बुधवार, 27 मार्च 2019

सुर-२०१९-८६ : #भारत_बना_अतंरिक्ष_महाशक्ति #सुरक्षित_हुए_जल_थल_वायु_आकाश_व_अंतरिक्ष




कल्पना करो कि पृथ्वी से 300 किमी की दूरी पर 3000 किमी/घण्टे की रफ्तार से दुश्मन का कोई मिसाइल भारत पर आक्रमण करने की कोशिश कर रहा है तभी 24000 किमी/घंटा की गति से आकर एक मिसाइल उससे टकराता है फिर जो हुआ वो अविश्वसनीय जिसने इतिहास रच दिया 27 मार्च 2019 की तारीख को स्वर्ण अक्षरों में दर्ज कर दिया तो पहले जहां इस तरह की दुश्मन की अंतरिक्षीय गतिविधियों को समझना या इसका पता लगाना मुमकिन नहीं था वहीं अब महज़ 3 मिनट में उसका खात्मा किया जा सकता है जब ये सोचना ही इतना रोमांचित कर रहा तो जब हमारे देश के वैज्ञानिकों ने इस कारनामे को अंजाम देकर ‘मिशन शक्ति’ को सफलतापूर्वक पूर्ण किया गया होगा तब उन्हें किस कदर गर्व व हर्ष की अनुभूति हुई होगी इसका हम अंदाजा भी नहीं लगा सकते साथ ही इस परीक्षण की कामयाबी ने ये भी साबित कर दिया जल, थल, हवा, पानी के साथ-साथ अब हम अंतरिक्ष में भी सुरक्षित है

अब दुश्मन कहीं से भी वार करें उसे निरस्त करने के हर हथियार हमारे पास है सबसे बड़ी बात कि अब तक इसके पूर्व केवल यू.एस., चीन व रूस ही इस तरह की स्पेश पावर से युक्त था मगर, आज से हम भी उनके समकक्ष खड़े हो गये है ये एक तरह से उस चीन को जवाब है जो हमेशा वीटो पॉवर का लाभ लेकर मसूद अजहर को बचा लेता है अब उसे ये संदेश दिया गया है कि वो किसी भी रास्ते से इस भारतवर्ष में घुसने या इस पर निगरानी करने की कोशिश न करें क्योंकि, उनके हर हथियार को विफल करने हमने अंतरिक्ष में भी सुरक्षा प्रहरी नियुक्त कर दिया है जो 24*7 उन पर सतत अपनी आंखें गड़ाये रखेगा तो अब आंखों की गुस्ताखियां माफ न होगी कोई ऐसी जुर्रत करने की कोशिश न करें हमने सुदूर आकाश में भी देश की सुरक्षा हेतु ऐसी व्यवस्था कर दी है कि इस मुल्क की सरहदों को कोई छू नहीं सकता, इस मुल्क की सरहदों की निगेहबान है टेक्निकली पावरफुल इंडियन साइंटिस्टों की  स्वदेशी तकनीक से निर्मित जासूसी आँखें जिसे धोखा देना संभव नहीं है ।

ये भी एक सच है कि भारत ने अंतरिक्ष में अपनी कक्षा में घूमते उपग्रह को मार गिराने की क्षमता 2012 में ही हासिल कर ली थी और ये उस समय की बात है जब चीन ने भारत के एक वेदर सैटलाइट को मार गिराया था उसी समय स्पेस वार टेक्नोलॉजी का पूरा प्रोग्राम लेकर डी.आर.डी.ओ. और ‘इसरो’ के वैज्ञानिक तत्कालीन यु.पी.ए. सरकार यानी श्रीमान मनमोहन सिंह जी के पास गए और बताया कि भारत के पास बैलिस्टिक मिसाइल डिफेंस और अग्नि लॉन्च करने के बाद अब ऐसी क्षमता हो गई है कि अब हम ‘एंटी सैटेलाइट वेपन’ भी बना सकते है बस, इस दिशा में हमें थोड़ा और काम करने की जरूरत है और अगर हम इस दिशा में आगे कदम बढ़ते हैं तो सफलता मिल जाएगी हमने स्पेस में सेटेलाइट को मार गिराने की क्षमता विकसित कर ली है अतः परियोजना के इस प्रस्ताव लिये जरूरी फंड की मुहैया कराये जाये लेकिन, उस समय की सरकार में इतना आत्मबल या साहस नहीं था कि वो इसको आजमाने की अनुमति दे देती क्योंकि, उसे तो अमरीका, चीन और पाकिस्तान से डर लगता था कि कहीं वे बुरा न मान जाये तो जिस इसरो की स्थापना का श्रेय पंडित जवाहर लाल नेहरु जी को जाता है उसी स्थान में कांग्रेस सरकार के समय के इसरो चीफ वी.के. सारस्वत ने आज खुलासा करते हुये बताया कि हमारी इच्छा जताने के बाद भी सरकार ने कोई प्रतिक्रिया व्यक्त नहीं दी

ऐसे में उनको 2014 तक इसके लिये इंतजार करना पड़ा और जो निर्णय 2012 में नहीं लिया जा सका वो अब हुआ तब जाकर ‘मिशन शक्ति’ को मंजूरी मिली जिसके बाद पिछले 4-5 सालों में जो जरूरी एलिमेन्टस तैयार नहीं थे उन्हें डिजाईन किया गया एवं जो एलिमेंट्स थे उन्हें इंटिग्रेट कर एक ऐसे मिसाइल का रूप दिया गया जो ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ (LEO) में घूमते हुए मिसाइल को खत्म कर सके और इस सरकार ने इस कार्य के लिए वैज्ञानिकों को प्रोत्साहित किया तथा उन्हें आवश्यक रिसॉर्स मुहैया कराया जिससे कि वो इसे सच कर दिखाये तो इस तरह पिछले चार सालों में इस क्षमता को आगे बढ़ाया गया अतः आज का मिसाईल टेस्ट कोई छोटी-मोटी घटना नहीं है, यह सम्पूर्ण विश्व में हडकम्प मचाने वाली अभूतपूर्व उपलब्धि है कि हमने ‘लो अर्थ ऑर्बिट’ में स्थित ‘लाइव सेटेलाइट’ को ‘एंटी सैटेलाइट’ (A-SAT) के जरिए गिराया है वो भी देश मे विकसित तकनीक से ऐसा केवल आत्मरक्षा के लिए किया गया और सनद रहे केवल ISRO & DRDO खड़ा करने से कुछ नही होता उसकी क्षमता का देश के विकास और रक्षा के लिए इस्तेमाल ही उसे उपयोगी बनाता है

आज भारत अंतरिक्ष की चौथी महाशक्ति बन गया है तो बधाई तो बनती है उन वैज्ञानिकों व सरकार को जिसकी बदौलत हमने महज़ 4 या 5 साल की देरी के बाद ही सही उस मिशन को हासिल कर लिया जबकि, भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के एक वरिष्ठ अधिकारी के रूप में कार्यरत व क्रायोजेनिक डिवीजन के प्रभारी ‘नंबी नारायणन’ जो कि एक भारतीय वैज्ञानिक व एयरोस्पेस इंजीनियर है को 1994 (सरकार तो पता ही होगी की किसकी थी) में जासूसी का झूठा आरोप लगाकर गिरफ्तार कर लिया गया जिसकी वजह से क्रायोजेनिक कार्यक्रम 24 साल पीछे चला गया और 2019 में उन्हें पद्म पुरस्कार से नवाजा गया वहीं आज ये ऑपरेशन इतनी जल्दी पूर्ण हुआ तो हर हाल में हमारी सोच में राष्ट्र सर्वोपरि होना चाहिये न कि अपना हित कि जहाँ सुना मुफ्त में 72 हजार मिल रहे वहीं गिर गये भले देश जाये भाड़ में पर, अपनी दाल-रोटी चलती रहनी चाहिये भले वो गुलामी की जंजीरें पहनकर ही क्यों न मिले यही सोच है जिसने इस देश को आज़ादी के बाद भी इतनी धीमी गति से आगे बढ़ा है अन्यथा हम पहले ही विश्वशक्ति बन चुके होते मगर, देर से ही सही बहुत कुछ ऐसा सुनने मिल रहा जिससे लग रहा कि भारत एक बार फिर विश्वगुरु बनने की तरफ अग्रसर है    

जय हिन्द... जय भारत... वन्दे मातरम...

#वाकई_ये_नया_भारत_है
#मेरा_देश-बदल_रहा_है
#OperationShakti
#MissionShakti
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २७, २०१९

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