शनिवार, 6 जून 2015

सुर-१५७ : "असफ़लता नहीं... प्रयास न करना बेईमानी हैं...!!!"

जरूरी
नहीं कि
मिल जाये
मंजिल सबको
मगर...
कोशिश किये बिना ही
हार मान जाना
या ध्येय को कठिन जान
आगे ही न बढ़ना तो
बेईमानी हैं...
अपने अनमोल जीवन
और खुद अपने आप से भी
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मित्रों...,

अमूमन सभी लोग ‘असफ़ल’ लोगों को ताना मारते हैं कि उन्होंने जीवन में क्या हासिल किया जो भी किया उसका परिणाम अगर फलदायी न हुआ तो फिर उसे करने का औचित्य क्या था पर, वे ये भूल जाते हैं कि ऐसे लोग उन सब से तो बेहतर हैं कि जो सिर्फ दूसरों की नकाम्याबी पर तंज करते हैं या हंसते हैं पर, खुद कभी कुछ नहीं करते जबकि वे लोग हर तरह के हालात और मुश्किल घड़ी में या उन स्थितियों में भी जबकि कोई उनका साथ नहीं देता काम करने की हिम्मत करते हैं यहाँ तक कि उनका कोई मार्गदर्शक न होने पर भी अपने विवेक से निर्णय ले आगे बढ़ते रहते हैं जो हो सकता हैं उनकी बुद्धि के अनुसार उतना सही साबित न हो जितना कि सुनियोजित तरीके से काम करने वाले दूसरे अधिक बुद्धिमान लोगों का होता हैं फिर भी बिना किसी सहायता या सहयोगी के भी न सिर्फ कोई असंभव ख़्वाब देखते बल्कि अपने ही स्तर पर उसे पूरा करने का हरसंभव प्रयत्न करते और मन में किसी तरह की नकारात्मकता को प्रवेश नहीं करने देते तब भी अक्सर सामने वाली की तिरछी नजरों, दबी-दबी हंसी या ऊँगली का निशाना बनते रहते हैं

ये उनका जिगर ही होता कि ये सब जानते-बुझते भी वो कभी पीछे नहीं हटते ये मुमकिन हैं कि कभी वो लगातार मिल रही पराजय से निराशा में आकर थोड़े-से धीमे पड़ जाये तो ऐसे में भी हार मान कर बैठने की बजाय अपने भीतर की सकारात्मक ऊर्जा से पुनः खड़े हो जाते और भले ही अंतत उन पर ‘असफ़ल’ होने का ठप्पा लग जाता हो लेकिन वे ख़ुद में बड़े संतुष्ट होते कि उन्होंने जो भी सपना देखा कम से कम अपनी सक्षमता के अनुसार उसे पूरा करने का यथासंभव प्रयास तो किया... ये और बात हैं कि काम्याब न होने पर दुनिया में ऐसे लोगों की कहीं कोई गिनती नहीं होती और बैठे-ठाले उनका मज़ाक बनाते कि हमने तो समझाया था कुछ होने वाला नहीं तुमने सुना ही नहीं या आज तुम भी हमारी ही कतार में खड़े हो तो फिर तुमसे अच्छे तो हम ही हैं जो आराम तो किया तुम्हारी तरह बेगार तो नहीं की... अतः जब भी आप किसी ऐसे व्यक्ति से टकराये तो उसकी मदद भले ही न करें पर, कृपया उसका मनोबल न गिराये... उसकी पीठ भले न थपथपाये पर उसे गिराये भी नहीं... इतना ही काफ़ी हैं... :) :) :) !!!
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०६ जून २०१५
© ® सुश्री इंदु सिंह इन्दुश्री
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