शनिवार, 27 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-११७ : #दयालुता_की_जीवंत_तस्वीर #जीत_जिसने_लिया_सबका_दिल



4 अप्रैल को सोशल मीडिया पर एक बेहद मासूम तस्वीर ने सबका ध्यान अपनी तरफ आकर्षित किया जिसमें एक 6 साल का नन्हा बच्चा अपने एक हाथ में चूजा और एक हाथ में 10 रूपये का नोट लिये खड़ा है उसके चेहरे के भाव से असमंजस ही नहीं अपराधबोध का संकोच भी दिखाई दे रहा है पर, उस निर्दोष अबोध आँखों में झलकती सच्चाई और एक मुर्गी के बच्चे के लिये पीड़ा जिस तरह से झलक रही उसने हर किसी को अनायास ही उससे से कनेक्ट कर दिया और जब उस चित्र के पीछे की कहानी सामने आई तो हर दिल से उस क्यूट बच्चे जिसका नाम ‘डेरेक सी लालचनहिमा’ एवं जो कि मिजोरम के एक छोटे-से गाँव सैरंग का रहवासी है के लिये दुआ निकली

वो अपने घर से छोटी-सी साइकिल से कहीं जा रहे थे कि अचानक गलती से अपनी साइकिल उनके पड़ोसी के एक नन्हे-से चूज़े पर चढ़ गई जिसे देखकर डेरेक बुरी तरह घबरा गए और ये जाने बिना कि चूजा मर चुका है उसको हाथ में उठाकर भागे-भागे घर आए और अपने माता-पिता से चूज़े को अस्पताल ले जाने की ज़िद करने लगे लेकिन, माँ-बाप ये देखकर कि चूजा जीवित नहीं तो उसके साथ जाने तैयार नहीं हुये तब डेरेक ने अपने जोड़े पैसों में से 10 रुपये लिये व दूसरे में हाथ में चूज़े को उठाकर भागते हुए अपने इलाके के सबसे नज़दीकी अस्पताल पहुंच गए

जहाँ एक नर्स ने उनकी मासूमियत व दयुलता को देखते हुये उसकी तस्वीर क्लिक कर ली और जब वो सोशल मीडिया पर आई तो जबरदस्त वायरल हुई जिसके बाद उनके स्कूल ने भी शॉल और प्रमाणपत्र देकर उनको सम्मानित किया और जब पशुओं के साथ नैतिक व्यवहार के पक्षधर व पशु अधिकार के प्रति सचेत संगठन ‘पेटा’ ने ये फोटो देखी तो इस बच्चे को 'कंपेसिनेट किड अवार्ड' देकर उसकी इस नेकनीयत को सारी दुनिया के सामने लाये ताकि, अन्य बच्चे भी उसकी स्टोरी को जाने और उससे प्रेरणा लेकर जानवरों के लिये इतने ही रहमदिल बने इसी तरह परपीड़ा को महसूस कर द्रवित हो तो इंसानियत को बचाया जा सके जो नित खोती जा रही पर, इस नन्हे बालक ने ये उम्मीद जगाई कि हम इस पीढ़ी को लेकर निश्चिन्त रह सकते है

इनके हृदय में वही कोमलता और दयाभाव भरा जो अपेक्षित है और जिसकी गाथाएं हम पढ़ते आ रहे यदि आज की ये जनरेशन एक चूजे को लेकर इतनी सजग है तो वो इस निर्दय समाज में मनुष्यता को भी इसी तरह से सहेजकर रखेगी और उन जीवन मूल्यों को आगे बढ़ाएगी जिनके खोने का भी डर सताता रहता है इस बच्चे के लिये <3 से दुआयें कि वो इसी तरह उनके भीतर की पवित्रता व ईमानदारी बनी रहे क्योंकि, आज के स्वार्थी युग में जहाँ कोई किसी का एक्सीडेंट होने पर भी अपनी गाड़ी नहीं रोकता और अपनी व्यस्तता के चलते किसी की मदद के लिये नहीं रुकता वहां ये बच्चा आशा की किरण बनकर आया है     

संयोग से आज 'विश्व पशु चिकित्सा दिवस' भी है जो विश्व पशु चिकित्सा संघ के द्वारा अप्रैल महीने के अंतिम शनिवार को मनाया जाता है तो ये प्रेरक प्रसंग इस दिन के औचित्य को सटीक तरीके से व्यक्त करता है अतः यदि हम इसके संदेश को ग्रहण करें तो इससे बेहतर इस दिन का कोई दूसरा उदाहरण नहीं हो सकता जहाँ एक छोटा-सा बच्चा इससे अपरिचित होने पर भी स्वविवेक से ही उस नेक काज को आगे बढ़ा रहा जिसे पूरा करने सारी दुनिया में इस दिन का आयोजन किया जाता है अतः आज इस भावी भविष्य के जिम्मेदार नागरिक के नाम ये दिन समर्पित इस कामना के साथ कि हम अपने संस्कारों को भूले नहीं और सह-अस्तित्व की अपनी पुरातन परम्परा को फिर से फिर से एक बार प्राणदान दे प्रकृति को भी बचाये ऐसे इस दिवस को मनाये ।


#विश्व_पशु_चिकित्सा_दिवस
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल २७, २०१९

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