रविवार, 10 मार्च 2019

सुर-२०१९-६९ : #दाग_अच्छे_है_तो_बचना_क्यों #सर्फ_एक्सेल_का_अब_बॉयकाट_हो




नन्ही ‘मिताली’ टी.वी. देख रही थी जैसे ही ‘सर्फ एक्सेल’ का ‘ऐड’ आया तो अपने हमउम्र बच्चों को होली खेलते व गुब्बारे फेंकते देख जोश से भर गयी आखिर, उसका मनपसन्द त्यौहार जो है ‘होली’ तो वो गौर से देखने लगी कि सभी बच्चे उत्साहित होकर खेल रहे थे तभी वहां एक प्यारी-सी बच्ची साइकिल पर आकर उन बच्चों को चेलेंज देकर सारा रंग खुद पर लेती है और इस तरह उनका सारा रंग खत्म करवाने के बॉस कन्फर्म करती कि कोई बाकी तो नहीं बचा है जब निश्चिन्त हो जाती है तो किसी को बाहर आने बोलती है तब बगल से झक्क सफ़ेद कुरता-पैजामा व सर पर टोपी पहना एक छोटा लड़का मुस्कुराता हुआ निकलता है और बैकग्राउंड में गीत गूंजता है “मैं तुझमे, तू मुझमें अपनी दोनों की है एक ही दास्तान” फिर वो बच्ची उसे साइकिल में बिठाकर पाक-साफ़ बचाकर मस्जिद ले जाकर छोड़ देती है जिसके बाद वो बोलता है कि नमाज पढ़कर आता हूँ जिसके जवाब में बच्ची कहती है कि फिर रंग पड़ेगा तब वो जवाब न देकर केवल आँखों से इशारा करता है

ऐड देखने के बाद वो अपनी मम्मी से कहने लगी कि, माँ होली तो सबका मनपसन्द त्यौहार होता फिर वो बच्चा रंग से क्यों बच रहा था और वो बच्चा कैसी अलग टाइप की टोपी पहना   था ऐसे कपड़े पहनकर वो कहाँ जा रहा था और जो उसने कहा कि नमाज पढ़कर आता हूँ तो इसका क्या मतलब हैं ?

एक साथ इतने सवाल सुनकर ‘कामिनी’ घबरा गयी कि जिन सवालों से वो अपने बच्चों को बचाना चाहती या मजहब व जात-पात जैसे जिन शब्दों को उसके कोमल मन में भरना नहीं चाहती इसकी वजह से उसे वो सब बताना पड़ेगा तो किसी तरह उसे समझाया कि बेटा, वो बच्चा अपने जैसा नहीं है उसका धर्म अलग जहाँ होली नहीं मनाते और उनके लिये होली के रंग ‘दाग’ होते जिसका लगना उनके यहाँ अच्छी बात नहीं समझी जाती और जैसे हम अपने भगवान की पूजा करते वो भी करते जिसको ‘नमाज’ कहते है

उसे सुनकर उसने फिर पूछा कि, वो लोग होली क्यों नहीं मनाते अपने देश में तो सब मनाते है और इतने से बच्चे को अभी से पूजा करने की क्या जरूरत तो उसकी बात सुनकर ‘कामिनी’ ने उसे चुप कराते हुये कहा कि छोड़ो ये सब अभी इन सबमें पड़ने की न तो जरूरत है और न ही तुम्हारी उम्र ही है पर, उसके नन्हे दिमाग में तो सवालों की झड़ी लगी रही वो समझ नहीं पा रही थी कि एक बच्चे के लिये होली खेलना गलत क्यों है?

इधर ‘कामिनी’ परेशान थी कि इन कम्पनी वालों को तो बस, किसी भी तरह अपना प्रोडक्ट बेचना फिर इसके लिये चाहे बच्चों को ही क्यों न माध्यम बनाना पड़े या उनके जेहन में धर्म की दीवार ही क्यों न खड़ी करनी पड़े उन्हें इससे क्या मतलब है वे तो मनोवैज्ञानिक तरीके से हम लोगों का इस्तेमाल करते पर, अब तो हद हो गयी, बहुत हो गयी सहिष्णुता इसका जवाब देना ही होगा ये लोग लगातार हिन्दुओं की सनातन परम्पराओं, धार्मिक रीति-रिवाजों व पर्वों को निशाना बनाते रहते है कभी कहेंगे शिवरात्रि पर दूध न बहाओ, होली पर रंग न खेलो, पानी बचाओ, दीपावली पर पटाखे न फोड़ो तो कभी चालू हो जायेंगे कि रावण मत जलाओ लेकिन, किसी को ये कहते न देखा कि बकरे मत काटो, खून न बहाओ, जानवर बचाओ, अंडे मत खाओ सारा ज्ञान हमको क्यों ?

क्योंकि, हम सहनशील तो अब ये सब न चलेगा बोलना भी पड़ेगा और सबक भी सिखाना पड़ेगा इन सबको इन्होंने तो इस ऐड में सभी सीमा पार कर दी हमारे बच्चों के नाजुक मस्तिष्क में ‘लव-जिहाद’ का एंगल भी फिट कर दिया तो उसने सोशल मीडिया पर चल रही ‘बॉयकाट_सर्फ_एक्सेल’ का हिस्सा बनना तय किया और एक पोस्ट लिखकर जता दिया कि जो उसकी आस्था पर वार करेगा उसको ऐसे ही जवाब मिलेगा आखिर, कब तक हमारी भावनाओं का बाजारीकरण कर कमाओगे अगर हम उठा सकते है तो गिराना भी जानते है उसके साथ सभी लोगों ने साथ दिया सभी धीरे-धीरे समझने लगे थे कि ये हिन्दुओं की आस्था के खिलाफ खतरनाक षड्यंत्र जिसमें उन पर ही निशाना बनाया जाता और उनको ही असहिष्णु भी बताया जाता है

बच्चों की मासूमियत के साथ खिलवाड़ बर्दाश्त नहीं ये नया भारत है, सिर्फ, विरोध नहीं जतायेगा बल्कि, बहिष्कार भी करेगा तो अगली बार ऐसा करने से पहले सोच लेना

#Boycot_Surf_Excel
#दाग_अच्छे_नहीं_है          
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च १०, २०१९

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