सोमवार, 18 मार्च 2019

सुर-२०१९-७७ : हुई_असंख्य_आँखें_नम #हुये_जब_विदा_मनोहर_पर्रिकर



राजनीति में हर कोई नहीं आना चाहता खासकर पढ़ा-लिखा युवा इस पर वो उच्च शिक्षित हो तो सोच भी नहीं सकता लेकिन, मनोहर पर्रिकर पहले ऐसे नेता माने जायेंगे जिन्होंने मुम्बई से आई.आई.टी. करते हुये ही ये निश्चित कर लिया कि देशसेवा करना है जिसके लिए पॉलीटिक्स को जॉइन करना एक सही माध्यम है क्योंकि, इस मंच पर आकर सर्वाधिक परिवर्तन लाया जा सकता है एवं अधिक से अधिक लोगों की सेवा भी की जा सकती तो इस तरह उनके राजनैतिक कैरियर का आगाज़ हुआ जिसमें उनका माइंड सेट पहले से ही तय था कि किस तरह उन्हें अपने लक्ष्य का संधान करना है किस तरह जनता से सम्वाद कायम रखते हुए कदम दर कदम आगे बढ़ना है

उनकी सोची हुई रणनीति कारगर सिद्ध हुई जिससे वे सही मायनों में जनप्रतिनिधि कहलाये जिसके लिये वे जनता के सेवक है न कि निजहित हेतु उन्होंने इस पद का चयन किया वे जनता के द्वारा चुनकर उनकी आवाज़ ऊपर तक पहुंचने का माध्यम बने है अतः खुद को उनसे ऊपर नहीं बराबर समझकर उनके साथ-साथ चलना है तो मुख्यमंत्री पद तक का सफर तय करते हुये उस उच्च पद पर पहुँचकर भी मन-अभिमान छूकर भी न गया सादा जीवन, उच्च विचार शैली के नेता की तरह सामान्य वेशभूषा में रहते हुये ही जनता के साथ सड़क पर एक आम आदमी की तरह ही निकलते कोई अंदाजा भी न लगा सकता कि ये मुख्यमंत्री है यहां तक कि एक बार ऐसा वाकया भी हुआ जब सड़क क्रॉस करते हुए एक युवा खुद को बड़े अधिकारी का बेटा बताते हुए उनके सामने ही ट्रैफिक रोककर खड़ा हो गया तब उन्होंने जाकर उसे मुस्कुराते हुए बताया कि वे गोआ के मुख्यमंत्री है

ये सहजता-सरलता उनकी व्यक्तिगत व सार्वजनिक पहचान थी जिसने उन्हें वास्तविक ‘कॉमन मैन’ का दर्जा दिलाया और अपनी कार्य कुशलता व तकनीकी ज्ञान के बल पर वे रक्षा मंत्री के पद पर भी सुशोभित हुये और सर्जिकल स्ट्राइक के अगुआ बनकर सैनिक व जनता के जोश को हाई किया और अपनी बुद्धिमता का परिचय भी दिया जिस पर उनकी सादगी व सौम्य व्यक्तित्व ने उनके किरदार को एक उच्चतम प्रतिमान पर स्थापित किया जिसका अहसास कल उनके निधन की खबर आ जाने के बाद हुआ जब सभी ने एक स्वर में उनकी सिम्पल पर्सनालिटी व इफेक्टिव एक्टिविटीज का उल्लेख करते हुए उन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित किये

यूं तो सभी ने अपनी तरह से उनको श्रद्धांजलि दी पर, जो उन्हें करीब से जानते थे उन्होंने उनके बहुआयामी शख्सियत का अपनी तरह से वर्णन किया जिसमें आनंद महिंद्रा का ट्वीट उल्लेखनीय है जिन्होंने लिखा कि... यूं तो परंपरानुसार देश के किसी भी नेता के निधन पर कहा जाता कि राष्ट्र को क्षति हुई परंतु, उनके सन्दर्भ में ये उक्ति शत-प्रतिशत सत्य है । यह साबित करता कि देशसेवा का उनका जुनून इस हद तक था कि अपने अंतिम समय तक उन्होंने काम करना नहीं छोड़ा नाक में पाइप लगाए वे संसद में आये तो कहा कि मैं होश में भी हूँ और जोश में भी हूँ

उनकी कर्तव्यनिष्ठता की ये सीमा थी जिसने उनको कैंसर जैसे असाध्य रोग से लड़ने की क्षमता दी और देश के लिये कुछ कर गुजरने का हौंसला भी भरा अन्यथा कोई अन्य होता तो बीमारी का बहाना बनाकर आराम करता पर, वे एक कर्मयोगी की तरह इस दुनिया को अलविदा कहना चाहते थे तो वही हुआ और उन्होंने किस तरह आम जन का दिल जीता ये उनकी अंतिम यात्रा ने दिखा दिया....

जीते तो सभी है
मरना भी सबका तय है
पर, अमर होते चंद वही लोग
जो देश के नाम
अपनी सांसें कर देते है

ऐसे देशभक्त जुझारू व कर्मठ राजनेता थे मनोहर पर्रिकर उनके असमायिक देहांत पर मन से नमन एवं शब्दांजली...  !!!

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च १८, २०१९


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