रविवार, 28 जून 2015

सुर-१७९ : "मोक्ष का पथ...!!!"


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मित्रों...,


वो क्या था ???

जिसे पाने
एक राजकुमार
छोड़कर चल दिया
आलिशान महल
राजपाट और परिवार

जिससे आगे
अंगुलिमाल सर झुकाये
हिंसक जानवर
या हो कोई राजा या रंक
बैर भाव भूल जाये

राजनर्तकी 'आम्रपाली'
महलों की रानी
सब सन्यासी होना चाहे
'बुद्धं शरणं गच्छामि'
हर एक प्राणी दोहराये

'अप्प दीपो भव'
आत्मसात कर शिष्य
मोक्ष पाकर परमधाम जाये
जीते जी मुक्त होकर
सत्य-शांति का पथ अपनाये

जिससे कलिंग युद्ध विजेता
चक्रवर्ती सम्राट 'अशोक' का
हृदय परिवर्तन हो जाये
बौद्ध धर्म ग्रहण कर
राजा से सन्यासी होना चाहे

शायद...
यही था 'बुद्धत्व' कि
जिसने जागृत कर दी कुंडलिनी
और एक पल में ही
भोगी बन गया महान योगी
जिसने बनाया अपना स्वतंत्र पथ
जिसपे चलकर बने
असंख्य भ्रमित जन 'कर्मयोगी' ।।
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२८ जून २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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