रविवार, 21 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-१११ : #आतंकवाद_का_कोई_मजहब_नहीं #पर_कोई_भी_धर्म_इसके_हमले_से_बचा_नहीं




दुनिया के हर कोने में इस पखवाड़े किसी न किसी धर्म का कोई न कोई पर्व मनाया गया जिसकी वजह से फिजाओं में उत्सवी रंग घुल हुआ चाहे वो ‘दुर्गा उत्सव’ हो या ‘राम नवमी’ या ‘वैशाखी’ या ‘महावीर जयंती’ या ‘शबे-बारात’ या फिर ‘ईस्टर संडे’ हो तो एक तरह से ये ऐसा दौर जब सभी अपने-अपने परिवार के साथ हंसी-ख़ुशी से इसे मनाने में लगे हुये पर, ऐसे आनंद के अवसर पर पहले भी शोक की हवायें चली थी और आज फिर ऐसा ही दर्दनाक व बर्बर हमला हुआ उन निर्दोष-बेकुसूरों लोगों पर जो ईस्टर की प्रार्थना के लिये चर्च में एकत्रित हुये थे और नहीं जानते थे कि दुआ में उठे हाथ वैसे ही फैले रहे जायेंगे घर वापस जाकर परिजनों के साथ मिलकर छुट्टी और फेस्टिवल दोनों को एन्जॉय करेंगे मगर, जो भी सोचा गया था वो पूरा होने के पहले ही ऐसे पवित्र स्थान पर आतंकियों ने जिनका कोई मजहब या धर्म नहीं होता उन लोगों को जो अपने रिलीजन के एक बेहद खुशियों से भरे दिन प्रभु यीशु के समक्ष प्रेयर कर रहे थे तब न जाने वो कौन थे जिन्होंने बड़ी निर्दयता से इन मासूम लोगों को धमाके भरी मौत दे दी जिसने एक बात फिर ये साबित कर दिया कि आतंकियों का वाकई कोई मजहब नहीं होता

क्योंकि, यदि उन्होंने सचमुच धर्म को समझा या ग्रहण किया होता तो वे किसी भी इंसान पर इस तरह का खतरनाक आक्रमण करना तो दूर सोचा भी नहीं सकता था क्योंकि, दुनिया का कोई भी धर्म ऐसा नहीं जो खून-खराबे की शिक्षा देता हो या जो उनके धर्म को नहीं मानता हो उसे जबरन उसे अपनाने या फिर उनका नामो-निशान मिटाने के लिये दबाब बनाता हो ये केवल वही कर सकता जिसका सपना पूरी दुनिया में एकमात्र अपना परचम लहराने या अपना एकछत्र राज्य कायम करने का हो लेकिन, जिहाद के नाम पर लोगों को भड़काने वाले मजहब को हथियार बनाकर मासूमों के दिलों-दिमाग पर कब्जा कर लेते और फिर उनसे मनमाना काम करवाने वाले ये नहीं सोचते कि ऐसा मुमकिन ही नहीं पहले भी कई आक्रमणकारी ऐसा घिनौना मकसद लेकर इस धरती पर आये मगर, कामयाब कोई न हुआ और न कभी होगा कि भारत हो या देश का कोई मुल्क ऐसा करने वालों पर शिंकजा कसना जानता है और आतंकवाद के मामले में भी सारी दुनिया एक साथ है क्योंकि, ऐसा कोई देश नहीं जो इसकी बुरी नजर से बचा हो कुछ दिनों पूर्व न्यूजीलैंड और अब श्रीलंका में हुये ये सीरियल ब्लास्ट यही दर्शाते कि इस मामले को अब अधिक गंभीरता से लेने की जरूरत है ताकि, जीने का अधिकार जो कुदरत ने उसे दिया उसे कोई छीन ले और जहाँ शांति स्थापित होना चाहिये वहां चीख-पुकार मचे

आखिर, उस परम पिता परमेश्वर ने इस सृष्टि का निर्माण प्रेमपूर्वक रहने के लिये किया न कि आपस में लड़कर मरने के लिये पर, जिन्हें ये बात समझ में नहीं आती उन्हें किस तरह से ये समझाया जाये किस तरह उनका ब्रेन वाश किया जाये कि ‘आतंकवाद’ के जरिये सबको खत्म करने के बाद क्या ? जब आपस में लड़ मरना है तो उसके लिये इतना खून-खराबा क्यों ?? आत्मघाती हमला कर अपनी जान देते किसके लिये ???

काश, कोई इन्हें बता दे कि ‘मज़हब’ को किसी शातिर से समझने की जगह पढ़ लो और किसी की कठपुतली बनने की जगह खुद के इशारों पर चलो और ‘आतंक’ से कभी-भी किसी का भला नहीं हो सकता और अपनी जान देकर दूसरे को मारकर किसको जीवन दे रहे हो वो जो आपको मौत के मुंह में ढकेल कर खुद सुरक्षित अपने खेमों में बैठे कम से कम इतना तो सोचो कि जो ये आपसे आत्मघाती हमले करवाते वो खुद क्यों नहीं आगे आते अपनी जान देने क्योंकि, वे जानते है कि जब तक आप जैसे अक्ल के अंधे उनके पास है कोई बाल भी बांका नहीं कर सकता ऐसे में समझो इनकी साजिश को और जान ही देना है तो फिर देश के लिये दो क्यों मुफ्त गंवाकर ‘आतंकी’ कहलाते हो मरकर भी बद्दुआ लेते हो तुम जिसे मज़हब की सेवा समझ रहे दरअसल ये गद्दारों का सेवक बनना है                

आज कोलम्बो में हुये सिलसिलेवार धमाकों में घायल हुये लोगों के शीघ्र स्वस्थ होने की कामना व मृतात्माओं परिजनों के लिये शोक संवेदना व्यक्त करने के साथ ही आतंकवाद के समूल नष्ट होने समस्त विश्व को एकजुट होने का आह्वान करते है    
   
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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल २१, २०१९

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