शुक्रवार, 19 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-१०९ : #मिटेगा_हर_भय_और_शोक #हनुमान_हो_गर_बच्चों_के_दोस्त




आज आधुनिकता से प्राप्त तमाम तरह के गेजेट्स व विडियो गेम्स की वजह से जहाँ बच्चों का आउटडोर खेलना बंद हुआ है वहीँ दुनिया भर की अच्छी-बुरी सामग्री के आसानी से उपलब्ध होने से बच्चे कुछ ऐसी जानकारियों से भी परिचित हो रहे जो उनके मानसिक व शारीरिक विकास के साथ-साथ उनके बचपन से भी एक तरह का खिलवाड़ है क्योंकि, कुछ बातें ऐसी होती जिनका एक निश्चित उम्र और परिपक्वता के बाद ही ज्ञान होना जरुरी अन्यथा वो मासूम बाल लीलायें जो उनके बालपन की स्मृतियाँ बनती और उन्हें एक स्वस्थ मानसिकता के अलावा सुरक्षित जीवन जीने का नजरिया देती कहीं खोखली हो जाती जिसकी सुदृढ़ नींव पर उनका आने वाला भविष्य ही नहीं उनके खुद के परिवार का भवन भी तैयार होता है

अतः घर का परिवेश व माहौल ऐसा हो जो उनको बाल्यकाल से ही नैतिक शिक्षा व संस्कारों की ऐसी घूटी पिलाये कि वो चाहे दुनिया के किसी भी हिस्से में उसके माता-पिता सुकून एवं विश्वास के साथ रह सके कि हमारी सन्तान न तो कभी कुछ गलत करे और न ही उसके साथ कुछ बुरा हो बल्कि, उसके आस-पास आध्यात्मिक व सकारात्मक ऊर्जा का ऐसा मंडल व सुरक्षा कवच हो जो उसके सम्पर्क में आने वालों को भी उसके जैसा बनने की प्रेरणा दे सके और ये असंभव नहीं अब से कुछ समय पहले तक ऐसे सशक्त चरित्र वाले लोग होते थे पर, अब तो एकल परिवार, डबल इनकम, टेक्नोलॉजी, फ़ास्ट फ़ूड, मॉडर्न लाइफ स्टाइल आदि ने घरों से बुजुर्गों ही नहीं संस्कारों की छाँव भी हमसे छीन ली जबकि, कभी घर-घर में सुबह की शुरुआत ईश्वर के स्मरण, कर वंदना, माता-पिता व बड़ों के चरण स्पर्श व अपनों के अभिवादन से होती बदले में उनका आशीष मिलता तो स्नान, ध्यान, पूजन, सूर्य की पूजा के पश्चात् भगवान् का आभार व्यक्त करते हुये भोजन ग्रहण किया जाता जो हर मोर्निंग को इतना पॉजिटिव बना देता था कि पूरा दिन तनाव रहित व्यतीत होता किसी भी मुश्किल से कोई विचलन भी न होता अब सब कुछ विलुप्त हो चुका या हो रहा है

ऐसे में हमारे पर्व-उत्सव ही हमें याद दिलाते कि कभी हम कितने संस्कारी थे अब केवल औपचारिकता ही निभाते उस पर चंद बुद्धिजीवी, लिबरल्स, वामी ऐसे जो कोशिशों में लगे रहते कि जो कुछ बाकी बचा उसका भी सत्यानाश कर दे फिर भी माटी से जुडी सदियों की रवायतें अब भी उसी शान से कायम मगर, महानगरों की जीवन शैली में जो खो रहा उसे बचाने के यही अवसर है कि जब भी ऐसे कोई दिन आये हम अपने नौनिहालों को गर्व से इसके बारे में बताये जैसे कि आज वीरों के वीर महावीर रामभक्त संकटमोचन ‘हनुमान’ का जन्मोत्सव पूरे देश में मनाया जा रहा इसका लाभ उठाते हुये अपने नन्हे-मुन्नों का इनसे परिचय करवाये उनसे उनकी दोस्ती कराये और उनके मन में ऐसा अटल विश्वास भरे कि वे कभी-भी खुद को एकाकी न समझे और न ही किसी हाल में झुके या डरे क्योंकि, यदि बजरंग बली का साथ हो तो फिर हर भय खत्म हो जाता कोई-भी बाधा-विध्न हमें रोक नहीं पाती और हर मुश्किल आसान लगती है ।         

निर्बल के बल ‘राम’
भक्तों के मित्र ‘हनुमान’ !!!
        
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल १९, २०१९

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