शनिवार, 6 अप्रैल 2019

सुर-२०१९-९६ : #चैत्र_प्रतिपदा_की_पावन_तिथि_आई #नव_संवत्सर_और_नव_रात्र_भी_लाई




भारतीयों का कोई पर्व भी हो या तिथि सब कुछ इतना वैधानिक व वैज्ञानिक गणनाओं पर आधारित कि उसमें कोई त्रुटि निकालना संभव नहीं क्योंकि, इन सबके लिये हमारे पूर्वजों ने खगोल का बेहद सूक्ष्म अध्ययन और नक्षत्रों का इतना सटीक आंकलन किया कि प्रकृति सम्मत होने के कारण वो कभी भी बदलता नहीं है

इसलिये हम अपने पंचांग को देखकर मौसम का पूर्वानुमान लगा लेते तो शुभ काल भी देख लेते जिसमें भूल से भी गलती नहीं होती क्योंकि, सूर्य-चन्द्र अपनी गति से चलते जिनका बदलना सम्भव नहीं तो फिर किस तरह से हमारी त्योहारों या पर्व बदल सके इसलिये तो जब चित्र नक्षत्र चन्द्रमा के करीब आता तो चैत्र माह की शुरुआत के साथ ही जब शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा आती तो विक्रम संवत्सर आधारित नूतन वर्ष का श्रीगणेश हो जाता तो नौ दिवसीय ‘नवदुर्गा’ के परम पावन दिनों की भी भी शुभ शुरुआत हो जाती है

इस तरह हम आध्यात्मिक रंग में रंगकर अपने नये साल का प्रारंभ करते जबकि, अंग्रेजी कैलंडर के अनुसार तो रात के १२ बजते ही धूम-धड़ाके व मदहोशी के साथ नया साल मनाया जाता यही हमारे संस्कार और विशेषता जो हमें विश्व में एक अलग पहचान दिलाती जिसे धूमिल करने के तमाम प्रयासों के बाद भी बेहद सुखद लगता जब पढ़ते कि धीरे-धीरे पाश्चात्य भी जब सब तरफ से निराश हो जाता तो हमारे वेद-शास्त्रों में ही अपनी समस्याओं का समाधान ढूंढता जो दर्शाता कि हमारे ऋषि-मुनि जिन्होंने प्रकृति की गोद में रहकर ज्ञानार्जन किया उसे वे भले ही साइंस की भाषा में लिख न सके हो मगर, उन्होंने कुदरत की प्रयोगशाला में अपने प्रयोगों के बाद ही कुछ लिखा जिसे समझने में वक़्त जरुर लगता लेकिन, हर खोज और हर नव-निर्माण के बाद यही पता चलता कि ये हमारे ग्रंथों में पहले से ही मौजूद है

आगे भी यही होगा क्योंकि, हम सनातन परम्परा के वाहक है जिसकी जिसकी नींव उसी दिन पड़ गयी जब ब्रम्हा जी ने सृष्टी की रचना की और फिर सतयुग, त्रेता व द्वापर काल से होते हुए हम कलिकाल तक आ गये तो इस लम्बे सफर में अपने उस गौरवशाली प्राचीन इतिहास को विस्मृत कर गये पर, प्रकृति कभी नहीं बदलती इसलिये वो अपने समय पर बदलती तो आज उसके परिवर्तन से हम विक्रम संवत्सर के 2076वें साल में आ गये और जिन क्षेत्रों में इसको मनाया जाता वहां आज हर्षोल्लास का माहौल है घरों में आज नई ध्वजा लगाई गयी तो आदिशक्ति की पूजा-अर्चना से जीवन में भी नई ऊर्जा संचार हुआ सभी को विक्रम संवत नववर्ष एवं नव रात्र की अनेकानेक शुभकामनायें...!!!  

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© ® सुश्री इंदु सिंह ‘इन्दुश्री’
नरसिंहपुर (म.प्र.)
अप्रैल ०६, २०१९

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