रविवार, 31 मार्च 2019

सुर-२०१९-९० : #ईमानदारी_की_जब_कीमत_चुकानी_पड़ती_है #व्यवस्था_भी_तब_शर्मिंदा_होती_है




‘नशामुक्त समाज’ की कल्पना कोई नई नहीं जब से इस देश में इस लत की शुरुआत हुई तब से ही इसके दुष्परिणाम सामने आने पर इसका प्रतिरोध भी तरह-तरह से किया गया फिर भी अभी तक ये सिर्फ एक कल्पना ही है कि कभी ये व्यसन जड़ से समाप्त होगा तमाम प्रयासों के बाद भी इसका कायम रहना यही इंगित करता है और देश के सबसे खुशहाल समझे जाने वाले राज्य ‘पंजाब’ को जहाँ दिलेरी और साहस के लिये जाना जाता है वहीँ यहाँ की सम्पन्नता ने यहाँ के युवाओं व नौजवानों को शराब-अफीम से लेकर तमाम तरह के ड्रग्स का इस कदर अभ्यस्त बना दिया कि आज इसे पांच पवित्र नदियों वाले ‘पंजाब’ की जगह पचासों तरह के जानलेवा नशे की वजह से ‘उड़ता पंजाब’ कहा जाने लगा है

जिस पर लगाम कसने सरकार के सारे प्रयासों के बावजूद भी ये किस हद तक कम हुआ ये तो नहीं पता लेकिन, इसने वहां के लोगों के दिमाग पर किस तरह अपना कब्जा जमा लिया इसे इस बात से ही समझा सकता है कि ‘पंजाब’ के ‘खरड़’ में ‘जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी’ के पद पर दवा और खाद्य रासायनिक प्रयोगशाला में तैनात महिला अधिकारी ‘नेहा शौरी’ को शुक्रवार (२९ मार्च) के दिन सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर उनके ही दफ्तर में घुसकर एक व्यक्ति ने अपनी लाइसेंसी रिवाल्वर से तीन गोलियां मारीं ये पूरी घटना सी.सी.टी.वी. कैमरे में भी कैद हो गई है और जिस वक्त ‘नेहा’ पर हमला हुआ, उस वक्त वे अपनी 3 साल की भतीजी से फोन पर बातें कर रही थीं साथ ही उस वक़्त दफ्तर के सहकर्मी भी मौजूद थे जब वे दरिंदगी का शिकार हो रही थी हमलावर ने सबकी मौजूदगी में ही तीन गोलियां उनके सीने, चेहरे और कंधे पर मारी जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई।

यहाँ पर ‘पंजाब’ और उसकी इस विकराल समस्या का जिक्र इसलिये ही किया गया क्योंकि, ‘पंजाब’ में दवाइयों का बिज़नेस देश के अन्य हिस्सों की तरह न सिर्फ नक़ली दवा माफियाओं के शिकंजे में है बल्कि, यहाँ हर तरह का नशा उपलब्ध है चाहे वो खतरनाक ‘स्मैक’ हो या ‘ब्रॉउन शुगर’ सब डिमांड पर आसानी से मिल जाता है इसकी वजह कि यहां के अधिकतर नौजवान ‘कोरेक्स’ एवं अन्य प्रतिबंधित दवाओं को नशीले द्रव्य की तरह प्रयोग में लाते है बोले तो ये जहरीली दवाइयों के साथ-साथ घातक किस्म के नशीले पदार्थों का इस्तेमाल करते है इसलिये यहाँ ये उद्योग बड़ी तेजी से फल-फूल रहा है और यहाँ के ज़्यादातर मेडिकल शॉप्स में सालों से प्रतिबंधित दवाओं को बेचा जा रहा है क्योंकि, कुछ ड्रग इंस्पेक्टर इनसे रिश्वत लेकर समझौता कर लेते हैं पर, ये नहीं जानते कि उनके इस भ्रष्टाचार की सजा उन ईमानदार अधिकारीयों को भुगतनी पडती है जो करप्ट सिस्टम में भी अपने उसूलों के साथ रहकर काम करना चाहते वो भी अपराधियों से बगैर हाथ मिलाये ताकि, जिस शपथ को लेकर उन्होंने सरकार के अधीन ईमानदारी से कम करने का वचन दिया उसके प्रति वे कभी भी शर्मिंदा न हो मगर, वे नहीं जानते कि चंद बेईमान चुपचाप उनकी जान का सौदा कर देते है

ऐसा ही हुआ ‘नेहा शौरी’ के साथ जिसने अपनी नौकरी, अपने काम को अपना दायित्व समझा और 2006 में जब ‘जोनल लाइसेंसिंग अथॉरिटी’ के पद पर नियुक्त हुई तो पंजाब के लगभग 70-80% युवाओं को बर्बाद कर चुकी ड्रग्स से लड़ने की ठानी जिसके तहत उन्होंने ऐसी दुकानों एवं संस्थाओं को चिन्हित कर उनको प्रतिबंधित करने का बीड़ा उठाया और 2009 में नेहा ने ‘बलिंदर मोरिंडा’ नाम के एक दवा व्यापारी की दुकान पर छापा मारकर वहां से कथित रूप से नशीली दवाएं बरामद की जिसके बाद उन्होंने उस दवा की दुकान का लाइसेंस रद्द कर दिया तो पुलिस ने उनकी हत्या का मामला दर्ज कर कर उस मामले को ही आधार मानकर ‘बलिंदर मोरिंडा’ को आरोपी बता दिया जबकि, उनके पिता रि. कैप्टन कैलाश शौरी जिन्होंने स्वयं देश सेवा की आज अपनी बेटी को इस तरह खोने पर दुखी है और उनको इस पूरे मामले में किसी साजिश के होने का अंदेशा लग रहा है   

उनका ऐसा सोचने की पीछे की मुख्य वजह ये है कि शुरूआती जाँच के बाद जब सामने आया कि 11 मार्च को हत्यारे को .32 बोर की रिवाल्वर रखने का लाइसेंस जारी कर दिया जबकि, पूरे देश में लोकसभा चुनाव के मद्दे नजर 10 मार्च को ही आचार संहिता लागू कर दी गयी थी ऐसे में उनसे हथियार जमा करवाने की जगह उनको लाइसेंस दे दिया जाता है और 12 मार्च को वे रिवाल्वर व 20 कारतूस भी खरीदते है ऐसे में सवाल उठता कि कोई ‘गन हाउस’ जब सरकार की मंजूरी के बिना किसी को हथियार नहीं बेच सकता तो फिर हत्यारे को रूपनगर प्रशासन द्वारा किस तरह से ये हासिल हुआ ? जिस तरह एक व्यक्ति ने दिन-दहाड़े रिवाल्वर लेकर ऑफिस घुसकर में वहां एक अधिकारी को मारा उसने सुरक्षा पर भी सवालिया चिन्ह खड़ा कर दिया है और दस साल तक वो इस हत्या का षड्यंत्र रचता रहा लेकिन, किसी को कानों-कान खबर ही नहीं हुई इसका मतलब कि कहीं न कहीं तो इस हत्याकांड मामले में बहुत सारी गड़बड़ियाँ है जो व्यवस्था पर भी ऊँगली उठाती है
   
यह एक ‘रेयर ऑफ़ द रेयरेस्ट’ केस है जहाँ एक सिरफिरे हत्यारे की वजह से किसी ने अपनी बेटी तो किसी ने अपनी बहन और किसी ने अपनी पत्नी और एक नन्ही मासूम बच्ची ने अपनी माँ को खो दिया है और उनकी सोशल मीडिया पर उपलब्ध जितनी भी तस्वीरें देखी वे बताती कि वे बेहद खुशमिजाज ऊर्जा से भरपूर एक जिंदादिल महिला थी जो अपनी जिम्मेदारियों के प्रति भी बेहद सजग व सतर्क थी जिसके लिये उन्होंने बड़ी बहादुरी से किसी सैनिक की तरह अपनी भूमिका का निर्वहन किया और देश को आंतरिक रूप से मजबूत बनाने देश के भावी कर्णधारों को नशामुक्त करने का अभियान छेड़ा जिसके लिये सभी ने उनकी ईमानदारी की प्रशंसा की जो उनके एक कर्तव्यपरायण नागरिक होने और जिम्मेदार व्यक्तित्व को दर्शाती है और उनकी इस तरह हत्या किये जाने पर देश की जनता प्रशासन को कहीं न कहीं दोषी समझती है

शायद, इस बार खतरे की घंटी उन पर ही बज रही यही कारण है कि – ‘मीडिया चुप है’ सेलेक्टिव लोग, कैंडल मार्च, बड़ी बिंदी, पोस्टर आदि गैंग इसके खिलाफ़ कुछ नहीं लिख रहे  लेकिन, इस सत्य को कोई छिपा नहीं सकता कि, ‘प्रशासन’ की कमजोरी से ही ‘ईमानदारी’ पर ये खूनी हमला हुआ है । सलाम उस वीर जाबांज अधिकारी को जिसने कर्मरत होते हुये अपनी कर्मभूमि पर ही अपनी जान गंवा दी मगर, अफ़सोस कि ये प्रश्न भी अपने छोड़ गयी कि जब तक ईमानदारी पर इस तरह हमला होता रहेगा तब तक भ्रष्टाचार ऐसे ही पनपता रहेगा जिस पर लगाम कसने अब ठोस कार्यवाही की सख्त जरूरत है

विनम्र शब्दांजली ‘नेहा शौरी’ को...

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च ३१, २०१९

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