शनिवार, 20 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-११० : #लघुकथा_फेक_मी_टू




दीदी, आज आपने न्यूज़ देखी अब तो हद ही हो गयी इस देश में तो महिलायें बिल्कुल भी सुरक्षित नहीं जो न्याय देता उसी पर यौन उत्पीड़न का आरोप उफ़, किस पर विश्वास करें समझ नहीं आता मैं तो इस खबर से बेहद दुखी हूँ अब तक नेता, अभिनेता और पत्रकारों पर तो इस तरह के इल्जाम लगते ही रहे मगर, फिर भी कहीं ये विश्वास था कि जाँच के बाद इनको अदालत से जरुर इंसाफ मिलेगा लेकिन, आज पता चलता कि वो भी इसमें लिप्त फिर हम किससे न्याय की गुहार लगायेंगे सच, कहती हो आप मर्द जात ऐसी ही होती जहाँ लडकी देखी इनकी नीयत डोल जाती मगर, अब नहीं हम इसके खिलाफ मोर्चाबंदी करेंगे उस लडकी को अकेला नहीं महसूस होने देंगे और न ही उसे इस रसूखदार व्यक्ति के आगे झुकने देंगे आज ही रिपोर्टिंग कर के उसे ये मैसेज देते है कि हम उसके साथ है  

वैभवी, शांत हो जा हम ऐसा कुछ भी नहीं करने वाले बल्कि, हम जनता को जागरूक करेंगे कि वो इस खबर को गंभीरता से नहीं ले ये सरकार का एक षडयंत्र है

दीदी, आप ये किस आधार पर कह सकती हो ?

जिस तरह के हालात और समय चल रहा ये खुद अपने आप में साबित कर रहा कि ये सब किसी साजिश का हिस्सा है क्या तू नहीं जानती कि इनकी छवि कितनी साफ़ है और इनके पास सरकार के खिलाफ कई महत्वपूर्ण केस तो उनके लिये ही सरकार इन पर दबाब बनाना चाहती है

दीदी, आपको याद है जब पिछली बार अपने देश में पहली बार ‘मी टू’ का पहला प्रकरण सुनाई दिया था और उसके बाद एक-एक कर के चारों तरफ से यही गूँज सुनाई देने लगी थी मानो, सबको एक साथ ही अपने साथ हुये अत्याचारों को अचानक याद आ गयी हो शायद, ही कोई बचा हो कितने तो ऐसे नाम जिनके बारे में सुनकर ये विश्वास करना ही मुश्किल था उन सबकी इमेज भी क्लीन ही थी फिर भी आपने यही था कहा कि छोटी, तू अभी ये सब नहीं समझती इन मर्दों का चरित्र ही खराब कोई मौका नहीं छोड़ते उस पर यदि बड़े पद पर हो तो आसानी से अपने रुतबे का फायदा उठाकर मनमानी कर लेते है यदि अभी हमने इन पीड़िताओं की आवाज़ नहीं सुनी इनका साथ नहीं दिया तो फिर कभी कोई अपने साथ हुये अपराध के लिये बोल नहीं पाएगी और हम दोनों ने मिलकर उनके जस्टिस के लिये हैश टैग चलाये हर मामले की रिपोर्टिंग भी की जिसके बड़े पोजिटिव रिजल्ट्स भी मिले थे मंत्री को इस्तीफा देना पड़ा तो फ़िल्मी कलाकारोंको फिल्म से हाथ धोना पड़ा फिर अब क्या अलग है ?
           
वैभवी, मैंने पत्रकारिता का कोर्स किया मुझे अच्छी तरह पता कि सब मामले सच्चे नहीं होते कुछ झूठे भी होते और जब तक ये निश्चित न हो जाये कि इसमें कुछ सच्चाई है हम इस केस में चुप रहेंगे और तुझे भी ज्यादा हल्ला मचाने की जरूरत नहीं छोटी, तू राजनीति को नहीं समझती लेकिन, मुझे अच्छे से पता कब बोलना और कब नहीं

वाह दीदी, उस समय जब मैंने यही बात की थी कि दीदी केवल इन महिलाओं के बोलने मात्र से हम कैसे मान ले कि ये सच बोल रही सामने वाले कोई मामूली हस्ती नहीं तब आपने ही कहा था कि कोई लड़की बहुत हिम्मत कर के अपने साथ हुये यौन उत्पीड़न पर बोलती यदि हमने उस पर ही ऊँगली उठाई तो फिर वो दुबारा ये साहस नहीं कर पायेगी और कोई लड़की ऐसे मामलों में झूठ नहीं बोलती इसलिये हमें किसी भी हाल में उसका मनोबल नहीं टूटने देना है और आज आप इसे झूठा कह रही ऐसे में मुझे समझ नहीं आ रहा कि सच वो था या ये है अगर, आपकी बात मानूं तो लगता कि आपका वाला ‘रियल’ था और ये वाला ‘फेक मी टू’ है          
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल २०, २०१९

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