बुधवार, 20 मार्च 2019

सुर-२०१९-७९ : #चाहे_कोई_कुछ_भी_कहे #होलिका_दहन_भी_करें_होली_भी_खेलें




‘अनिमेष’ होली की छुट्टी पर घर आया तो सभी खुश थे जब से वो पढ़ाई के लिये दिल्ली रहने क्या चला गया अब तो बस, तीज-त्यौहारों पर ही आना हो पाता है तो उसके आने की ख़ुशी में मम्मी ने भी सब तैयारियां कर रख थी और अब बस, सबको रात का इंतजार था जब होलिका दहन क साथ ही होली का पांच दिवसीय पर्व शुरू होगा मगर, शाम को जब रेस्ट कर के अनिमेष अपने कमरे से नीचे आया और सबने उसे पूरी प्लानिंग बताई तो वो बोल उठा, “इस बार हम होलिका का दहन नहीं करेंगे ये बिलकुल गलत परंपरा और इससे स्त्री का अपमान व प्रदुषण भी होता तो इस साल हम इसे अलग तरह से मनाकर एक नई परम्परा की शुरुआत करेंगे” उसकी बात पूरी होते ही उसके पापा बोले, “तुम्हें ये सब किसने बताया ?” तो वो बोला, “पापा, मेरी यूनिवर्सिटी में सब कहते कि हम लोग बेहद बैकवर्ड व दकियानूस जो अब तक अपनी कुरीतियों से बाहर नहीं निकले और वो सब हमारा मजाक बनाते तो मैंने ये डिसाइड किया कि बदले समय के साथ हमें भी बदलना होगा” पापा ने उसकी बात बड़े धैर्य से सुनी और बोले, “बेटा, तुम्हें दिल्ली गये कितना समय हुआ महज़ एक साल और बचपन से तुम पूरे रीति-रिवाज से ये सब मनाते तो इतनी जल्दी उनके बोल बोलने लगे लेकिन, ये नहीं सोचा कि इसके पीछे वजह क्या?” अनिमेष तपाक से बोला, “पापा वजह मैंने बताई तो कि ये सब ओल्ड सिस्टम का पार्ट जो इस स्मार्ट जनरेशन में फिट नहीं होता है” उसकी बात सुनकर पापा उसको समझाते हुये बोले, “बेटा, आ गये न तुम भी इनके झांसे में ये ऐसे ही प्रेम से हिन्दुओं के हर पर्व को अपने कुतर्कों से गलत बताते ताकि, धीरे-धीरे हम इनकी बातों में आकर इनके जैसे बन जाये अपनी जड़ों से कटकर कहीं के भी न रहे बेटा ये सब वैश्विक साजिश का हिस्सा जिसमें अनेक बुद्धिजीवी, लिबरल्स, वामपंथी व फेक मीडिया जुटा ऐसे में हमको और अधिक उत्साह से न केवल अपने त्यौहार मनाना चाहिये बल्कि, अपने धर्म को समझकर इनको जवाब भी देना चाहिये क्योंकि, हमारे ये सभी धार्मिक आयोजन फ़िज़ूल नहीं सब ऋतू परिवर्तन व प्रकृति से जुड़े सबका विधि-विधान भी बेहद वैज्ञानिक पर, जिन्हें ये रास नहीं आता वो इनके प्रति दुष्प्रचार करते ऐसे में जो नासमझ वे इनके जाल में फंस जाते मगर, जो अपने धर्म को गहराई से समझते वो अपनी वैदिक परम्पराओं को मिटने से बचाने का प्रयास करते है और होली भी ऐसा ही पौराणिक महत्व का उत्सव जिसका हर एक विधान महत्वपूर्ण तो इसे किसी दुर्भावना से ग्रस्त व्यक्ति के नजरिये से नहीं अपनी खुली आँख व कान से सुनकर ही कोई निर्णय लो वरना, एक दिन तुम्हारे हाथ व घर दोनों खाली रह जायेंगे फिर डिप्रेशन का शिकार होकर पछताओगे मगर, कुछ कर न पाओगे इसलिये अभी समय है जागो, समझो और जो कुछ शेष उसे बचाओ न कि षड्यंत्रकारियों की बातों में आकर उसे गंवाओ” उनकी बात की गम्भीरता को समझ व भविष्य की भयावह कल्पना ने उसे डरा दिया तो वो बोला, “समझ गया पापा जो आपने मुझसे कहना चाहते है, चलिये हम सब धूमधाम से होलिका दहन कर होली का शुभारम्भ करें” उसने होलिका दहन व पूजा के पश्चात मम्मी-पापा के पैर छूकर आशीष लिया और सोशल मीडिया पर उसकी तस्वीरें पोस्ट करते हुये सबको होली की अग्रिम शुभकामनायें प्रेषित की...          
_____________________________________________________
© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २०, २०१९

कोई टिप्पणी नहीं: