सोमवार, 1 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-९१ : #फूल_यूँ_तो_होते_सब_अच्छे #मगर_अप्रैल_फूल_से_सब_बचते




‘फूल’ सुनो तो,
जेहन में खिल जाते है
एक से बढ़कर एक
किस्म-किस्म के पुष्प
मन गार्डन-गार्डन हो जाता
देखकर जिनको
पर, यदि कहो किसी को
‘अप्रैल फूल’ तो
मुरझा जाता अंतरतम
चेहरे पर छा जाती
हताशा की स्याह लहर
कसैला हो जाता जुबां का स्वाद
कभी-कभी तो टूट जाता
किसी का आशाओं से भरा दिल
तो कभी अधूरी रह जाती कल्पना कोई   
तो कहीं भीतर पड़ जाता
कोई गहरा दाग़
उभर आता पुराना जख्म कोई
कि इस दिन से जुड़े होते
सबके अपने-अपने अहसास अनेक
कोई पहुँच जाता बचपन में
तो कोई कॉलेज में और,
किसी को याद आ जाती जवानी
तो किसी के होंठो पर
उभर आती है हल्की मुस्कान
उम्र की दहलीज में    
कि कोई तो किस्सा होता सबका
कोई खट्टा तो कोई मीठा
कोई कड़वा तो कोई तीखा
अनुभव होते जिसके भी जैसे
भाव उसके मुख पर उभरते ठीक वैसे
कानों में बज उठता तराना
‘अप्रैल फूल’ बनाया     

#April_Fool

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल ०१, २०१९

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