गुरुवार, 18 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-१०८ : #विश्व_विरासत_दिवस_मनाना #प्राचीन_धरोहर_अपनी_बचाना



इस  दुनिया में हर प्रान्त की अपनी कोई तो ऐसी विरासत होती है जिसे सहेजने और अगली पीढ़ी में हस्तांतरित करने की आवश्यकता होती ताकि, वे भी अपने अतीत से परिचित हो सके अपनी जड़ों से जुड़कर अपनी शाखाओं का ऐसा विस्तार करें कि चाहे फिर वो इस संसार के किसी भी कोने में रहे उसे अलग से पहचाने जा सके ऐसी ही कुछ धरोहरों को अपने में समेटे हुए है भगवान् नृसिंह की पावन नगरी ‘नरसिंहपुर’ जिनका अपना सामाजिक, धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व है जिसकी वजह से ये छोटा-सा शहर होने के बावजूद भी सबके आकर्षण का केंद्रबिंदु बना रहता और यहाँ रहने वालों को अपनी पुरातन परम्पराओं व सभ्यता से बांधे रखता और ये इस धरा में बहने वाली ‘माँ नर्मदा’ का ही प्रताप है कि जो भी यहाँ आता इसके मोहपाश में बंधकर फिर इसे छोड़कर किसी दूसरी जगह नहीं जाना चाहता और सदा-सदा के लिये यही बस जाता है  

मिट्टी की खुशबू और संस्कारों की छुवन सबका मन मोह लेती फिर थोड़े-बहुत अभाव भी हो तो कोई फर्क नहीं पड़ता कि जीने के लिये महज़ सुख-सुविधा या चमक-दमक ही पर्याप्त नहीं होती अगर, यही वहां के रहवासियों के मध्य परस्पर सम्वाद न हो और उनके रिश्ते आपस में प्रेमिल ऊष्मा से न गुंथे हो जो कि महानगरों के दिखावटी माहौल में बिल्कुल नजर नहीं आता लेकिन, यहाँ ये सब यहाँ बेहद आम बात जिसने यहाँ बहुत सारी कमियों के बाद भी इसे अब तक उसी तरह अपनी सदियों पुरानी विरासत के साथ सर उठाकर खड़ा रखा है तो इसने समय के साथ खुद में बदलाव करते हुये समय की दौड़ के साथ भी यदि अपनी प्राचीन रीति-रिवाजों को पीछे छूटने नहीं दिया तो युग परिवर्तन के साथ कुछ नूतन सांस्कृतिक परम्पराओं को भी अपने आप में जोड़ इनका विस्तार किया जिसे आगे बढाने का काम आने वाली जनरेशन का अतः वे सब मिलकर हर रस्म को आयोजित करते है

ऐसी ही एक खुबसूरत परम्परा की शुरुआत सामूहिक जवारे समिति द्वारा यूँ तो छोटे स्तर पर की गयी जिसने धीरे-धीरे विशाल स्वरुप ले लिया है और साल दर साल इसमें इजाफा होता जा रहा है और इसके अंतर्गत केवल जवारों का रोपण ही नहीं किया जाता बल्कि, अब तो इसमें देवी भगवती की भव्य प्रतिमा की स्थापना के साथ-साथ वृहत कन्या भोज, विविध सांस्कृतिक कार्यक्रम और सराफा एसोशियेशन के द्वारा कन्याओं का कर्ण-नाक छेदन भी शामिल हो चुका है और चैत्र पूर्णिमा पर इसकी शोभा यात्रा जिस तरह से निकाली जाती वो यहाँ का विशेष आयोजन बन चुका जिसमें अब दूर-दूर से भी कलाकार आकर शामिल होते अपनी कला का प्रदर्शन करते और नगर से जब ये यात्रा निकलती तो यूँ लगता मानो साक्षात् आदिशक्ति ही नगर भ्रमण के लिये आ गयी हो इस नजारे को देखना सुखद अनुभूति का अहसास देता जिसका इंतजार पूरे बरस हर कोई करता है

18 अप्रैल को अंतर्राष्ट्रीय धरोहर दिवस का मनाया जाना यही याद दिलाता कि हम अपनी धरोहरों के प्रति सदैव सतर्क व सजग रहे ताकि, अपनी आइडेंटिटी को जीवित रख सके वरना, जीते तो सभी है लेकिन, जीना वही जब अपनी रवायतों से हमारा जुडाव हो अपनी वास्तविक पहचान कायम हो न कि आधुनिकता की दौड़ में इतने आगे निकल जाये कि न घर के रहे आयर न ही घाट के केवल रोबोट नजर आये तो अब भी वक़्त सम्भल जाये अपने आस-पास नजर दौड़ाये जो भी अनमोल और जरूरी लगे उसे आगे लेकर जाये यही इस दिवस की सार्थकता और इसे सही मायने देना है तो इसे जरुर मनाये, अपनी विरासत को बचाये...
             
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल १८, २०१९

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