शुक्रवार, 26 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-११६ : #बौद्धिक_सम्पदा_को_समझे #अनजाने_में_अपनी_रचनात्मकता_न_खोये



वाकया – ०१ :
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रिनी, तू कितनी अच्छी ग्राफिक डिज़ाइनर है
मेरी कम्पनी का एक बढिया वाला-सा लोगो बना दे न यार...

क्यों नहीं जरुर बना दूंगी तू बता तो सही कैसा डिजाईन चाहती है

‘रिनी’ ने अपनी सहेली की बात मानकर बिना किसी मेहनताने के उसे एक सुंदर-सा जैसा वो चाहती थी लोगो बनाकर दे दिया जिस पर अब उसकी जगह उसकी सहेली का कॉपीराइट था तो वो खुद भी उसकी इजाजत के बिना उसका इस्तेमाल नहीं कर सकती थी

वाकया – २ :
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मम्मी, मुझे कल स्कूल में बेटी बचाओ विषय पर ओरिजिनल स्लोगन लिखना है पर, कुछ सूझ ही नहीं रहा क्या करूं ?

अरे, इसमें इतना परेशान होने की क्या जरूरत वो तेरे महेश अंकल रहते है न पड़ोस में बड़े अच्छे लेखक है जा उनको बुला ला तब तक मैं उनके लिये चाय बनाकर रखती हूँ एक कप चाय में वो तुझे बेहतरीन और मौलिक कुछ लिखकर दे देंगे

वही हुआ जैसा सोचा था बिटिया ने प्रतियोगिता जीत ली और अब वो स्लोगन स्कूल की वेबसाइट पर उसके नाम से रजिस्टर्ड हो चुका था      

वाकया – ०३ :
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पापा, देखो मैंने आपके लिये क्या बनाया है आप बहुत दिनों से कह रहे थे न कि यूँ तो मोबाइल में फिटनेस के लिये बहुत सारे एप्प पर कोई भी आपकी जरूरत के हिसाब से नहीं इसलिये मैंने एक ऐसा एप्प बनाया जो इससे आपको ऑफिस में चेयर पर बैठे-बैठे ही वर्कआउट करने में हेल्प मिलेगी और आप जो बढ़ते वजन व मोटापे से परेशां हो वो समस्या भी खत्म हो जायेगी

श्रेयांस, दिखाओ तो सही क्या है ?
   
पापा, ये एक असिस्टेंट एप्प है जिसमें मैंने एक ग्राफ़िक ट्रेनर भी बनाया जो आपको ब्रेक और एक्सरसाइज रिमाइंड कराने के साथ-साथ आपकी मदद भी करेगा

अरे वाह, ये तो बिल्कुल वैसा है जैसा मैं चाहता था

ऑफिस में उसके बॉस को तो एप्प का कांसेप्ट इतना पसंद आया कि उन्होंने प्रोफेशनल सॉफ्टवेयर इंजीनियर से उसे अपडेट करवाकर मार्किट में लांच कर दिया जिसे जबरदस्त रिस्पांस मिला और श्रेयांस को क्रेडिट तक नहीं दिया गया क्योंकि, बॉस के कहने मात्र से उन्होंने वो एप्प उनको यूँ ही दे दिया था      

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ऐसे अनगिनत वाकये आस-पास घटित होते रहते जबकि, किसी भी तरह का कुछ ‘क्रिएटिव’ या ‘इनोवेटिव’ रचने वाले को ये इल्म ही नहीं होता कि जो कुछ उसने बनाया वो उसकी ‘बौद्धिक सम्पदा’ जिस पर उसे कानूनन अधिकार भी प्राप्त है वो कभी अपने किसी फ्रेंड के चक्कर में तो कभी अपने बड़े ऑफिसर को खुश करने या अपने पड़ोसी की मदद करने की खातिर उसे यूँ ही दे देता मगर, अगला उसका व्यवसायिक रूप से उपयोग कर आपको उसके लाभ का हिस्सेदार तक नहीं बनता है केवल, औपचारिकतावश शुक्रिया या धन्यवाद अदा कर या फिर ट्रीट दे देता और आप इन सब बातों से अनजान इसमें ही खुश हो जाते क्योंकि, आपने तो वैसे भी किसी फायदे को सोचकर उसे वो दिया नहीं था ऐसे ही लोगों को जागरूक करने की खातिर ‘विश्व बौद्धिक सम्पदा संगठन’ 26 अप्रैल को ‘विश्व बौद्धिक सम्पदा दिवस’ मनाता पर, अफ़सोस के साथ कहना पड़ रहा कि बहुत से लोगों को तो ये भी नहीं पता है

किसी भी व्यक्ति या संस्था द्वारा सृजित कोई भी ‘रचना’ भले वो किसी भी विषय या क्षेत्र से सम्बन्धित हो एवं किसी भी प्रकार का नूतन ‘संगीत’, कोई भी मौलिक ‘साहित्यिक कृति’ या किसी भी तरह की कला हो कोई खोज या नाम अथवा डिजाइन आदि ये सब उस व्यक्ति या संस्था की बौद्धिक संपदाकहलाती है । जिस पर उस व्यक्ति या संस्था को ‘पेटेंट’, ‘ट्रेडमार्क’, ‘इंडस्ट्रियल डिजाईन’, ‘कॉपीराइट’ जैसे अधिकार भी प्रदान किये गये है जिन्हें बौद्धिक संपदा अधिकारकहा जाता है । इसके द्वारा वो न केवल अपनी कृति पर अपना हक प्राप्त करता है बल्कि, उसके अनुचित या बिना अनुमति दूसरों के द्वारा प्रयोग किये जाने को भी प्रतिबंधित कर देता है । यही हर किसी को बताने आज ‘बौद्धिक सम्पदा दिवस’ मनाया जा रहा तो इस पर सभी से यही कहना है कि जानकार बने नासमझी में ऐसा न हो अपनी ही बनाई किसी रचना को आपको ही उपयोग करने के लिये किसी से इजाजत लेना पड़े तब आप से बड़ा बदनसीब कोई न होगा ।

इसलिये इस दिवस के सन्देश को समझे और स्मार्ट बने... !!!

#World_Intellectual_Property_Day  
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल २६, २०१९

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