गुरुवार, 14 मार्च 2019

सुर-२०१९-७३ :#हम_इतिहास_बदल_नहीं_सकते #नया_इतिहास_मगर_लिख_तो_सकते_है




14 फरवरी को हुये पुलवामा हमले के बाद से ही ‘जैश_ए_मुहम्मद’ (मुहम्मद की सेना) और उसके सरगना “मसूद अज़हर” पर शिंकजा कसने की भारत कोशिश कर रहा जिसके लिये वो हर हथकंडे अपना रहा इसके बावजूद भी जबकि, उसने तमाम सबूत व तथ्य उसे वैश्विक आतंकवादी घोषित करने के लिये ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद’ को सौंप दिए ताकि उनके आधार पर इस काम को अंजाम दिया जा सके तो 27 फरवरी को फ्रांस, ब्रिटेन और अमेरिका द्वारा ‘‘1267 अल कायदा सैंक्शन्स कमेटी'' के तहत अजहर को आतंकवादी घोषित करने का प्रस्ताव लाया गया परन्तु, चीन ने लगातार चौथी बार भारत की कोशिश को झटका देते हुए प्रस्ताव में न केवल रोड़े अटका दिये वरन अपनी उस ‘वीटो पॉवर’ का उपयोग करते हुये एक तरह से नामंजूर कर दिया जिसके बारे में कहा जाता है कि स्वतंत्र भारत के प्रथम प्रधानमन्त्री पंडित जवाहर लाल नेहरु ने तश्तरी के रखकर परोसे गये ऑफर को स्वैच्छा से चीन को दे दिया जिसका खामियाजा आज तक हम सब भुगत रहे है

हालाँकि, ये एक ऐतिहासिक बहस का विषय जिसमें हमें पड़ने की जरूरत नहीं क्योंकि, अतीत के पन्ने पलटने से भले कड़वा सत्य हमारे हाथ लग भी जाये तो उससे क्या होगा क्योंकि, जो दर्ज है उन पन्नों में वो वैसा ही रहेगा जिसे बदलना नामुमकिन और बदलकर कुछ हासिल भी न होने वाला मगर, इतना तो हम सब मिलकर कर सकते कि आने वाले समय में नये भारत का नया इतिहास लिखे जिसमें उसकी मजबूत तस्वीर रख सके जिस पर आने वाली पीढ़ियों को गर्व हो न कि वो खुद को ठगा या भ्रमित महसूस करे या उसके भीतर अपने ही वतन के ऐतिहासिक तथ्यों को लेकर आत्मविश्वास कमजोर नजर आये जो कि आजकल के इन्टनेट या ‘गूगल’ के जमाने में किया जा रहा जिसमें कई तरह के न्यूज़ पोर्टल लगे हुये जिसकी वजह से सही जानकारी मिलने की जगह विवाद ही बढ़ जाता कि जिसे देखो वही कोई अलग लिंक समाने रखकर खुद को सही साबित करने की कोशिश में लग जाता है और असली मुद्दा या बात कोने में ही रखी रह जाती है

ये भी हमारे लिये एक सुखद बात कि इस प्रस्ताव के पक्ष में परिषद के 5 में से 4 स्थायी सदस्य यूके, यूएस, फ्रांस और रूस ने भारत का साथ दिया और चीन द्वारा रोक लगाने के कुछ घंटे बाद अमेरिका ने ने चेतावनी देते हुए कहा कि इससे दूसरे सदस्यों को 'अन्य एक्शन लेने के लिए मजबूर होना पड़ सकता है’ यह अमेरिका की तरफ से एक कड़ा मैसेज है, जिसमें राजयनिक ने कहा कि 'अगर बीजिंग आतंकवाद से लड़ने के लिए गंभीर है तो उसे पाकिस्तान और अन्य देशों के आतंकियों का बचाव नहीं करना चाहिए' इस तरह ये ज़ाहिर होता कि फ़िलहाल भले हम इसमें कामयाब नहीं हुये मगर, अपने मिशन के काफी करीब पहुँच गये और जो कमी रह गयी उसे हमको ही मिलकर दूर करना है जहाँ तक इसकी मुख्य वजह भारत का आर्थिक रूप से उतना शक्तिशाली होना नहीं समझा जाता है जितने कि बाकी सदस्य है तो अगले कदम में अब देश को इस पर ही काम करना चाहिये

फिर भी यदि हम सब एक राष्ट्र के रूप में खड़े होकर विश्व के समक्ष खुद को एक परिवार की तरह दर्शाये तो एक बेहतरीन सन्देश जायेगा न कि ऐसे ट्वीट या पोस्ट या कमेंट्स लिखे जो हमें भारतवासी की जगह दुश्मन दिखाये बोले तो जो काम शत्रु देशों को करना चाहिए वो कुछ लोग करते नजर आ रहे जबकि, जब बात देश की होती तो इसमें कोई पक्ष-विपक्ष नहीं होता फिर भी पुलवामा हादसे के बाद से देश के कुछ जिम्मेदार लोग खुद को इस तरह से पेश कर रहे मानो वो इस देश के वासी नहीं पड़ोसी देश के रहने वाले है और भारत उनका दुश्मन है विरोध का ये स्तर किसी भी राष्ट्र के लिये घातक सिद्ध हो सकता जिसे समझना होगा कि यदि एक परिवार के सदस्य भी आपस में लड़ रहे हो तो विपरीत परिस्थिति या किसी दुश्मन के बीच में आ जाने पर हाथ में हाथ लेकर उसका सामना करते न कि उसके पाले में जाकर खड़े हो जाते है

फिर एक लौह पुरुष ‘सरदार वल्लभ भाई पटेल’ जैसे कद्दावर लीडर की जरूरत है जो देश के इन बिखरे हुये नेताओं को उसी तरह एकजुट कर सके जिस तरह कभी उन्होंने इस राष्ट्र को किया था

#ChinaSupportsTerrorism
#Nation_First
#Stnad_With_India
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च १४, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: