रविवार, 7 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-९७ : #देह_की_कराह_सुने #उसे_नजरअंदाज_न_करें




कोई भी बीमारी शरीर में एकदम से नहीं आ जाती उसके संकेत मिलना बहुत पहले से शुरू हो जाते है लेकिन, कभी अपनी व्यस्तता तो कभी आलसपन में हम उसे समझने के बावज़ूद भी जानते-बुझते हुये इग्नोर करते जाते है । इसका अहसास हमें तब होता जब पीड़ा असहनीय हो जाती और अस्पताल जाने के सिवा कोई विकल्प शेष नहीं रहता क्योंकि, हम भारतीयों की खास आदत खासकर मिडिल क्लास की कि जब तक हमारे पास अपने दर्द से निपटने का कोई भी नुस्खा होता हम उसे आजमाते रहते जिस दिन बात उसके बाहर हो जाती तब ही डॉक्टर की शरण में जाते है ।

इस मानसिकता की वजह क्या ये तो ठीक-ठीक नहीं कह सकते लेकिन, अमूमन यही होता कि जब तक हमें लगता कि फलाना घरेलू उपचार से हम राहत महसूस कर रहे हम जांच से बचते रहते जब तक कि सभी उपाय निरुपाय न हो जाये क्योंकि, बचपन से हम अपने घरों में यही देखते आये कि कोई भी तकलीफ हो तो सबसे पहले हम घर या आस-पास के लोगों से सलाह लेते और उनके बताये निर्देशानुसार चलते जो कि साधारण दर्द या मौसमी परिवकर्तन से होने वाले विकारों में तो ठीक मगर, जब लक्षण असामान्य हो तब ऐसा करना कभी-कभी हमें बुरी तरह से किसी असाध्य रोग से ग्रसित कर देता है । इसके बाद भी हम ऐसे अनगिनत प्रकरण अपने आस-पास देखकर भी चेतते नहीं बल्कि, जब हमें कोई भी शारीरिक कष्ट होता तो हम खुद भी उसी तरह की लापरवाही युक्त गतिविधियों का अनुशरण करते है ।

ये सब हमें अपने परिवार से विरासत में प्राप्त होता क्योंकि, हमारे घर की महिलाएं जिनके हाथ में पूरे घर की बागडोर होती वो स्वयं के प्रति कभी भी इतनी सचेत या सतर्क नहीं होती कि जरा-सी भी बीमारी में डॉक्टरी सहायता ले वो तो अपने मामूली दर्द को किसी गिनती में ही नहीं लाती क्योंकि, उसका सोचना कि लगातार काम करने से ये थकान महसूस हो रही थोड़ा-सा आराम कर लेगी कमर सीधी हो जायेगी तो अच्छा लगने लगेगा और उसकी ये गलतफहमी अक्सर उसे ऐसी स्थिति में ले आती जब उसे पता चलता कि ये पेट दर्द या सरदर्द या कमरदर्द या अनियमित माहवारी या अनवरत की दौड़-भाग, लंबे समय तक खड़े-खड़े काम करना कभी उसे घुटने की स्थायी समस्या तो कभी यूटेरस संबंधी कोई बीमारी और कभी तो माइग्रेन, ब्लड प्रेशर, डायबिटीज, थायरॉइड, ओबेसिटी, कॉन्सटिपेशन और कैंसर जैसी खतरनाक बीमारियां दे देता जिसे कि प्रारंभिक अवस्था में ही जांच द्वारा रोका जा सकता था ।

जब हम अपनी मम्मियों को ऐसा करते पाते तो हम भी किसी तरह का संकेत मिलने पर यही सोचते कि ऐसी कोई बड़ी बात नहीं महज़ थकान है जो आराम करते ही छूमंतर हो जायेगी तो दैहिक परिश्रम से होने वाला दर्द एवं किसी रोग की वजह से होने वाली तकलीफ़ अलग-अलग होती है जिसे समझना होगा यदि हम पर्याप्त नींद नहीं लेते या अपनी शारीरिक क्षमता से बढ़कर काम करते है तो अस्थायी रूप से थोड़ी तकलीफ होती जो विश्राम से दूर हो जाती लेकिन, जो बार-बार हो या जो कुछ अंतराल के बाद फिर उभर आये उस दर्द को नजर अंदाज करना ठीक नहीं ये हमारी देह का वार्निंग अलार्म बोले तो खतरे की घन्टी है जिसे अनसुना करने पर हमें कोई बड़ा कष्ट भोगना पड़ता है ।

इसलिये जब हमें अपने भीतर नकारात्मक परिवर्तन दिखाई दे या हमारे शरीर के विकार बढ़ जाये बोले तो वात, पित्त, कफ, अग्नि और यदि ये पांचों संतुलित रहते तो हमारा शरीर स्वास्थ्य होता है इनमें से किसी एक का भी कम-ज्यादा होना शरीर को अस्वस्थ बना देता अतः भोजन व फल मौसम अनुकूल ही नहीं समय के अनुसार करें क्योंकि, जिस तरह की आजकल की लाइफ स्टाइल ये भी बीमारियों की बहुत बड़ी वजह प्राचीनकाल में हमारे पूर्वज प्रकृति की घड़ी से कदमताल करते हुए चलते तो दीर्घायु जीवन बिताते और आजकल की बीमारियों के नाम तक किसी ने नहीं सुने थे तो हम भी नेचर के नजदीक जाये निरोगी काया पाये जो जीवन का पहला सुख है ।

सबसे ज्यादा ध्यान देने की जरूरत घर-परिवार की धूरी स्त्रियों को है यदि वे अपना ख्याल रखेंगी तो अपनों में भी रूटीन चेकअप की आदत इस महत्वपूर्ण आदत का समावेश करेंगी जिससे यदि भविष्य में कोई बड़ी बीमारी होने वाली होगी भी तो समय से उसका पता लगाकर इलाज संभव होगा और यही आज विश्व स्वास्थ्य दिवस पर खुद को दिया बेस्ट तोहफा होगा कि हम एक बढ़िया पैकेज ले अपनी सम्पूर्ण जांच करवाये अपने साथ-साथ फैमिली को भी स्वस्थ बनाये जो लंबी आयु खुशहाल जीवन का रहस्य है ।

#World_Health_Day

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल ०७, २०१९

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