मंगलवार, 26 मार्च 2019

सुर-२०१९-८५ : #मैं_नीर_भरी_दुख_की_बदली #महादेवी_वर्मा_की_हृदयस्पर्शी_लेखनी




स्त्री अपने अंतरतम के रहस्यमय संदूक में कौन-से कोमल विचार छिपाये रखती और गहन एकान्तिक क्षणों में किन नाज़ुक मनोभावों को जीती और पल-पल मानवीय संवेगों की किन कन्दराओं से गुजरती ये केवल एक नारी ही समझ सकती और वही उन कोमल अनुभूतियों को शब्द भी दे सकती है किसी भी अहसास को एक स्त्री जिस तरह से महसूस करती है उसे केवल एक स्त्री ही समझकर उन अनगढ़ स्वरों को सुरों में ढालकर मधुमय रागिनी बनाकर पेश कर सकती है इसे साबित किया छायावाद की अग्रणी कवयित्री ‘महदेवी वर्मा’ ने अपनी कविताओं के जरिये जो नारी हृदय की सर्वोत्तम अभिव्यक्ति समझी जाती है और हमारे लिये ये सौभाग्य की बात कि आज उन शब्दों की चितेरी की जयंती है जिनकी रचनाओं का स्वाद हम सभी ने कभी न कभी चखा है और इसे भूल पाना मुमकिन नहीं क्योंकि, उनकी कलम से निकले अक्षर महज़ कोरे शब्द नहीं होते था बल्कि, उनके पीछे गहरे भाव छिपे होते थे और इन तरह की प्रस्तुति केवल लेखन की कारीगरी या शाब्दिक ज्ञान से नहीं आती बल्कि, अनुभवों के खजानों से पन्नों पर अपने आप ही उभरती है तभी तो हर रचनाकार उन महानतम शब्दरथियों के समकक्ष खुद को खड़ा नहीं कर पाता वो तो बस, आजीवन उन आदमकद के करीब पहुंचने की जद्दो-जेहद में लगा रहता फिर भी कोई उसके घुटने तक भी नहीं पहुंच पाता कि ये कोई साधारण प्रतिभायें नहीं बल्कि, ईश्वरीय कृपा स्वरुप धरा में आई वरदानी शक्तियां होती है जिनका कार्य अपने उस दैवीय गुण से ऐसा अद्भुत काज करना होता जो उसे उसके क्षेत्र में उसके उस अलहदा कार्य के लिये इस तरह से स्थापित करे कि मिसाल बन जाये और ये कारनामा अपनी लेखनी से ‘महादेवी जी’ कर दिखाया जो उनके नाम के अनुरूप भी था जिसने उनको हिन्दी साहित्य में विरह की देवी के रूप में काव्य सिंहासन पर विराजमान कर दिया और आज भी हम उनकी कविताओं का पाठ करते है तो खुद को उसमें दर्ज मनोभावों की वीथिकाओं में भटकता हुआ पाते है ये वही अहसास होते जो हम सबके भीतर भी समाये लेकिन, हम उन्हें उस तरह से सफों पर उकेर नहीं पाते जिस तरह से ‘महादेवी वर्मा जी’ ने अपनी कलम से ये चमत्कार कर दिखाया जिसकी वजह से उनका नाम साहित्याकाश में एक नक्षत्र की तरह दमकता दिखाई देता है और सदैव वो इसी तरह अपने स्थान पर अडिग रहेगा क्योंकि, अपनी विधा में वो सर्वश्रेष्ठ थी और जो अपनी कला में सर्वोत्तम होता उसकी कृति न किस तरह से उसकी तरह ही लाज़वाब हो तो उनकी भी थी जिसने उन्हें खुद एक सम्मान में परिवर्तित कर दिया तो फिर एक कलाकार के लिये इससे बढ़कर कोई बड़ी बात नहीं हो सकती कि उसे एक सम्मान की तरह उस कार्यक्षेत्र में काम करने वाले सृजनकर्ता को प्रदान किया जाये जिससे उसका गौरव व कलाकार का मान भी उसकी तरह ही जीवंत हो जाये व इतिहास में अपनी प्रभावी उपस्थिति अंकित करें ‘महादेवी वर्मा जी’ ने अपनी जीवन यात्रा के हर पड़ाव में ऐसा कुछ अनोखा काम किया जिसने उनकी अमिट छाप बनाई तो आज उनके जन्मदिन पर उनकी याद आई... <3 !!!           

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २६, २०१९

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