रविवार, 7 जून 2015

सुर-१५८ : "लघुकथा : “सियासी चाल” !!!"

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मित्रों...,



दो सियासती दोस्त आमने-सामने बैठे बेतकल्लुफ़ हो बातें कर रहे थे---

मित्र : मंत्रीजी, आप तो ये बताये कि आपके पूर्ण बहुमत से सत्ता में आने से भी हमें क्या फ़ायदा हुआ ???

मंत्री : अजी, आप तो बस ये बताये कि आप क्या चाहते हैं तुरंत वही हो जायेगा

मित्र : (आँख दबाकर बोला) अरे, हम तो कब से आप से अपनी सिर्फ़ एक ही मांग पूरी करने की बात कह रहे हैं

और... अगले ही दिन से सभी राज्यों से किसी विशेष उत्पाद जिसने कि कई सालों से मार्किट में अपना कब्ज़ा जमा रखा था में मिलावट की खबरें आने लगी और चंद दिनों में ही देश की एक बड़ी कंपनी को उसे बाज़ार से उठाने और आगे उसके उत्पादन को बंद करने को मजबूर होना पड़ा

जब मामला शांत हुआ तो सबने देखा कि एक स्वदेशी कंपनी ने उसी तरह का नया उत्पाद बाज़ार में उतार दिया हैं

भले ही जनता इस राजनितिक चाल को न समझी पर, जिसने चली और जिसके लिये चली उन्हें तो सब समझ आ गया और अब वो दोनों साथ मिलकर पार्टी मना रहे थे   
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०७ जून २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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