बुधवार, 10 जून 2015

सुर-१६१ : "एक सोचे... एक करें... तो हर काम बने...!!!"

एक
बस सोचे
और...
दूजा करें
उसे साकार तो
मिल सकती
ख्वाबों को ताबीर
बन सकती
हर कल्पना की
जीती-जागती तस्वीर
इस तरह मिलकर दो लोग
तदबीर से बना सकते तकदीर ॥
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मित्रों...,

अक्सर हम देखते कि कुछ लोग बातें तो बहुत-बहुत बड़ी-बड़ी करते लेकिन काम के नाम पर सोचने के सिवा कुछ भी नहीं करते यानी कि करना-धरना कुछ भी नहीं बस, बैठे-बैठे ख्याली पुलाव पकाते रहना उसके बाद भी भले ही आपको लगे कि जनाब के पास काम कौड़ी का नहीं और फिर भी फुर्सत घड़ी की नहीं और उनकी इस आदत के वजह से अक्सर उनको कमतर आँका जाता हैं लेकिन यही सोचने वाले अगर अपनी सोच को आकार के सांचे में ढाल दे तो जो भी चाहे वैसी उसकी मूरत बना उसे मूर्त रूप दे सकते हैं इसलिये यदि इसे सकारात्मक दृष्टिकोण से देखें तो लगता कि सोचना भी जरूरी हैं क्योंकि सोचने से ही करने की भूमिका का निर्माण होता हैं... ये और बात हैं कि ऐसे लोग चंद ही होते जो अपने ख्याल को अंजाम तक ले जाते वरना यहाँ तो शेख़चिल्लियों की कमी नहीं जो जमीन पर सोते-सोते ही आसमान की उड़ान भरते रहते और सपने में ही सब कुछ करते रहते लेकिन कभी भी हकीक़त में उसको रंग नहीं देते तभी तो लोग ऐसे लोगों का मज़ाक बनाते लेकिन यदि वे चाहे तो भले ही कुछ भी न करें लेकिन अपने उस अद्भुत विचार को सही जगह और सही व्यक्ति तक पहुंचा दे तो वो उसे सच बना सकता हैं... जी हाँ... ये केवल एक कथन मात्र नहीं हक़ीकत हैं कि एक विचार आपका जीवन बदल सकता हैं’... सरकार भी अपने अनेक विभाग और सरकारी योजनाओं के लिये इस तरह के विचारों को आमंत्रित करती हैं और आपके भेजे गये आईडियाको अपने साधनों और आर्थिक संपन्नता से सच्चाई की शक्ल में बदल देती हैं ।

दुनिया में ऐसे भी लोग होते जो ऊर्जा से भरपूर और कार्यक्षमता से संपन्न होते हैं लेकिन उनके पास विचारों की कमी होती हैं वो करना तो बहुत कुछ चाहते लेकिन उन्हें समझ ही नहीं आता कि करना क्या हैं... ?

ऐसे में यदि इस तरह एक लोगों का आपस इमं मिलन हो जाये कि एक केवल सोचे और दूसरा उस सोच पर काम करें तो उन दोनों की विलक्षण प्रतिभा मिलकर कुछ अनूठा और नवीन रच सकती हैं जिसके लिये जरूरी हैं कि हम भी यदि ऐसे लोगों को देखें तो कोशिश करें कि उन्हें मिला दे ताकि एक और एक ग्यारह बनकर इतिहास बना दे और इस तरह हर एक ख्याल जो कि व्यक्ति की अकर्मण्यता की वजह से सिर्फ दिमाग़ में कुलबुला रहा हैं वो भी एक मूर्त सच्चाई में बदलकर देश एवं समाज का कुछ तो भला कर सकता हैं जबकि अलग-अलग रहकर वो दोनों ही फ़िज़ूल हो सकते हैं... इस काम में ये आभासी दुनिया भी ऐसे लोगों का बड़ा सहयोग कर सकती हैं क्योंकि अब तो कोई बंदा हो या कोई चीज़ ढूँढने के लिये सभी इस नेट का ही सहारा लेते हैं तो जिनके पास भी कुछ नवीनतम आईडिया हो पर वे उस पर काम नहीं कर पा रहे हो तो वे उसे सार्वजनिक करें तो हो सकता हैं कि उस पर किसी ऐसे व्यक्ति की नजर पड़े जो उसे कर पाने में समर्थ हो तो ऐसे में वो खोखला विचार ठोस बनकर अपना वजूद बरक़रार रख सकता हैं जबकि इस तरह सामने न आने पर तो वो जेहन की कंदराओं में ही मरकर उस सोचने वाले को भी निराशा के गर्त में गिरा सकता हैं...  तो अब सोचने वालों को नज़रअंदाज़ न करें बस, ये देखें कि उसकी सोच महज़ बकवास हैं या उसमें कोई सार्थकता का तत्व भी मौजूद हैं... उसके बाद उसे सही जगह तक पहुंचा सकने में समर्थ हो तो देर न करें... ये भी तो नेक काम हैं... :) :) :) !!!
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१० जून २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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