ वो देश की ही नहीं नैतिकता की भी हर सीमा को लाँघ गया तो फिर इसका परिणाम कितना घातक हो सकता ये भले आज जानते-बुझते भी नहीं समझ रहे मगर, जब आने वाली पीढ़ियाँ इसे भुगतेगी तब जरुर इनको पानी पी-पीकर कोसेगी बिल्कुल उसी तरह जिस तरह से आज की जनरेशन द्वारा कुछ पुराने फैसलों पर सख्त ऐतराज जताया जाता अक्सर, लम्हों की खतायें सदियों की सजा में कब बदल जाती ये उस वक़्त तो पता नहीं चलता लेकिन, ध्यान रहे कि इसे जो भोगता वो कभी-भी इसके लिये उत्तरदायी लोगों को माफ़ नहीं करता है

जिसका नतीजा कि दुश्मन उसे अपना लगने लगा और अपनों से नफरत ने उसे इतना जहरीला बना दिया कि उसे पता नहीं चला कि उसकी हरकत ने देश में ऐसा माहौल बना दिया कि हर दिन देश के सैनिक ही नहीं बेकुसूर जनता भी उस आग में जल रही जिसे चिंगारी इन्होंने ही दी जब इनको लगा कि अब इनके पास कोई मुद्दा ही नहीं बचा या ये समझ नहीं पाये कि किस तरह से अपने विरोध को दर्ज करें जबकि, उनके पास कहने को कुछ-भी शेष नहीं है ऐसे में अपने उस अहंकार की संतुष्टि के लिये इन्होने देश के दुश्मन की ही तारीफें करना शुरू कर दी यही नहीं उन्होंने तो मुफ्त में या हो सकता कुछ ले-देकर उसके एजेंडे का प्रचार-प्रसार करने उनकी मोहरें बनने तक स्वीकार कर लिया और पहले तो उसे शुक्रिया अदा किया फिर नो वॉर का हैश टैग भी खूब चलाया जिसका दूसरा अर्थ सीधे-सीधे यही निकलता कि इनका एकमात्र मकसद केवल और केवल अपने किसी गुप्त मिशन को सफल बनाना जो क्या बताने की जरूरत नहीं है   

यहाँ मुद्दा वो नहीं ये है कि जो लोग कल तक ‘नो वार’ लिख रहे थे अमन-शांति की बात कर थे आज मुद्दों के अभाव में समझ ही नहीं पाये कि क्या करें तो भारतीय सीमा में घुसे पाक जहाजों को ट्रेस करते वक्त बुधवार को बड़गांव में एमआई-17 हेलीकाप्टर क्रैश होने से स्क्वाड्रन लीडर सिद्धार्थ वशिष्ठ समेत 6 वायुसेना के जवान शहीद हो गए जिसमें सर्जेंट विक्रांत सेहरावत (Vikrant Sehrawat) भी शामिल थे उनके गृह नगरों में पूरे सैन्य सम्मान के साथ कल शुक्रवार को अंतिम संस्कार किया गया तो सभी ने उनके चित्र लगाकर अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये जो उनकी संवेदना को ज़ाहिर करता आखिर, सभी अपने देश के  जवानों की मौत से दुखी है पर, इसे जिस तरह से पेश किया गया वो सवालिया था जबकि, जवाब भी इनके ही पास कि ये कैसे सम्भव कि आप दुश्मन को गले लगाओ, उसकी तारीफ में कसीदे भी पढो, शांति-शांति चिल्लाओ, नो वार की गुहार भी लगाओ और जब कोई हादसा हो जाये तो ऊँगली भी उठाओ याने कि सब कुछ आप ही तय करो क्या करना, क्या नहीं करना फिर अपने हिसाब से उसी को मसला बनाओ जबकि, सेना को बेवजह की इस शहादत से बचाने की खातिर ही सरकार कुछ कड़े कदम उठाना चाह रही थी पर, आप नहीं चाहते कि वो उठाये जाये

इन परिस्थितियों में यदि हम इस तरह की तस्वीरों को रोकना चाहते तो सबको आतंकवाद के खिलाफ़ एकजुट होना ही पड़ेगा इसके सिवा इसका कोई दूसरा उपाय नहीं सरकार ने भी कभी जंग या युद्ध की बात नहीं की ये शब्द भी आप लाये, नो वॉर भी आप लाये जबकि, सरकार शुरू से ही कह रही कि वो केवल आतंकवाद को मिटाना चाहती न किसी मुल्क, न किसी निर्दोष को नुकसान पहुंचाना चाहती है फिर भी आप साथ नहीं क्योंकि, आप केवल सवालों की लिस्ट तैयार करने में लगे रहते न स्वयं कुछ करते न दूसरों को करने देते फिर ये मसला किस तरह हल होगा क्योंकि, बातों से कुछ न होना वो पिछले सत्तर सालों से हो रही सब प्रयास बेकार हुये तो अंततः पाकिस्तान का यही फाइनल इलाज आतंकवाद का खत्म हो नामो-निशान जिसके लिये सबको आना पड़ेगा साथ न कि लगे रहे कमियां ढूँढने में वो भी आखिरी में सब मिलकर खोज लेंगे फ़िलहाल एक ही मुद्दा सिर्फ ‘आतंकवाद’ न सरकार और न ही चुनाव

सभी की निगाहें इस समय अपने देश के हालातों और खबरों पर ही लगी तो ये मुमकिन नहीं कि इसे कोई नजर अंदाज कर दे, अपने हर बच्चे की भारतमाता को खबर है और जनता भी जागरूक तो उसे भी पता भले वो अभिनंदन की ख़ुशी में इसके बारे में लिख न पाया हो तो ये उसको देशद्रोही नहीं बनाता लेकिन, दुश्मन के खेमे में शामिल होना जरुर शर्मनाक तो सम्भले किसी की कठपुतली न बने देश के साथ खड़े होकर इन तस्वीरों पर विराम लगाये हम सब साथ आये... देश के सभी सैनिको को नमन, श्रद्धासुमन, जो देश के लिये अपनी जान गंवा रहे तो हमारा भी फर्ज कि हम ऐसा कुछ करें कि ऐसी नौबत ही न आये हम अपने किसी सैनिक को श्रद्धांजलि न देनी पड़े... जय हिन्द, जय भारत... वन्दे मातरम...

#Nation_First
#Stand_With_india_Not_Pakistan
#Say_No_To_Terrorism
   
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च ०२, २०१९

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