गुरुवार, 25 जून 2015

सुर-१७६ : "दोस्त भले ही आभासी हो.... पर, दोस्ती तो वास्तविक हैं...!!!"

‘दोस्ती’
रब की नेमत
जो तकनीकी युग में
भले ही बन गयी
इस ‘आभासी दुनिया’ का
एक कृत्रिम अहसास 
समेटे समंदर-सी विशाल
सारी सृष्टि को एक जगह पर
तरंग बन तारों से बहती हुई
विद्युत् धारा के समान
कभी आती तो कभी जाती
फिर भी ये अहसास
झूठा नहीं गर, मिल जाये
दोस्तों के बड़े-से जमावड़े में
चंद अच्छे मित्र और
जरा-सी सही सच्ची दोस्ती
-------------------------------------●●●

___//\\___ 

मित्रों...,

जमीन और आसमां मिल जाये ये तो फिर भी मुमकिन हैं
मगर, एक ‘दोस्त’... दुनिया में बड़ी मुश्किल से मिलता हैं

वाकई... आज की तकनीक से बनी दुनिया और ‘गेजेट्स’ की कुंजियों से संचालित रिश्तों में वास्तविकता का नाजुक और गरम अहसास तो शामिल नहीं हैं लेकिन फिर भी अब तो एक छत के नीचे अलग-अलग कमरों में रहने वाले भी इन यंत्रों के माध्यम से ही आपस में न सिर्फ एक दूसरे से जुड़े होते बल्कि अपने मध्य के संवाद को भी कायम रख पाते हैं और कभी-कभी तो यूँ लगता कि यदि ये न हो तो शायद उनका आपस में आमने-सामने बैठकर बात करना भी मुश्किल हो क्योंकि अब तो लोग एक-दुसरे के ‘मोबाइल नंबर’ की तरह एक-दूजे से कही जाने वाली बातों के लिये अल्फाज़ भी भूलने लगे हैं और उनको भी ‘नेट’ से ही तलाशते हैं या दूसरों के भेजे गये संदेश या तस्वीरों को भेजकर अपनी भावनाओं का इज़हार करते हैं याने कि बहुत कम लोग हैं जिनको कि ख़ालिस तरीके से अपनी मौलिक बात को उस तरह प्रस्तुत करना आता हो अब तो कुछ भी लिखना या कहना या भेजना हो सब लोग उसके लिये ‘गूगल महाराज’ की शरण लेते हैं जिसकी वजह से चंद बातें ही इस कदर घूम-फिरकर बार-बार सामने आती हैं कि घिसे-पिटे रिकॉर्ड की तरह अर्थहीन हो जाती हैं तभी तो जब कोई किसी ज़ज्बात को अलग अंदाज़ में या फिर सादगी से ही सही प्रकट करता हैं तो पढ़ने वाले उसको पसंद करते हैं और अपने दिल की बात को अपने दोस्तों या रिश्तेदारों से कहने के लिये इस तकनीकी युग के ये सभी माध्यम बेहद असरकारक हैं क्योंकि इनसे आप घर बैठकर ही न केवल समस्त दुनिया से जुड़ जाते हैं बल्कि आसानी से अपने लिये अपनी  ही रूचि के मित्र भी ढूंढ सकते हैं माना कि यहाँ धोखे भी बहुत हैं पर, इसका ये मतलब कतई नहीं कि हम उनकी वजह से कुछ अच्छे से अवसरों और मित्रों को भी छोड़ दे केवल तनिक समझदारी और सावधानी से कदम रख कुछ बेहतरीन अनुभव भी प्राप्त कर सकते हैं अतः जो कुछ भी गलत यहाँ चल रहा हैं या नित कुछ अप्रिय घटनायें घट रही हैं उनसे बचने का तरीका यही हैं कि दोस्तों के चुनाव में जल्दबाजी न करें और यदि किसी से अनजाने में दोस्ती हो भी गयी तो उससे बातचीत करने या अपने दोस्ती को आगे बढ़ाने में भी समझदारी का परिचय दे जिससे कि आपका रिश्ता भले ही किसी मधुर यादगार का हिस्सा न बन सके पर, उसमें कोई कटुता भी न आने पाये क्योंकि दूरी रखने से भले ही सामने वाला आपको थोड़ा संकोची या अहमी समझेगा लेकिन जिस तरह के ‘इनबॉक्स स्टिंग ऑपरेशन’ से लोगों की छवि को धूमिल किया जा रहा हैं कम से कम ऐसे किसी कटू अनुभव से तो बचने की पूर्ण संभावना हैं ।

हमने भी जब से इस दुनिया से अपने आपको जोड़ा हैं नित ही कुछ नया सीखने मिला हैं और शुरूआती दौर में हम भी इस मंच के इस प्रभावी स्वरूप से उसी तरह से परिचित नहीं थे जैसा कि आज भी कुछ नये लोगों को देखते रहते जो ये समझते हैं कि यहाँ-वहां से किसी की भी ‘स्टेटस’ पसंद आने पर उसे साँझा करना या फिर अपने हर तरह के अवसरों के चित्रों को पोस्ट करना या फिर कुछ भी लिख देना या फिर किसी भी जानकारी को कॉपी / पेस्ट करना लेकिन जब से इसे सही तरीके से इस्तेमाल करना सीखा हैं तो जाना कि यदि हमारे पास अपनी ही कोई बात हैं कहने को या हमारे मन के अहसास जो दबे ही रह गये या फिर समाज को कोई सन्देश देना या कोई नई पहल करना हो तो इससे प्रभावी मंच कोई नहीं बस, तब से हमने भी अपने प्रोफाइल को न सिर्फ एक नवीन रूप दिया बल्कि अपनी बात को कहना भी शुरू किया जिसका परिणाम कि हमारे मित्रों ने हमें प्रोत्साहित किया भले ही हमने चुनिंदा और कम ही लोगों को जगह दी पर जितने और जो भी हमारे मित्र हैं सभी की तरफ से हमें बेहद सराहना मिली जिसने हमें लिखने को उत्साहित किया और आज हमने महसूस किया कि आपने उन सभी मित्रों को <3 से शुक्रिया बोले जिनकी वजह से हमें कुछ नया लिखने की प्रेरणा मिलती हैं... हमें आज ही इसकी जरूरत इसलिये महसूस हुई कि पिछले कुछ दिनों से लगातार हमारी तबियत खराब होने से हम अस्वस्थ चल रहे हैं तो हम अपने मित्रों की पोस्ट न तो देख पा रहें हैं न ही उस पर अपनी प्रतिक्रिया दे पा रहे हैं लेकिन उसके बावजूद भी उनका स्नेह हमें बिना किसी बाधा के अविराम मिल रहा हैं जिसने हमें अपने दोस्तों के प्रति कृतज्ञता का अहसास कराया और हमने सोचा आज हम सबको धन्यवाद कह ही दे जबकि इस दुनिया में ऐसे भी लोग हैं जो कि अपने दोस्तों के द्वारा पोस्ट को लाइक या कमेंट न करने पर दोस्ती तोड़ देते हैं ऐसे में हमें इतने अच्छे निःस्वार्थ मिलना सचमुच गौरव की बात हैं तो आप सबका शुक्रिया जिसने हमें ये हौंसला दिया... :) :) :) !!!    
______________________________________________________
२५ जून २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
--------------●------------●

कोई टिप्पणी नहीं: