गुरुवार, 28 मार्च 2019

सुर-२०१९-८७ : #बच्चों_में_बढ़ता_अपराध_का_ग्राफ #स्कूल_का_भी_गैर_जिम्मेदारना_व्यवहार




एक बच्चे की पैदाइश से लेकर उसकी परवरिश व शिक्षा-दीक्षा के लिये सभी माता-पिता अपनी तरफ से सर्वश्रेष्ठ करने का प्रयास करते है और उसे बेहतरीन एजुकेशन के लिये महंगे से महंगे स्कूल में एडमिशन दिलाते ताकि, उसका भविष्य व कैरियर सुनिश्चित किया जा सके तो अपने जीवन भर की कमाई भी दांव पर लगाकर उसके लिये सभी सुविधायें व व्यवस्था जुटाते है लेकिन, जब उनको पता चले कि उनके जिगर के टुकड़े को उसी स्कूल में पढ़ने वाले कुछ छात्र व स्कूल स्टाफ द्वारा मारकर उसकी हत्या को छिपाने षड्यंत्र रच्छा गया तो सोच भी नहीं सकते कि उनके दिलों पर क्या गुजरी होगी और ये कोई कहानी या कल्पना नहीं बल्कि, आज के आधुनिक युग की एक कड़वी हकीकत है और अब इस हृदयविदारक घटना को इसी देश के एक स्कूल में अंजाम दिया गया है

सम्पूर्ण घटनाक्रम कुछ यूँ है कि देहरादून के एक बोर्डिंग स्कूल के कुछ बच्चे १० मार्च को आउटिंग के लिये बाहर गये जहाँ ७वीं क्लास के एक छात्र ने किसी दुकान से बिस्किट का एक पैकेट चुरा लिया जिसकी शिकायत दुकानदार ने स्कूल प्रशासन से कर दी जिसके चलते स्कूल प्रशासन ने बच्चों के बाहर जाने पर रोक लगा दी जो कुछ छात्रों को बेहद बुरा लगा मगर, उनमें से १२वीं कक्षा के दो सीनियर जिनकी ऊम्र १९ वर्ष है को तो इतना गुस्सा आया कि उन्होंने इसके लिये उस १२ वर्षीय बालक को दोषी मानते हुये उस पर अपने भीतर का क्रोध उतारने उन्होंने उसे पहले तो उसे क्लासरूम में बैट से खूब मारा फिर छत पर ले जाकर उसे ठंडे पानी से नहलाया, गंदा पानी पिलाया और उसके बाद भी उनका आक्रोश कम न हुआ तो वे उसे तब तक मारते रहे जब तक वो बेहोश नहीं हो गया फिर उसे उसी अवस्था में स्टडी रूम में छोडकर चले गये

इसके बाद जब वार्डन की उस पर नजर पड़ी तो उसने उसे अस्पताल में भर्ती करवाया मगर, तब तक इतनी देर हो चुकी थी कि उसे बचाया नहीं जा सका तब भी स्कूल प्रशासन को होश नहीं आया उसने इस मामले को दबाने के लिये उसका पोस्टमार्टम करवाए बिना ही उसे वहां से ले जाकर उसके माता-पिता को बिना सूचना दिये ही उसे स्कूल परिसर में दफना दिया मगर, सच्चाई किस तरह से और कब तक छुपती तो जब उत्तराखंड बाल संरक्षण आयोग की चेयरपर्सन ऊषा नेगी को मौत की सूचना मिली तो उन्होंने इस मामले को उठाया जिसके कारण ये घटना सबके सामने आई और जाँच में पता चला कि स्कूल प्रबंधन ने परिजन को भी गुमराह किया उन्हें सूचना दी गई थी कि फूड प्वॉइनिंग के चलते उनके बेटे की तबीयत बिगड़ गई, जिसके बाद उसे अस्पताल में भर्ती कराया गया था ।

इसी पूरे मामले ने एक बार फिर नौनिहालों के लालन-पालन व स्कूल प्रबन्धन पर कई सवाल खड़े कर दिये है जिसके जवाब यदि अब न तलाशे गये तो आने वाले समय में शायद, इससे भी भयावह कुछ देखने-सुनने को मिले क्योंकि, जिस तरह से आजकल सयुंक्त परिवार एकल परिवार में बंट रहे वहां संस्कार भी घट रहे और जिस तरह से ये पालक अपनी सन्तान को पाल रहे उसे ‘पालने’ से अधिक ‘पलना’ कहना अधिक उपयुक्त होगा वे केवल, सन्तान के लिये सुख के साधन जुटाने को ही अपना फर्ज समझते व टेक्नोलॉजी के इस जमाने में खुद तो कमाने निकल पड़ते और उसे गेजेट्स के भरोसे छोड़ देते जिसके कारण अधिकांश बच्चे हिंसक गेम्स व विडियो की शरण में कब चले जाते पता ही नहीं चलता जो उनके अवचेतन व मानस पटल में किस तरह काबिज हो जाते खुद उनको अंदाजा नहीं होता वो तो जब इस तरह के नृशंस काण्ड सामने आते तब उनके बेकग्राउंड की जाँच करने पर पता चलता कि इसके पीछे कहीं न कहीं ये अत्याधुनिक लाइफ स्टाइल है जिसमें दिखावा तो बहुत है मगर, कोमल संवेदनाएं इन हिंसक वीडियोज को देख-देख धीरे-धीरे दम तोड़ रही इसलिये किशोर व युवा इस तरह के अपराधों को अंजाम दे रहे है

साथ ही ये महंगे प्राइवेट स्कूल केवल फीस पर ध्यान देते मगर, अपने छात्र-छात्राओं पर पूरी तरह से ध्यान नहीं देते तभी तो आजकल सबसे सुरक्षित समझे जाने वाले ये विद्या के मंदिर से भी चीखें बाहर आ रही और ये कोई एक मामला नहीं ऐसे कई किस्से अब तक घटित हो चुके है मगर, कोई भी न चेत रहा जबकि, लोग अब तो बच्चे भी एक या दो ही कर रहे और स्कूल को मोती फीस देकर वे समझते उन्होंने अपने फर्ज की अदायगी कर दी आगे का काम उनका इसी तरह स्कूल समझता कि जिम्मेदारी टीचर की और टीचर समझते कि बच्चे ही तो है इन पर क्या ध्यान देना तो सब एक-दूसरे के भरोसे आँख मूंदकर निश्चिन्त रहते फिर जब कहीं ऐसी कोई दर्दनाक घटना घटती तब उनकी आंख खुलती जो उस हादसे के साथ ही पुनः बंद हो जाती इसलिये इनको अब तक कोई गम्भीरता से नहीं ले रहा अन्यथा स्कूल कैम्पस में होने वाली हर एक घटना का जिम्मा प्रबन्धन को लेना चाहिये और ऐसी चाक-चोबंद व्यवस्था करनी चाहिए कि हत्या तो क्या मामूली मारपीट भी सम्भव न हो वरना, ये सारी आधुनिकता, शिक्षा, तकनीक व विकास किसी काम का नहीं जो दिन-ब-दिन मानवीयता को लीलता ही जा रहा है ।   

वैसे तो पुलिस ने इस मामले में दोनों आरोपी छात्रों के खिलाफ दफा 302 के तहत मामला दर्ज किया है, वहीं स्कूल प्रशासन के तीन कर्मचारियों हॉस्टल मैनेजर वॉर्डन और स्पोर्ट्स टीचर पर अपराध के सबूत मिटाने के जुर्म में सेक्शन 201 तहत केस दर्ज किया है पर, अब जरूरत कि कुछ ऐसा किया जाये कि ऐसी नौबत ही न आये बच्चे स्कूल में विद्यार्जन कर संस्कारवान जिम्मेदार नागरिक बने न कि अपराधी जैसा कि आजकल ज्यादातर हो रहा है
        
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २८, २०१९

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