शनिवार, 30 मार्च 2019

सुर-२०१९-८९ : #काव्य_कथा #खुद_पर_भरोसा_रखो #अपने_जीवन_की_डोर_थामो




‘अनाहिता’ उदास थी क्योंकि, ‘नमित’ ने उसको इग्नोर कर दिया उसने उसी के कहने से नया हेयर स्टाइल बनाया था पर, उसके पास इतना समय ही नहीं था कि देखता जब उसने कहा तब भी उसकी कोई विशेष प्रतिक्रिया नहीं मिली बल्कि, उल्टा वो नाराज हो गया कि यहाँ मैं ऑफिस को लेट हो रहा हूँ उधर तुम्हें अपने हेयर स्टाइल की पड़ी है तब उसे लगा शायद, ये ठीक नहीं तो उसने वापस पुराना स्टाइल ही अपना लिया उसे खुद पर भरोसा ही नहीं था वो तो ‘नमित’ की आँखों से खुद को देखती थी इसलिये उसके निर्णय हमेशा ऐसे ही आधे-अधूरे होते थे वो कभी निश्चय ही नहीं कर पाती कि उसे क्या करना चाहिए क्या नहीं क्योंकि, वो जो भी करती वो गलत ही होता जिसकी वजह से आये दिन ‘नमित’ का मूड ऑफ हो जाता था रोज-रोज के इन झगड़ों ने से त्रस्त आकर उसे लगने लगा था कि उसका जीवन किसी काम का नहीं है और उसने खुद को खत्म कर लेने का अंतिम फैसला किया ताकि, नमित तो कम से कम सुखी हो सके ये सोचकर वो कलाई की नस काटकर सो गयी

अर्धचेतन में उसने देखा कि नमित ऑफिस से आकर उसकी इस हरकत पर भी नाराज होकर उसे ही दोषी ठहरा रहा है ये देख उसके मानस में न जाने कैसे-कैसे विचार उठने लगे...    

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उसने कहा,
तुम सोचती नहीं
कुछ सोचा करो
जब सोचना शुरू किया तो
फिर उसने कहा,
बहुत सोचती हो यार
इतना भी न सोचा करो
और...
इससे बचने का
अब एकमात्र उपाय था
कि जेहन को इस देह के पिंजरे से
मुक्त कर दिया जाये
तो उसने वही किया
पर...
किसी का इल्जाम लगाना तो
अब भी जारी हैं ।।
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उसकी गुस्से भरी आवाज़ सुनकर उसने घबरकर आँख खोली तो पाया कि ऐसा कुछ नहीं हुआ वो रोते-रोते सो गयी तो ये सब उसने स्वप्न में देखा था पर, आज इस सपने ने उसको हकीकत का अहसास करा दिया कि, जब जीवन अपना तो जीने का तरीका भी अपना होना चाहिये न कि दूसरों के हिसाब से अपने मापदंड तय हो वो भी तब जबकि, बात व्यक्तिगत स्तर पर जीने के तरीके की हो न कि समाज के अनुसार चलने की जब वो किसी सामाजिक नियम का उल्लंघन नहीं कर रही तो फिर इतना परेशान होने की जरूरत ही क्या है ‘नमित’ को उसने लाइफ समझकर सब कुछ उस पर छोड़ दिया जबकि, वो तो महज उसके जीवन का एक हिस्सा भर है गलती उसकी नहीं खुद की है जो वो उसके उपर निर्भर रहती न कि स्वयं ही अपने लिये अपने नियम निर्धारित करती है आज उसे समझ आ गया कि अपनी मम्मी को पापा के निर्देश पर चलते देख वो भी उन्ही का अनुसरण करने लगी भूल गयी कि ये नया जमाना, नई जनरेशन है जो अपनी ज़िन्दगी का रिमोट कंट्रोल किसी को नहीं थमाती है
  
एक ख्याल, एक सपने ने उसकी वास्तविकता को पूरी तरह बदल दिया था, कभी-कभी जागकर भी जिन सवालों के जवाब नहीं मिलते वो यूँ ख्वाबों में मिल जाते है अब वो खुश थी

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च ३०, २०१९

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