रविवार, 24 मार्च 2019

सुर-२०१९-८३ : #लघुकथा_दिल_नहीं_मिले




"बिंदिया तू अभी तक तैयार नहीं हुई देख, लड़के वाले आ भी गये चल उठ... जल्दी से कपड़े बदलकर बाहर आ जा" अपनी बेटी से ये कहते हुए उसकी व्यस्त मां जिस तेजी से आई थी उसी गति से वापस लौट जरुर गयी मगर, उनकी आंखों में उसका उतरा हुआ चेहरा ही घूम रहा था ।

उधर बेमन से बिंदियाने उठकर ड्रेस चेंज की और जब उसे बाहर बुलाया गया तो उसी तरह मुस्कान रहित चेहरा लिये बैठक में आ गयी और बुझे-बुझे स्वर में उसे भी नहीं पता उसने उन लोगों को क्या जवाब दिये बस, माता-पिता की इच्छा के लिए उसने औपचारिकताओं का निर्वहन मात्र किया जिसे देख मां को लगा कि पिछले रिश्ते टूटने के कारण शायद, वो निराश हो चुकी है ।

इस बात को अभी एक सप्ताह ही गुजरा था कि शाम को उसके पापा मिठाई का डब्बा लिए घर में आये और उसकी मम्मी का मुंह मीठा कराते हुये बोले कि "आखिर, लंबे इंतजार के बाद बिंदियाका रिश्ता तय हो ही गया आज लड़के वालों का फोन आया था उन्हें हमारी बिटिया पसन्द आ गई है और वो जल्दी से जल्दी शादी के लिये तैयार है तुम जाकर बिंदियाको ये खबर दे दो तब तक मैं फ्रेश होकर आता हूं" ।

मम्मी खुशी-खुशी मिठाई का डब्बा लेकर कमरे में आई और बोली, "मैं न कहती थी कि इस बार सब कुछ सही होगा, पिछले पांच दफा कुंडली न मिलने से तू बेकार ही नाउम्मीद हो गयी थी । ले अब मुंह मीठा कर..."

"मां मैं ये शादी नहीं करना चाहती आप उन लोगों को मना कर दो" खिड़की के पास खड़ी बिंदियाने बड़े आत्मविश्वास से पलटकर मुस्कुराते हुये कहा ।

"क्यों मना कर दे कितनी मुश्किल से तो हां हुई है और उन लोगों से बोलेंगे क्या" ?

"मां पिछली पांच बार लड़के वालों ने गुण नहीं मिले कहकर ना किया तो क्या आप एक बार दिल नहीं मिले कहकर उनको अपना जवाब नहीं भेज सकती हो" उनके कंधे पर अपने हाथ रखते उसने उतने ही स्नेह से कहा ।

मां  गौर से उसके खिले चेहरे को देखने लगी जो अपने भीतर की कशमकश से जीतकर यूँ चमक रहा था जैसे ग्रहण के बाद चाँद चमकता है और आज वो उसके उस उदास चेहरे की वजह समझ गयी जिसे वो अब तक 5 लड़कों द्वारा किया गया इंकार ही समझती थी ।

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
मार्च २४, २०१९

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