सोमवार, 25 मार्च 2019

सुर-२०१९-८४ : #कोई_न_आयेगा_बचाने #अब_भी_न_अगर_हम_जागे




दुनिया के किसी भी कोने में किसी मुसलमान पर हल्की-सी आंच भी आये या कोई उससे थोड़ी-सी तेज आवाज़ में भी बात कर ले तो न्यूज़ बन जाती है और हर कोने से शुभचिंतक प्रकट हो-होकर तमाम लोगों पर उँगलियाँ उठाने लगते उन्हें आरोपों के कटघरे में खड़े कर देते जिसका ताजा प्रमाण ‘गुरुग्राम’ का मामला तो है ही उसके पूर्व ही ‘न्यूजीलैंड मस्जिद हमला’ हुआ उसमें भी ऐसा ही देखने में आया बल्कि, ‘कठुआ रेप केस’ हो या ‘पहलू खान’, ‘अख़लाक़’ या ‘जुनैद प्रकरण’ यहाँ तक कि रोहिंग्याओं को जब म्यामार से बेदखल किया गया तो हमारे यहाँ से ही सबसे ज्यादा आवाजें उठी जबकि, पूरे वर्ल्ड में 58 इस्लामिक कंट्रीज है फिर भी कहीं से किसी को निकाला जाये उसका बसेरा ‘भारत’ ही होता जिसमें बुराई कोई नहीं बल्कि, ये सब देख-सुनकर या पढ़कर ख़ुशी ही होता और इस बात से संतोष महसूस होता कि भले कोई कुछ भी कहे ‘मानवीयता’ अभी जीवित है हम भारतवासियों ने उसे सहेजकर रखा हुआ है ‘अनेकता में एकता’ ही सदियों से हमारा आधार है  

पक्षपात केवल तब लगता जब बात किसी ‘हिन्दू’ की हो तो सबकी जुबान ही नहीं कलम भी एकाएक जाम हो जाती आँखों को भी शायद, नजर आना बंद हो जाता तभी तो ऐसी खबरें यहाँ और वहां मीडिया की सुर्खियाँ नहीं बनती यदि ऐसा होता तो ‘पाकिस्तान’ के सिंध प्रान्त में होली की पूर्वसंध्या पर दो नाबालिग बहनों 13 वर्षीय ‘रवीना’ और 15 वर्षीय ‘रीना’ का कुछ लोगों ने घोटी जिले स्थित उनके घर से अपहरण कर लिया इसके बाद जैसी कि पाकिस्तानियों की आदत कि वे विडियो जारी करते तो एक वीडियो वायरल हुआ, जिसमें मौलवी दोनों लड़कियों का निकाह कराते दिख रहे हैं और बात यही खत्म नहीं हुई फिर इसका अगला वीडियो सामने आया जिसमें लड़कियां इस्लाम अपनाने का दावा करते हुए कह रही है कि उनके साथ किसी ने जबरदस्ती नहीं की है ।

इस मामले में कहीं किसी अन्य देश या संगठन या समूह की तरफ से कोई संज्ञान नहीं लिया गया पिता ने ही आवाज़ उठाई और भारत से विदेश मंत्री ‘सुषमा स्वराज’ ने इसके लिये पाकिस्तान को जल्द-से-जल्द कार्यवाही करने हेतु कहा तब जाकर कहीं वहां इस घटना को गंभीरता से लिया गया और वहां पत्रकारों ने भी सवाल उठाया कि, "आख़िर नाबालिग़ हिंदू लड़कियां ही इस्लाम से क्यों प्रभावित होती हैं? क्यों उम्रदराज़ मर्द या औरतें इससे प्रभावित नहीं होते? क्यों धर्मपरिवर्तन के बाद लड़कियां केवल पत्नियां बनती हैं, बेटियां या बहनें नहीं बनतीं?" इस पूरे प्रकरण से यही समझ आता कि समस्त विश्व में हिन्दुओं का कहीं कोई सुरक्षित ठिकाना है तो वो है ‘भारत’ पर, यही के हिन्दू नहीं समझते जो जातियों में बंटे हुये उन्हें इन मामलों को दूसरे देश का समझकर छोड़ नहीं देना चाहिये जैसा कि मुसलमान अपने भाई-बन्धुओं के लिये करते चाहे जहाँ रहे उनके साथ खड़े होते पर, हम जिनके लिये एकमात्र यही मुल्क दूसरा कोई ठौर नहीं बावजूद इसके भी नहीं समझते है

आज तो ‘सुषमा स्वराज’ है जो पाकिस्तान से अधिकारपूर्वक उन बच्चियों के बारे में पूछती है मगर, कल जब वे न होगी तो क्या घटनायें रुक जायेंगी 1947 में ही भारत-पाकिस्तान दोनों एक साथ बने और जहाँ पाक में 23% हिन्दू से मात्र 3% बोले तो इससे भी कम ही बचे जबकि, हमारे यहाँ मुसलमानों का प्रतिशत बढ़ा क्योंकि, यहाँ उनके साथ किसी तरह का पक्षपात नहीं किया गया फिर भी वे खुद को अल्पसंख्यक कहते जबकि, हकीकत तो ये जो अधिकतर हिन्दुओं को नजर नहीं आ रही कि इसी देश के अधिकांश राज्यों में हिन्दू ही अल्पसंख्यक या नगण्य हो चुके है और जिस तरह से ये सब हो रहा लगता कि जल्द बाकी राज्यों में भी यही स्थिति होगी तो क्या हम तब तक इंतजार करें या फिर जागे समझे कि हमारा अपन अस्तित्व हमें खुद ही बचाना है बिना किसी को मारे या किसी पर आक्षेप लगाये ये समझते हुये कि कब हम खुद को अधिक महफूज समझते तो अपने उस सुरक्षा कवच को हमें मजबूत बनाना है ताकि, आने वाली पीढियों को ऐसी किसी घटना का सामना न करना पड़े अन्यथा हमें तो इस दुनिया में रहने को सिवा इसके कोई मुल्क भी नहीं है

हमारा अलग-अलग सम्प्रदायों या जातियों म बंटा होना ही हमारी कमजोरी और शायद, यही वजह होगी जो हमारे देश में ‘हिन्दुओं’ की बहुलता होने के बाद भी उसे कभी वोट बैंक नहीं समझा गया सारा फोकस एकमात्र ‘मुसलमानों’ पर किया गया जिसका नतीजा कि हिन्दुओं ने खुद को सदैव उपेक्षित समझा और उसका ख्याल किसी ने रखा तो उसने भी उसको भरपूर तवज्जो दी जब अगले को ये समझा आया तो उसने मस्जिदों में माथा टेकने की जगह मन्दिर-मन्दिर घूमना शुरू कर दिया मगर, जब एक बार आप एक्सपोज हो जाते तो फिर चाहे जनेऊ पहने या खुद को ब्राह्मण बोले या फिर राम जन्मभूमि की ही बात क्यों न करें कोई फर्क नहीं पड़ता कि लगभग ६० सालों में आपने उसको इतना नजरअंदाज किया कि उसे अब आपके लुभावने वादे भी आकर्षित नहीं करते क्योंकि, ये उसने पहली बार नहीं सुना आपका परिवार पिछले चार-पांच दशक से ‘गरीबी हटाओं’ का नारा देता आ रहा उस हिसाब से यदि काम किया होता तो न गरीबी, न बेरोजगारी कोई मुद्दा ही न होता और एक आप है कि 2019 में फिर से 1971 वाली बात कर रहे है

जो उस वक़्त सम्भव न हुआ वो अब किस तरह होगा जबकि, उस दौर में तो लोगों को बेवकूफ बनाना आसान था पर, अब जनता न केवल जाग गयी है बल्कि, स्मार्ट भी हो गयी जिसे ये चोंचले नहीं भाते वो तो कमाकर खाने में विश्वास करता हराम की कमाई उसे हजम नहीं होती इसलिये जब स्वरोजगार का विकल्प तब वो मुफ्त की कमाई में लालच में न आयेगा उसे तो अपने देश में सुरक्षा पहले नम्बर पर चाहिये यदि देश सुरक्षित तो वो खुद को भी सुरक्षित समझेगा लेकिन, आपने उसे हमेशा दोयम दर्जे पर रखा आज ही उसकी याद तब आई जब आपको अपना वोट बैंक भी जाता दिखा तो दूसरों के बैंक में सेंध मारने लगे लेकिन, हुजूर बहुत देर कर दी आते-आते आपके लिये हिन्दू कभी मतदाता रहा ही नहीं उसके हितों का आपको कभी ख्याल रहा ही नहीं अन्यथा आज आपको खुद को हिन्दू घोषित करने के लिये इतनी मशक्कत नहीं करनी पड़ती वो भी सिर्फ चुनाव के समय बाद में वही पुराना ढर्रा सब जानते है

वोट पाने के लिये नेता लोग पैसा बांटते ये तो सुना था लेकिन, पहली बार खुलेआम प्रेस-कांफ्रेस के जरिये देश की जनता को ऐसा ऑफर देते हुये पहली बार देखा क्या चुनाव आयोग को इस पर संज्ञान नहीं लेना चाहिये जो मीडिया द्वारा मतदाता को लालच दे रहे है ???  

#जागो_हिन्दू_जागो
#दुनिया_के_हिन्दुओं_एक_हो_जाओ

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २५, २०१९

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