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चमन वीरान है
कलियाँ भी खुद
में सहमी है
आये बौर आम
पर
कोयल मगर,
चुपचाप है ।
.....
नुच गये पंख
तितलियों के
चिड़ियों को लील
गयी आधुनिकता
फागुन की चली
बयार लेकिन,
बुलबुल का स्वर
उदास है ।
.....
भंवरों ने ही
लुट लिया
खिले गुलशन को
दिया उजाड़
तोता रहा पुकार
पर,
पिंजरे में पड़ी
मैना की लाश है ।
....
हवसी भेड़िये
खा रहे बोटियाँ
नोच-नोचकर
दबा दी गयी यहाँ
बोलती बेटियों
की आवाज़ है ।
.....
देखो,
चाहे जिस भी
तरफ
आ रहे गिद्ध
उड़ते नजर
कौओं का है
बोलबाला
शोर मचा रहे खूनी
चमगादड़
हुई गोरैया घायल
है ।
.....
उठो जागो,
सोने का मत करो
नाटक
चेत जाओ यारों
निकट आ रही कयामत
है ॥
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#Awake_India
#Listen_Voice_Of_Nation
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
मार्च १६, २०१९
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