पीड़ा से
उपजती नहीं है
पीड़ा सदैव
अक्सर,
हास्यबोध लेता
वेदना के गर्भ
से जनम
कहकहे लगाता जो
अपनी ही
तकलीफों पर
चाहिये जिसके
लिये
हर एक गम पर
ठहाके लगाने का
जज्बा
सिखाये जो जीने
का
इक अलग ही
फलसफ़ा
भूलकर फिर सभी
जीवन में मिली
कड़वाहट
मुस्कुराने लगे
लब
आँखों में फिर
भले हो आंसू
नजर न आये मगर,
चेहरे पर उसके
नक्श कोई
मुमकिन नहीं कि
कर सके सब ऐसा
करिश्मा
कोई एक अलहदा
कर पाता यूँ
हंस-हंसकर
मुश्किलों का
सामना
सीखाता जो दुनिया
को जीना
खुद पर हंसना
कहते जिसे हम
मसीहा
‘चार्ली चैपलीन’
एक ऐसा ही नाम
बना
जिसने बिना कहे
हंसी का खजाना
गढ़ा
मूक बनकर जग को
हंसाया
सच का आईना
दिखाया ॥
#Happy_Birth_Day_Charlie_Chapline
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© ® सुश्री इंदु
सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर
(म.प्र.)
अप्रैल १६,
२०१९
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